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आंध्र प्रदेश ट्रेन हादसे में मृतकों की संख्या 14 नहीं बल्कि तेरह बताई जा रही है

विशाखापत्तनम (भाषा)।  आंध्र प्रदेश में हावड़ा-चेन्नई रेल लाइन पर रविवार को दो यात्री ट्रेन की टक्कर में मरने वालों की संख्या को संशोधित कर 13 कर दिया गया है, क्योंकि एक पीड़ित के क्षत-विक्षत शव को पोस्टमार्टम से पहले ‘दो के तौर पर गिन लिया गया था।’ आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। […]

विशाखापत्तनम (भाषा)।  आंध्र प्रदेश में हावड़ा-चेन्नई रेल लाइन पर रविवार को दो यात्री ट्रेन की टक्कर में मरने वालों की संख्या को संशोधित कर 13 कर दिया गया है, क्योंकि एक पीड़ित के क्षत-विक्षत शव को पोस्टमार्टम से पहले ‘दो के तौर पर गिन लिया गया था।’ आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। रेलवे और आंध्र प्रदेश राज्य सरकार के अधिकारियों ने पहले इस घटना में मरने वालों की संख्या 14 बताई थी।

सूत्रों ने बताया कि एक यात्री के क्षत-विक्षत शव को शुरुआत में दो गिना गया, लेकिन पोस्टमार्टम के दौरान पता चला कि शव एक ही व्यक्ति का था। सूत्र ने भाषा को बताया, ‘सोमवार को, शुरुआत में हमारे पास दो अज्ञात शव थे। हमें एक ही व्यक्ति के लगभग दो हिस्से मिले। उस समय भ्रम की स्थिति रही और हमने उन हिस्सों को दो व्यक्तियों के रूप में गिना, लेकिन पोस्टमार्टम के दौरान पता चला कि वह एक ही व्यक्ति था। इसके बाद ही मरने वालों की संख्या को संशोधित कर 13 कर दिया गया है।’

पूर्व तट रेलवे (ईसीआर) के अधिकारियों ने बताया कि रविवार शाम सात बजे के आस-पास विशाखापत्तनम से लगभग 40 किलोमीटर दूर कंटकापल्लि में रायगडा पैसेंजर ट्रेन ने पलासा पैसेंजर ट्रेन को पीछे से टक्कर मार दी, जिससे उसके तीन डिब्बे पटरी से उतर गए।

इससे पूर्व ओडिशा के बालासोर जिले  में बीते  2 जून की शाम  एक बड़ा रेल हादसा हुआ था जिसमें 288 लोग मारे गए, जबकि 12 सौ से अधिक लोगों को चोटें आयी थीं। यह दुर्घटना उस समय हुई थी  जब कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई की ओर जा रही थी और ट्रेन की कई बोगियां ट्रैक से उतरकर दूसरे ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। यात्री ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। कोरोमंडल के कई डिब्बे पटरियों पर ही पलट गए। बगल वाले ट्रैक पर उसी समय बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस जा रही थी, जिसकी टक्कर ट्रैक पर पलटे कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से हो गई। जिसकी वजह से एक साथ तीन ट्रेनें हादसे का शिकार हो गई। यह घटना बालासोर जिले के बहंगा बाजार स्टेशन पर लूप पर खड़ी मालगाड़ी और स्टेशन पार कर रही तेज स्पीड यात्री गाड़ी को निकालने के लिए दिए गए सिग्नल में भ्रम की स्थिति बनने के चलते हुई। टक्कर इतनी तेज थी की बोगियां हवा में उछल कर दूर जाकर गिरी। यह भारत में अब तक के सबसे बड़े ट्रेन हादसों में तीसरा सबसे बड़ा हादसा मान जा रहा है। दोनों ट्रेनों के सत्रह डिब्बे गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए थे।

इसी प्रकार से बिहार के बक्सर जिले में 11 अक्टबूर की रात हुए ट्रेन हादसे में चार लोगो की मौत हो गयी थी । बिहार में दिल्ली-कामख्या ‘नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस’ के सभी डिब्बों के बेपटरी होने की संभावित वजह पटरियों में खामी थी। सूत्रों ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के हवाले से यह जानकारी दी थी। बक्सर जिले के रघुनाथपुर रेलवे स्टेशन के नजदीक रात में हुए इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए हैं। रेलवे के छह अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित रिपोर्ट में कहा गया, ऐसा प्रतीत होता है कि पटरी में खामी की वजह से ट्रेन बेपटरी हुई।
बिहार में ही एक और बड़ा रेल हादसा (Train Accident) दानापुर-बक्सर रेलखंड पर रघुनाथपुर रेलवे स्टेशन के समीप देर रात लगभग 9.45 बजे 12506 डाउन नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस बेपटरी होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में ट्रेन के छह डिब्बे पटरी से उतर गए थे। एक डिब्बा दूसरे डिब्बे पर चढ़ गया था। भोजपुर के एसपी प्रमोद कुमार ने छह लोगों के मरने की पुष्टि की थी। वहीं रेलवे सूत्रों के हवाले से बताया गया था की 12 से अधिक डिब्बे पटरी से उतर गए थे। हादसे में करीब 100 की संख्या में यात्री घायल हुए थे।

इस  प्रकार से देखा  जाय तो  वर्तमान सरकार के शासन काल में एक के बाद एक रेल हादसे हो रहे हैं और सरकार हर बार जांच बैठाकर कमियों को दूर करने और दोषियों को दंडित करने की बात कहकर मामले से पल्ला झाड़ ले रही है।  बड़ा सवाल ये है कि कब तक लोग सरकार की लापरवाही कि वजह से जान गंवाते रहेंगे ? कब तक मासूम अनाथ होते  रहेंगे ?

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