भगवानपुर-छित्तूपुर मुख्य मार्ग की दुर्दशा, इस रास्ते ट्रॉमा सेंटर पहुँचने में हो जाती है देर
स्मार्ट सिटी के तमगे से विभूषित बनारस शहर और गाँव की सड़कें दुर्दशा का दंश झेल रही हैं। ज़्यादातर दिक्कतें गलियों में हैं। जाम सीवर और उबड़-खाबड़ हो चुके चौका पत्थर, जगह-जगह गड्ढे गलियों की पहचान बन चुके है। वाराणसी की पहचान उसकी गलियों से है, लेकिन यहाँ की जनता आए दिन समस्याओं से दो-चार होती है। हर वर्ष बारिश के मौसम में यह समस्याएँ और भी बढ़ जाती हैं। मोहल्लेवासी और सामाजिक कार्यकर्त्ता सम्बंधित विभागों व नेताओं को शिकायत-पत्र देते थक जाते हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती।ज़रा सी बारिश होते ही सड़को पर जल जमाव हो जाता है जिससे लोगों का सड़क पर चलना दूभर हो जाता है।
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्मार्ट सिटी के तहत लगातार हजारों करोड़ की परियोजनाओं की घोषणा कर विकास के माडल की बात की जाती है पर बारिश आते ही इस नकली विकास का असली चेहरा सामने आ जाता है। बावजूद इसके कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां दुश्वारियां लगातार बनी हुई हैं। भगवानपुर-छित्तूपुर मुख्य मार्ग ट्रॉमा सेंटर हाईवे को जोड़ता है। इस मार्ग पर जल निकासी की समस्या बरसों से बनी हुई है, जिसकी वजह से आए दिन जलजमाव की स्थिति बनी रहती है। इस परेशानी को लेकर मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने सड़क पर धान की रोपाई कर जलभराव और टूटी सड़को के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शित किया।
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सड़क पर धान की रोपाई करते हुए ‘नहीं चाहिए ऐसा क्योटो…’ का पोस्टर लिए लोगों ने सम्बंधित विभागों के खिलाफ नारे भी लगाए। स्थानीय लोगों का आरोप है कि, ‘इस परेशानी को लेकर अधिकारियों को कई बार अवगत कराया गया, लेकिन समझ में नहीं आता कि अधिकारी इस मार्ग की ओर ध्यान क्यों नहीं देते’? जलजमाव की वजह से आए दिन इस सड़क पर हादसे होते रहते हैं। वहीं, बरसात के मौसम में जलजमाव की स्थिति और भी बढ़ जाती है, जिससे क्षेत्र में बीमारियां फैलने का डर रहता है। वहीं, बगल में ट्रॉमा सेंटर है और इस मार्ग से आने वाले मरीजों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
सपा कार्यकर्ता अमन यादव ने तंज करते हुए कहा कि, ‘देश के प्रधानमंत्री बनारस दौरे पर आते हैं और कई सौ करोड़ का तोहफा देकर जाते हैं, मुख्यमंत्री भी हर महीने बनारस का दौरा करते हैं इसके बावजूद इन मार्गों का हाल-बेहाल है। ऐसे में काशी को क्योटो बनाने का क्या फायदा, जब लोगों को जलजमाव के साथ जीवन-यापन करना पड़े। हमें ऐसे क्योटो का विकास नहीं चाहिए, जहां दुश्वारियों का अंबार लगा हो’।
बीएचयू के छात्र पंकज चौधरी ने बताया कि आए दिन सड़क के जर्जर हिस्सों से गुजरने पर वाहन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। बारिश में पैदल चलना दूभर हो जाता है। यहाँ जाम लगने पर स्थिति और दयनीय हो जाती है।
स्थानीय दुकानदार मनोज का कहना है कि स्मार्ट शहर में विभागों की लापरवाही का नतीजा पब्लिक को उठाना पड़ रहा है। सड़क की बदहाली का दंश रोजाना हजारों नागरिकों को उठाना पड़ रहा है। कुछ ही सप्ताह पहले यहाँ एक ऑटो वाले का पहिया पंक्चर हो गया था। उसमें मरीज को लेकर बैठे लोग बीएचयू हॉस्पीटल जाने को काफी परेशान हुए। एक टोटो वाले ने उस परिवार की सहायता की। फिलहाल अभी दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने एस शहर को लेकर कहा था कि, ‘अब जे काशी आई ऊ खुश होय के जाई।” फिलहाल इस खुश होने का ख्याल अभी तो ख्याली ही है।
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