पश्चिम बंगाल के 22 जिलों में सम्पन्न त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भारी हिंसा देखने को मिली। हिंसा के बीच 66.28 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसका परिणाम 11 जुलाई को आएगा। 22 जिला परिषदों में लगभग 928 सीटों, 9730 पंचायत समितियों और 63,229 ग्राम पंचायत सीटों के लिए लगभग 5.67 करोड़ लोगों ने मतदान किया है। पश्चिम बंगाल का यह चुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है। इस चुनाव में पूरे राज्य में हिंसा, पथराव, बमबारी, आगजनी और तनाव का माहौल देखने को मिला। राज्य पुलिस के साथ केन्द्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती के बाद भी पश्चिम बंगाल के इस चुनाव में हिंसक गतिविधियां पूर्व के चुनावों से ज्यादा सामने आई हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पंचायती चुनाव में अलग-अलग राजनैतिक दलों से जुड़े 19 कार्यकर्त्ताओं की मौत हुई है और दर्जनों लोग घायल हुए हैं। ज्यादातर मौतें गोली लगने और बम विस्फोटक के कारण हुई हैं।
WB: Adhir Ranjan Chowdhury meets family of victim of Panchayat poll violence, slams TMC
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— ANI Digital (@ani_digital) July 9, 2023
कोलकाता हाईकोर्ट ने छह जुलाई को कहा था कि 11 जुलाई के चुनाव परिणाम के बाद भी दस दिनों तक केन्द्रीय सुरक्षा बल के जवान राज्य में तैनात रहेंगे।
गृह मंत्रालय ने कहा है कि, ‘पंचायत चुनाव में केन्द्रीय सुरक्षा बल के जवानों की तैनाती वाले बूथों पर कोई हिंसा नहीं हुई है।’ आखिर जब केंद्र सरकार को हिंसा का अंदेशा पहले से ही था तो उन्होंने अन्य जगहों पर सुरक्षा बल तैनात क्यों नहीं कराया? ‘सुवेन्द्र अधिकारी ने कहा कि आज लोकतंत्र पूरी तरह से खत्म हो गया है। हमारी मांग है कि जहाँ भी सीसीटीवी नहीं है या जहाँ भी चुनाव में धांधली हुई है, वहाँ फिर से मतदान कराया जाए।
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केंद्र में बीजेपी की सरकार है और केन्द्रीय सुरक्षा बल केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है, फिर उन्होंने सभी जगहों पर सुरक्षा बल तैनात क्यों नहीं कराया? बीजेपी जहाँ मजबूत नहीं थी, उन जगहों पर भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात कराया था और जिन जगहों पर मजबूत थी, वहाँ सुरक्षा बल नहीं लगाया, जिसका परिणाम हिंसा के रूप में सामने आया। इस पूरी हिंसा में सबसे ज्यादा टीएमसी के कार्यकर्ताओं को मारा गया है।टीएमसी ने इस हिंसा को लेकर भाजपा के उस हमले का भी जवाब दिया है, जिसमें वह बंगाल में हिंसा के लिए टीएमसी को जिम्मेदार ठहराती रही है।
टीएमसी के नेताओं ने सवाल उठाया है कि आखिर मरने वाला ही, मारने वाला कैसे हो सकता है? एक संवाददाता सम्मेलन में कैबिनेट मंत्री शशि पंजा ने कहा कि ‘विपक्षी दल टीएमसी को बदनाम कर रहे हैं और हिंसा के बारे में झूठी खबरें बना रहें हैं। इस हिंसा में मारे गए 60 प्रतिशत टीएमसी कार्यकर्ता हैं।’
उन्होंने कहा कि ‘अगर इस हिंसा के जिम्मेदार हम ही हैं, तो हम अपने ही कार्यकर्त्ता को क्यों निशाना बनाते? अपने ही कार्यकर्त्ता की हत्या क्यों करते? इस हिंसा ने भाजपा को बेनकाब कर दिया है।’
उन्होंने कहा कि ‘नंदीग्राम में महिलाओं ने केन्द्रीय बल तैनात करने की मांग पहले ही उठाई थी। टीएमसी ने भी पूछा कि ‘हिंसा के वक्त केन्द्रीय बल कहाँ थे?’ पश्चिम बंगाल में हो रहे सियासती हिंसा में ममता बनर्जी ने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है। ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में हुई हिंसा को लेकर भाजपा को 2024 में उखाड़ फेकने की बात कही है।