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महुआ के निलम्बन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा के महासचिव को जारी की नोटिस, अगली सुनवाई 11 मार्च को

सरकारी लॉगइन दूसरे को देने के अररोप में लोकसभा से निष्कासित टीएमसी (तृणमूल कॉंग्रेस) की नेता महुआ मोइत्रा को फिलहाल राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने निष्कासन के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है। वहीं, कोर्ट ने लोकसभा के महासचिव उत्पल सिंह को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब मांगा […]

सरकारी लॉगइन दूसरे को देने के अररोप में लोकसभा से निष्कासित टीएमसी (तृणमूल कॉंग्रेस) की नेता महुआ मोइत्रा को फिलहाल राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने निष्कासन के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है। वहीं, कोर्ट ने लोकसभा के महासचिव उत्पल सिंह को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब मांगा है। मामले पर अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी।

चूंकि अप्रैल से लोकसभा चुनाव शुरू हो जाएंगे और मार्च से पहले ही अंतरिम बजट का सत्र भी निपट जाएगा इसलिए इस सुनवाई में महुआ को राहत मिल भी गई तो उसका कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। उन्हें किसी भी स्थिति में चुनाव लड़कर दोबारा संसद में चुनकर आना ही होगा। कोर्ट ने कहा कि महुआ का संसद से निष्कासन बना रहेगा। फिलहाल उनको अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती है।

उन पर घूस लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप है। कोर्ट ने महुआ की संसद कार्यवाही में हिस्सा लेने की इज़ाज़त देने की अर्जी को ठुकरा दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट मोइत्रा के निष्कासन के खिलाफ अर्जी का परीक्षण करेगा।

कोर्ट में महुआ के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि महुआ मोइत्रा 18 साल तक संसद सदस्य रहीं। कोई भी व्यक्ति ऑपरेट करने के लिए केवल पासवर्ड नहीं दे सकता, एक ओटीपी भी उसके पास आता है। लेकिन यहाँ पर पासवर्ड साझा करने के खिलाफ किसी भी नियम के बिना उनको संसद सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया, जो भी नियम हैं वह हैकिंग से सम्बंधित हैं।

अभिषेक मनु ने कहा कि दर्शन हीरानंदानी और जय देहद्राई के आरोपों में विरोधाभास है। जय का कहना है कि हीरानंदानी ने सवाल पूछने के लिए दबाव डाला। ठीक इसी तरह के आरोप हीरानंदानी ने जय देहद्राई पर लगाए हैं। हालांकि, इस पूरे प्रकरण में पैसे के लेनदेन की कोई कड़ी नहीं मिली है और न ही मुख्य गवाहों से जिरह हुई।

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दूसरी तरफ, पश्चिम बंगाल की सांसद महुआ मोइत्रा संसद में सवाल के बदले पैसे लेने के मामले में अपनी सदस्यता गंवाने के बाद अब एक नए विवाद में फंसती दिख रही है।

दरअसल, जिस व्यक्ति ने सांसद मोइत्रा पर सवाल के बदले पैसे लेने का आरोप लगाया था, उसी ने उन पर बंगाल पुलिस की मदद से अवैध निगरानी करवाने का आरोप भी लगाया है। इस बाबत उन्होंने आरोप-पत्र भी जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जयअनंत देहाद्राई के आरोप-पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए बंगाल की सांसद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इन आरोपों का जवाब दिया है। उन्होंने लिखा था कि मैं गृह मंत्रालय से आग्रह करती हूँ कि भारत के सभी एक्स बॉयफ्रेंड्स की शिकायतों की जाँच के लिए विशेष सीबीआई निदेशक नियुक्त किया जाए। हालांकि, कुछ ही घंटों बाद महुआ ने यह पोस्ट डिलीट कर दिया था।

जयअनंत देहाद्राई ने महुआ मोइत्रा पर अपने पूर्व प्रेमी की निगरानी कराने का आरोप लगाया है। इस मामले में उन्होंने 29 दिसम्बर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद को एक पत्र भी लिखा है।

उन्होंने मीडिया को बताया कि टीएमसी नेता अपने पूर्व प्रेमी को उनके फोन नम्बर के जरिए ट्रैक कर रही हैं। साथ ही वह बंगाल पुलिस के कुछ बड़े अधिकारियों की मदद से कॉल डिटेल रिकॉर्ड भी प्राप्त कर रही हैं।

जय अनंत देहाद्राई ने कहा कि मैंने अपनी शिकायत सीबीआई को दे दी है। यह एक बहुत गम्भीर मुद्दा है और इसमें ओडिशा के कुछ लोग उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान कर रहे हैं, जिसके खिलाफ मैंने मामला दर्ज किया है। यह लड़ाई खतरनाक है, लेकिन मैं पीछ नहीं हटूँगा।

देहाद्राई ने अपने आरोप पत्र में कहा कि महुआ मोइत्रा 2019 में सुहान मुखर्जी नाम के एक व्यक्ति को ट्रैक कर रही थी। उन्होंने कहा कि महुआ ने मुझे मौखिक और लिखित रूप से बताया था कि वह अपने पूर्व प्रेमी को ट्रैक कर रही थी, क्योंकि उसे उस पर एक जर्मन महिला के साथ रिलेशन में होने का शक था। सुप्रीम कोर्ट के वकील ने अपनी चिट्ठी में कुछ चैट के स्क्रीनशॉट भी लगाए हैं।

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