पंचायत चुनाव 2023 के लिए अतिरिक्त केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग करने के नए निर्देश जारी
पश्चिम बंगाल। पंचायत चुनाव में हिंसा की घटनाओं पर सख्त रुख अपनाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने को लेकर भड़की हिंसा की घटनाओं और नामांकन प्रक्रिया में कथित गड़बड़ी की सीबीआई जांच का निर्देश दिया है। साथ ही अदालत ने कहा है कि रक्तपात जारी रहा तो मतदान रोक देना चाहिए।
जस्टिस अमृता सिन्हा ने यह फैसला दिया। उन्होंने पंचायत चुनाव की हिंसा पर नाराजगी जाहिर की। कहा कि अगर ऐसा ही खून-खराबा जारी रहता है तो चुनाव को रोकना चाहिए।
'Polls Should Be Stopped If Bloodbath Continues': Calcutta High Court Orders CBI Probe Into Violence During Nominations For Panchayat Elections @Srinjoy77 #WestBengalPanchayatElection2023 #CBI https://t.co/8MMs8KmDMY
— Live Law (@LiveLawIndia) June 21, 2023
सीबीआई को 7 जुलाई तक अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है। पंचायत चुनाव आठ जुलाई को होना है। जस्टिस सिन्हा ने कहा कि चुनाव आयोग क्या कर रहा है, राज्य में इतनी हिंसा शर्म की बात है?
जस्टिस सिन्हा की एकल पीठ ने यह आदेश सीपीआई (एम), भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि उन पर नामांकन वापस लेने और चुनाव दस्तावेजों में छेड़छाड़ के लिए दबाव बनाया जा रहा है। जस्टिस सिन्हा की एकल न्यायाधीश पीठ ने हिंसक घटनाओं की निंदा करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि पश्चिम बंगाल में राज्य चुनाव आयोग एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव प्रक्रिया के संचालन की अपनी प्राथमिक जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम नहीं है।
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वहीं, हाईकोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को 24 घंटे के भीतर स्थानीय पंचायत चुनाव 2023 के लिए अतिरिक्त केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग करने के नए निर्देश जारी किए। मुख्य न्यायाधीश शिवगणमन और जस्टिस उदय कुमार की खंडपीठ ने 2013 में तैनात 825 कंपनियों की तुलना में एसईसी द्वारा अर्धसैनिक बलों की केवल 22 कंपनियों की मांग पर आपत्ति जताई।
न्यायालय ने पाया कि साल 2013 की तुलना में अब और अधिक जिले हैं और यह एक चरण में चुनाव होने जा रहा है, जबकि 2013 में चुनाव के पांच चरण थे। यह आदेश भाजपा और कांग्रेस द्वारा दायर अवमानना याचिका पर आया है। अदालत ने सख्त लहजे में यह भी कहा है कि अगर चुनाव आयुक्त आदेशों को लागू नहीं कर सकते हैं, तो वे पद छोड़ सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति उदय कुमार की खंडपीठ ने कहा, अगर [चुनाव] आयुक्त के लिए आदेश लेना बहुत मुश्किल है, तो वह पद छोड़ सकते हैं। महामहिम, राज्यपाल किसी और को नियुक्त कर सकते हैं… क्योंकि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पद है।
If Election Commissioner can’t implement orders, he may step down: Calcutta High Court in West Bengal panchayat elections case
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— Bar & Bench (@barandbench) June 21, 2023
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति उदय कुमार की खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा- आयोग की स्वतंत्रता पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए, आप सुप्रीम कोर्ट में गए हैं, अब उनका फैसला स्वीकार करें, आयुक्त के लिए आदेश लेना मुश्किल हो तो वह पद छोड़ दें, शायद राज्यपाल किसी और को नियुक्त कर दें। अदालत ने कहा कि बहुत खेदजनक स्थिति है, आप एक तटस्थ निकाय हैं। आपको किसी निर्धारित रेखा पर चलने की आवश्यकता नहीं है, हमने एसईसी पर बहुत विश्वास जताया और इसीलिए हमने कहा कि अंतिम निर्णय उन्ही के पास होना चाहिए। लेकिन इस आधार पर कार्य नहीं हुआ, इसलिए एक और आदेश पारित करना पड़ा।
गौरतलब है कि बीते 8 जून को राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी किए जाने के एक दिन बाद यानी 9 जून को नामांकन पर्चा दाखिल करने के पहले दिन ही हिंसा शुरू होने की खबर आने लगी थी। नौ जून को मुर्शिदाबाद में कांग्रेस कार्यकर्त्ता और संभावित उम्मीदवार फूलचांद शेख (42) की गोली मारकर हत्या करने की खबर आई। यहां हुई झड़प और कथित गोलीकांड में कई अन्य भी घायल हुए थे। साथ ही राज्य के कुछ अन्य हिस्सों से भी ऐसी झड़प और हिंसा की ख़बरें आईं। इसके बाद कांग्रेस सीपीआई मोर्चा और मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने हिंसा के लिए सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए पहले राज्यपाल से चुनाव के लिए केन्द्रीय बल की तैनाती की मांग की।
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उसके बाद बीजेपी और कांग्रेस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जहां सुनवाई करते हुए अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया और बाद में केन्द्रीय बल के जवानों को चुनाव में तैनात करने का निर्देश दिया। इस आदेश के खिलाफ राज्य चुनाव आयोग और पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को निरस्त करने के लिए याचिका दी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए राज्य की याचिका ख़ारिज कर दी। हालांकि, ममता बनर्जी सरकार ने हिंसा के लिए कांग्रेस-सीपीआई को दोष दिया और कांग्रेस को चेतावनी दी कि वह भविष्य में बीजेपी के खिलाफ किसी भी मुद्दे पर उनसे कोई समर्थन की उम्मीद न रखें। वहीं, केन्द्रीय बलों की तैनाती के मसले पर सुप्रीम कोर्ट से हार मिलने के बाद टीएमसी के राज्य महासचिव ने तंजिया लहजे में कहा कि उनकी पार्टी को केन्द्रीय बल की तैनाती की कोई परवाह नहीं है और चाहे तो संयुक्त राष्ट्र से शांति सेना भी बुला लें।
नित्यानंद गायेन गाँव के लोग डॉट कॉम के संवाददाता हैं।