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ग्राउंड रिपोर्ट

मिर्जापुर : मिशन जलशक्ति के तहत नहीं मिल रहा शुद्ध पेयजल

मिर्जापुर में मिशन जल शक्ति के तहत हर घर नल योजना, कार्यदायी संस्था की लापरवाही की चढ़ रही भेंट। किसी के घर अभी नल ही नही लगा तो वहीँ किसी के यहां पहुंच रहा गंदा और बदबूदार पानी।

मिर्जापुर। प्रधानमंत्री नल जल योजना वर्ष 2019 से चल रही है, जिसमें वर्ष 2024 तक सभी को यह सुविधा मिल जाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन मिर्जापुर जिले के रायगढ़ ब्लाक में केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी हर घर नल योजना का पलीता लगता हुआ दिख रहा है। लोगों के घरों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति न होने से ग्रामीणों में आक्रोश है। ग्रामीणों का आरोप है कि टोटी से गंदा और बदबूदार पानी आता है।

स्थानीय स्तर पर मिशन जल शक्ति योजना का काम करवा रही कार्यदायी संस्था की ओर से काम काफी धीमी गति से किया जा रहा है जिसके कारण रायगढ़ गांव के दर्जनों घरों में अभी तक पेयजल आपूर्ति के लिए कनेक्शन और टोटी नहीं लगाई गई।

इस बाबत अभियंता अरूण कुमार ने बताया है कि राजगढ़ विकास खंड के खोराडीह में लगाए गए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से 89 गांवों के 21 हजार घरों में कनेक्शन देने का काम पूरा हो चुका है। गांवों में जल की आपूर्ति के लिए 14 जगहों पर टंकियां बनाई गई हैं। टंकियों का काम भी पूरा हो चुका है। इन टंकियों के माध्यम से ही गांवों में पेयजल आपूर्ति की जा रही है।

उन्होंने आगे बताया कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को चलाने के लिए अभी बिजली का कनेक्शन नहीं हुआ है। प्लांट को डीजल से चलाने में काफी खर्च आ रहा है, जिसके कारण रोक-रोक कर पेयजल आपूर्ति की जा रही है।

कोन भरूहवा में बनाई गयी टंकी की बाबत गांव के लोगों का कहना है कि टंकी से पानी टपकता रहता है। यही नहीं जमीन के अन्दर से आने वाली पाइप से काफी मात्रा में पानी की बर्बादी हो रही है। विभाग के कर्मचारी इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं।

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योजना की शुरुआत 2019 में जल जीवन मिशन के तहत केवल 17 प्रतिशत कवरेज के साथ ‘हर घर नल से जल’ योजना शुरू की गई थी। पीएम मोदी ने इसके तहत हर घर को कवर करने के लिए 5 साल का लक्ष्य तय किया था। सरकार का ऐसा कहना है कि इस साल योजना के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर रहा है, जिसने अकेले भारत में 2.16 करोड़ में से 90.12 लाख नए नल कनेक्शन लोगों को दे दिए हैं।

जल जीवन मिशन के लिए केंद्र सरकार ने 360 लाख करोड़ रुपये का बजट तय किया है। इस मिशन के लिए केंद्र और राज्य सरकार अलग-अलग बजट देंगी। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत सरकार ने इस योजना के लिए 20,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी जल जीवन मिशन के लिए 2024 के बजट में 22 हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया है।

योजना में इतनी भारी भरकम राशि खर्च की जा रही है लेकिन दुखद पहलू यह है कि कार्यदायी संस्था, अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभग से यह योजना आगे नहीं बढ़ पा रही है। इसके लिए देखा जाय तो सीधे तौर पर प्रदेश और केन्द्र की सरकारें जिम्मेदार हैं। योजना के तहत आज पूरे देश में काम हो रहा है।

लेकिन सवाल यह है कि सत्ता में बैठे जिम्मेदार नेताओं को क्या इस बात की जानकारी नहीं होगी? इस बात का सीधा सा जवाब यह है कि उन्हें इस भ्रष्टाचार की पूरी जानकारी है, लेकिन जो लोग ठेकेदारी कर रहे हैं, वे लोग भी तो आज सत्ता में बैठे इन्हीं लोगों के नजदीकी हैं। ऐसे में भ्रष्टाचार करने से भला इन्हें कैसे रोका जा सकता है। हां यदि विपक्ष का कोई नेता यदि इस प्रकार की किसी योजना में संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ ईडी और सीबीआई जरूर लगा दी जा रही है।

इस प्रकार से देखा जाय तो हर घर नल योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही है। नल को लगाने में बालू और सीमेंट की उचित मात्रा में प्रयोग का ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जमीन के अन्दर पाइप को कितने अन्दर गाड़ना है, से लेकर टोटी और पाइप की क्वालिटी का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है। यही नहीं जब कनेक्शन मिल गया तो लोगों को पानी ही नहीं मिल रहा है। जिसके घर में पानी आ भी रहा है तो वह बदबूदार और गंदा।

समग्र रूप से देखा जाय तो हर घर नल योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता जा रहा है। जिम्मेदार अफसर अपनी आंखे बंद कर तमाशबीन बने हुए हैं।

गाँव के लोग
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