गोधरा स्टेशन पर 23 वर्ष पहले हुये साबरमती एक्सप्रेस हत्याकांड आसानी से भारतीय राजनीति का पीछा नहीं छोड़ने वाला है। यह वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ताजपोशी की पीठिका भले बन गया हो लेकिन यही वह बिन्दु है जो बार-बार षडयंत्रों का घाव हरा करता रहता है। संघ और गोदी मीडिया द्वारा फैलाई गई सारी अवधारणाओं के बावजूद गोधरा की आँच से बचना असंभव है। हालांकि तब के गुजरात के मुख्यमंत्री और वर्तमान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी जा चुकी है। गुजरात के पूर्व पुलिस प्रमुख आर बी श्रीकुमार की किताब 'गुजरात बिहाइंड द कर्टेन' के बहाने सामाजिक कार्यकर्ता डॉ सुरेश खैरनार इन्हीं स्थितियों की ओर संकेत कर रहे हैं।
एक तरफ डॉ अंबेडकर ने जहां संविधान में समानता, बंधुत्व, स्वतंत्रता को शामिल किया, वहीं आरएसएस ने देश में हिंदुत्व को बढ़ावा देते हुए फासीवाद और ब्रह्मणवाद मार्का पर काम कर रहा है, जिसके बाद अम्बेडकरवादी विचारधारा पर लगातार हमला हो रहा है।
आरएसएस का संविधान 'मनुस्मृति' है। जब देश में संविधान लागू हुआ था, तभी आरएसएस के प्रमुख ने संविधान का विरोध किया था। ऐसे में कैसे उम्मीद की जा सकती है कि सत्ता में बैठे लोग, जो वास्तव में आरएसएस के धुर एजेंट हैं, वे संविधान और संविधान निर्माता डॉ अंबेडकर को वैसा सम्मान देंगे, जिसके वे हकदार हैं। स्थिति तो यहाँ तक है कि संविधान और डॉ अंबेडकर को मानने वालों का भी घोर विरोध करते हैं और आपत्तिजनक बयान देने मे भी पीछे नहीं रहते हैं। यही कारण है कि समाज के दलित, पिछड़े और आदिवासी जिन्हें संविधान के अनुसार बराबरी का दर्जा व अधिकार मिला हुआ है, उन्हें भी राजनैतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक मजबूती पाते देख परेशान हो, उनका शोषण करने में पीछे नहीं रहते। देश की संसद में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा दिया गया आपत्तिजनक बयान इस बात का सबूत है।
विगत वर्षों के दौरान उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के उत्पीड़न और जानलेवा हमलों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। योगी आदित्यनाथ की सरकार के पहले कार्यकाल में राज्य में पत्रकारों के उत्पीड़न के 138 मामले दर्ज़ किए गए। दूसरे कार्यकाल में भी इसमें कमी नहीं आई है। विगत दिनों एक रैली की कवरेज के लिए गए पत्रकार पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने जानलेवा हमला किया और जौनपुर में सरे-बाज़ार एक पत्रकार को गोली मार दी गई।
आज भाजपा ने 72 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सूची निकाल दी है। इसके पहले 3 मार्च को 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। जल्द ही चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आचार संहिता की घोषणा कर सकता है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बीते 17 महीने में बिहार का नौवां दौरा है। आने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा हमेशा की तरह ही सीरियस और पेशेवर रवैया रखती दिखाई दे रही है।
राजनीतिक गलियारों में लगाये जा रहे कयास को भाजपा ने कल प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर फ़िलहाल विराम लगा दिया है। इस लिस्ट में कुछ नए चेहरों को छोड़ बाकी पुराने प्रत्याशी ही मैदान में हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर शनिवार को 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फिर वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे।