Friday, December 6, 2024
Friday, December 6, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमपूर्वांचलवाराणसी : काशी द्वार योजना के विरोध में किसानों का अनशन शुरू

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

वाराणसी : काशी द्वार योजना के विरोध में किसानों का अनशन शुरू

काशी द्वार के नाम पर किसानों से ली जायेंगी 10 गांवों की 15 सौ बीघा जमीनें। किसानों ने चेताया है कि यदि योजना जल्द ही रद्द नहीं हुई तो लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

पिण्डरा। क्षेत्र के किसान काशी द्वार और आवासीय योजना के नाम पर जमीन जाने के डर से एक बार फिर से आंदोलन की राह पर चल पडे़ हैं। किसानों का कहना है कि पिंडरा की एसडीएम की ओर से कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री के वाराणसी आगमन के पूर्व आश्वासन दिया गया था कि उनकी समस्याओं से डीएम को अवगत करायेंगे और समस्या का समाधान निकाला जायेगा। लेकिन प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद वे अपने वादे से मुकर गई। जिसके कारण उन्होंने फिर से आंदोलन शुरू कर दिया है। अब यह आन्दोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक काशी द्वार योजना निरस्त नहीं हो जाती है।

किसानों की मांग क्या है?

संयुक्त किसान मजदूर मोर्चा के अध्यक्ष फतेहनारायण सिंह ने बताया कि काशी द्वार और आवासीय योजना के नाम पर 10 गांवों की 15 सौ बीघा जमीन शासन की ओर से लेने का खाका तैयार किया गया है। जब हमें इस बात की जानकारी हुई तो हमने इसका विरोध शुरू कर दिया। यह आंदोलन काफी दिनों तक लगातार चलता रहा। इधर मोदी के वाराणसी कार्यक्रम से पूर्व एसडीएम पिंडरा से हमारी बातचीत हुई और उन्होंने हमारी बात डीएम से कराने और इस समस्या का समाधान निकालने की बात कहते हुए धरना खत्म करने का अनुरोध किया। उनके आश्वासन पर हमने धरना खत्म कर दिया। इधर जब हमने आवास विकास परिषद के अधिकारियों से बात करनी चाही तो उन्होंने बात करने से मना कर दिया। कल से हमने फिर आंदोलन शुरू कर दिया है। इस बार यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक इस योजना को सरकार रद्द नहीं कर देती है।

पिंडरा तहसील के सामने चल रहे आंदोलन में शामिल किसान संतोष पटेल कहते हैं मेरे पास तीन बीघा ही जमींन है, जब हमारी जमीन चली जाएगी तो हम क्या और कैसे खाएंगे? जब जमीन ही नहीं रहेगी तो किसान और इस देश के लोग क्या खाएंगे? हमारी मांगों पर सरकार ने जल्द से जल्द विचार नहीं किया तो क्षेत्र के किसान भाई लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

काशी द्वार और आवासीय योजना क्या है?

काशी द्वार और आवासीय योजना 10 गांवों की 15 सौ बीघा जमीन में बनाया जायेगा। सरकार की ओर से यह योजना पिंडरा में शुरू की जानी है। योजना में पार्क, स्कूल और आवासीय कालोनियां बनाई जानी हैं।

किसान जमीन क्यों नहीं देना चाहता?

एक किसान के लिए उसकी जमीन ही सब कुछ होती है। सुबह उठते ही कोई काम न होने के बावजूद भी वह अपने खेतों में चला जाता है और कुछ न कुछ काम खेतों में करता रहता है, भले ही उसके पास एक ही बीघा खेत हो। खेतों से वह कुछ न कुछ पैदा कर ही लेता है जो उसकी आजीविका में सहायक होता है। जमीन चले जाने के बाद उसे जो पैसे मिलेंगे, वह उसके पास बचेगा नहीं। कभी दवा-दारू के नाम पर खर्च हो जायेगा तो कभी कोई जरूरत का सामान लेने में। यही नहीं किसान के बाद उसके बच्चे उस खेती से अन्न पैदा करके अपना जीवन यापन करते हैं, लेकिन जब खेती ही नहीं रहेगी तो उनके बच्चों का भविष्य भी अंधकारमय हो जाएगा।

बहरहाल, जो भी हो एक तरफ सरकार काशी द्वार योजना के नाम पर 15 सौ बीघा जमीन लेने पर कायम है तो वहीं दूसरी ओर किसान भी अपनी जमीन न देने पर अड़े हुए हैं। आने वाला वक्त ही यह तय करेगा कि कौन अपने मंसूबे में कामयाब होता है और किसके हाथ निराशा लगती है।

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here