नोएडा। एनटीपीसी के खिलाफ यूपी के हजारों किसान शनिवार को भी नोएडा सेक्टर-24 स्थित नेशनल कैपिटल पावर स्टेशन (एनटीपीसी) कार्यालय के सामने धरने पर बैठ हुए हैं। समान मुआवजा, रोजगार और विभिन्न माँगों को लेकर किसान लम्बे समय से आंदोलनरत हैं। किसानों को रोकने के लिए यहाँ भारी संख्या में पुलिस बलों को तैनात किया गया है।
भारतीय किसान परिषद के नेतृत्व में चल रहे धरने में प्रदर्शनकारी किसानों को पुलिस ने मुख्यद्वार से कुछ दूर पहले ही रोक दिया था। 105 गाँवों के इन किसानों का कहना है कि वे एनटीपीसी दादरी के कामों से प्रभावित हुए हैं। बीते शुक्रवार को नाराज़ किसानों ने नग्न प्रदर्शन भी किया था।
भारतीय किसान परिषद के नेता सुखबीर खलीफा के अनुसार, ‘किसानों ने एनटीपीसी दादरी पर कई महीने तक धरना दिया और एक लम्बा आंदोलन भी चलाया। इस दौरान प्रशासन के साथ कई दौर की वार्ता हुई। वार्ता में किसानों की माँगों को जायज भी ठहराया गया, लेकिन अभी तक उन पर विचार नहीं किया गया। इसलिए हम इस बार निर्णायक लड़ाई लड़ने आए हैं।’
एनटीपीसी दादरी से प्रभावित एक महिला किसान ने बताया कि ‘मेरी कई बीघा ज़मीन एनटीपीसी की योजना में जा चुकी है। अब मेरे पास सिर्फ मकान ही बचा है, ज़मीन कुछ नहीं। वायदे के बाद भी बच्चों को रोज़गार नहीं मिला। जब तक हमें हमारा हक़ नहीं मिलता तब तक हम यहाँ से नहीं जाएँगे।’
धरनारत किसानों का कहना है कि एनटीपीसी ने हमारी जमीन लेते समय जो वायदा किया था, वह आज तक पूरा नहीं हुआ है। 22 सौ लोगों को रोजगार देना था पर कागजों की खानापूर्ति करके छोड़ दिया गया है। उनका कहना है कि आज हम अपनी माँगों को एनटीपीसी के समक्ष रखने आए हैं। हम इतने दिन से धरना दे रहे हैं, बावजूद इसके कम्पनी का कोई भी अधिकारी अभी तक हमसे मिलने नहीं आया। जब तक हमारी माँगें पूरी नहीं होतीं, हम यहाँ से हटने वाले नहीं हैं।
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एनटीपीसी पर किसानों के धरने के बारे में स्वराज इंडिया के संस्थापक और किसान नेता योगेंद्र यादव ने बताया कि किसानों की माँगें बिल्कुल जायज हैं। बीजेपी का किसानों के प्रति जो रवैया है, यह आंदोलन उसका एक और प्रमाण है। सरकार की दिलचस्पी खेती को बढ़ावा देने में नहीं, केवल किसानों की ज़मीनों को हथियाने में है। सरकार बनने के पहले दिन से ही किसानों की ज़मीनों को छिनने का काम शुरू हो गया था। सरकारी की गलत नीतियों के कारण किसानों के पास आज सिर्फ उनके पुरखों की ज़मीन ही बची है। बड़े-बड़े प्रोजेक्ट में प्राइवेट कम्पनियाँ करोड़ों कमा रही हैं, लेकिन किसानों का नाम आते ही यह अपना दोहरा चरित्र दिखाने लगती हैं।
उन्होंने बताया कि एनटीपीसी द्वारा हर परिवार के बेरोजगार युवक को नौकरी देने, प्रदूषण से हो रही लोगों की परेशानी को दूर करने और 22 गाँवों के लोगों को एक समान मुआवजा देने का वायदा किया गया था। साथ ही स्कूल, अस्पताल, खेल ग्राउंड बनवाने की भी बात कही गई थी। इसके साथ ही कुल 22 सौ बेरोजगारों को एनटीपीसी की तरफ से रोजगार दिया जाना था। जबकि अब तक खाना पूर्ति करते हुए महज 182 लोगों को रोजगार दिया गया है। उन्होंने कहा कि किसान बंधु यह प्रदर्शन वार्ता करने के लिए नहीं बल्कि अपनी माँगों को पूरा करवाने के लिए कर रहे हैं।
182 लोगों को दिया जा चुका है रोजगार : एनटीपीसी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘एनसीआर सहित राष्ट्र हित में बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए दादरी क्षेत्र में एनसीपीएस की स्टेज-1 का निर्माण वर्ष 1986 से 1995 के बीच किया गया था। भूमि अधिग्रहण और मुआवजा भी उस समय मौजूद भूमि अधिग्रहण अधिनियम और जिला प्रशासन के निर्देशों के अनुसार किया गया था।’
वहीं, एनटीपीसी ने कहा है कि ‘इतने साल बीत जाने के बाद कुछ माँगों को लेकर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों के साथ समय-समय पर विभिन्न वार्ताओं के दौरान एनसीपीएस द्वारा अपना पक्ष रखते हुए अवगत कराया जाता रहा है कि समान मुआवजा और नौकरी देने पर विचार किया जाना अब सम्भव नहीं है। वहीं, एनटीपीसी ने यह भी अवगत करवाया है कि 182 भू-स्थापितों को उपलब्ध रिक्तियों, उपयुक्तता और पात्रता के आधार पर नियमित रोजगार दिया गया है।’