वाराणसी। गणतंत्र दिवस के अवसर पर तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने जाने-माने फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को सम्मानित किया है। यह सम्मान उन्हें साम्प्रदायिक सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए मिला है। वहीं, भाजपा ने राज्य सरकार के इस कार्य का विरोध जताया है।
तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में रहने वाले मोहम्मद जुबैर ने राज्य में प्रवासी मजदूरों पर कथित हमले के सम्बंध सोशल मीडिया पोस्ट में किए गए दावों की जाँच की थी। इस जाँच में वह दावे फर्जी पाए गए थे।
वहीं, राज्य सरकार के मुताबिक, मोहम्मद जुबैर ने तमिलनाडु विरोधी अफवाहों को फैलने से रोका। साथ ही राज्य में जाति, धर्म, नस्ल और भाषा के कारण होने वाली हिंसा को रोकने का भी काम किया। साम्प्रदायिक सद्भाव बनाए रखने में उनकी सेवाओं और कार्यों की सराहना में मोहम्मद जुबैर को वर्ष 2024 के लिए ‘कोट्टई अमीर साम्प्रदायिक सद्भाव पुरस्कार’ प्रदान किया जाता है।
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मोहम्मद जुबैर को सद्भाव पुरस्कार देने पर भाजपा के विरोध को लेकर बनारस के वरिष्ठ पत्रकार भाष्कर नियोगी ने एक शायरी का ज़िक्र किया, ‘बेबसी ज़ुर्म है हौसला ज़ुर्म है, ज़िंदगी तेरी इक-इक अदा ज़ुर्म है…।’ उन्होंने कहा कि इस शायदी की तर्ज़ पर भाजपा सरकार में बेबसी और हौसला दोनों ज़ुर्म हो गए हैं। भाजपा सोचती है कि जहाँ हमारी सरकार नहीं है, वहाँ नक्सली रहते हैं, आतंकवाद बढ़ रहा है। जबकि इससे इतर जिन-जिन राज्यों में भाजपा सरकार है, वहाँ लोकतंत्र बचा ही नहीं है। बलात्कार-मॉब लिंचिग जैसे जघन्य अपराध से लेकर मुस्लिमों पर हमले भी बढ़े हैं। ऐसे में फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर का सम्मान भाजपा को कहाँ पचने वाला है?
भाष्कर ने कहा कि भाजपा सिर्फ हिंदु-मुसलमान जैसे मुद्दों को भुनाने में लगी हुई है। बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भाजपा के लोग ‘धर्म’ का वह माहौल बनाने में लगे हुए हैं, जिससे दंगे और हिंसा जैसे हालात बने। ऐसे में मोहम्मद जुबैर जैसे लोग अपना काम बखूबी कर रहे हैं।
बुर्ज खलीफा पर राम के चित्र का दावा भी गलत था
वहीं, जुबैर ने हाल ही में न्यूज चैनल आउटलेट, आज तक, पत्रिका सहित कई यूजर्स के उस खबर को झूठा बताया था, जिसमें दावा किया गया था कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन दुबई के बुर्ज खलीफा पर राम की तस्वीरें प्रदर्शित की गईं हैं।
सोशल मीडिया पर जुबैर ने लिखा, कि यह सच नहीं था। यह गलत दावा करने के लिए एडिटेड तस्वीरें शेयर की गईं हैं।
ऐसे ही फैक्ट को चेक करने वाले जुबैर को सम्मान देने पर भाजपा के तमिलनाडु अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने सत्तारुढ़ द्रमुक पर सवाल उठाया है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा कि गणतंत्र दिवस पर एक पक्षपाती और जोड़तोड़ करने को वाले सामाजिक सद्भाव का पुरस्कार देना पूर्व में सम्मानित हुए सभी गणमान्य लोगों को अपमान है। कहा कि द्रमुक सरकार ने फैक्ट चेकर के भेष में आधे-अधूरे सच बेचने वालों के प्रति नई पसंद विकसित की है। कहा कि जनता के टैक्स को बरबाद किया गया है जिससे सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने नफ़रती और भड़काऊ मीडिया पोस्ट के ज़रिए होने वाली हिंसा को रोकने में मोहम्मद जुबैर के योगदान को सराहा है।
वहीं, तमिलनाडु सरकार का कहना है कि मार्च 2023 में सोशल मीडिया में दावा किया गया था कि तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर हमले हो रहे हैं। ऐसे दावे करने वाले वीडियो क्लिप की प्रामाणिकता की पुष्टि करने के बाद जुबैर और उनके संस्थान ने यह स्पष्ट किया था कि सभी दावे झूठे थे और ऐसे हमले तमिलनाडु में नहीं हुए।
बतादें, तमिलनाडु सरकार ने सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2000 में कोट्टई अमीर साम्प्रदायिक सद्भाव पुरस्कार की शुरुआत की थी। सामाजिक सद्भाव को बनाए रखने और उसे बढ़ावा देने में सराहनीय एवं उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को यह पुरस्कार दिया जाता है। इसके तहत एक पदक, 25 हजार रुपये का नकद राशि सहित एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।