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आजमगढ़ : मोदी के लिए खड़ी फसल रौंदी गई, प्रशासन ने मुआवजा देने से किया इंकार

एक तरफ जहां देश के प्रधानमंत्री किसानों के हित की बात करते हैं वहीं दूसरी तरफ उनका आचरण किसान विरोधी नजर आता है। आजमगढ़ में किसानों की खड़ी फसल रौंद दी गई, अब जिला प्रशासन उचित मुआवजा देने में आनाकानी कर रहा है।

आजमगढ़/ लखनऊ। 09 मार्च 2024 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा के लिए किसानों की फसल को मिट्टी में मिला देने को लेकर किसान एकता समिति ने प्रभावित किसानों से मुलाकात की। पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव और सोशलिस्ट किसान सभा के नेतृत्व में किसान नेताओं का प्रतिनिधि मंडल प्रभावित किसानों से आज मुलाकात करेगा।

एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पूर्वांचल किसान यूनियन महासचिव वीरेंद्र यादव और सोशलिस्ट किसान महासभा राष्ट्रीय महासचिव राजीव यादव ने कहा कि कृषि प्रधान देश में नरेंद्र मोदी भाषण के लिए खेतों की फसलों को तबाह करके किस मुंह से किसानों की बात करेंगे? खड़ी फसल को तबाह कर किसानों के सपनों पर बुलडोजर चलाने का काम किया गया। करोड़ों की परियोजना के उद्घाटन के बड़े-बड़े वादों की हकीकत यह है कि जिस मंच से ये दावे किए जाएंगे उस जमीन से फसल नहीं किसानों की आशाओं को उखाड़ फेका गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 10 मार्च 2024 को होने वाली जनसभा के लिए मंदुरी एयरपोर्ट के उत्तर की तरफ किसानों की खड़ी फसल गेंहू-सरसो को काट कर कार्यक्रम स्थल बनाया गया है। प्रभावित किसानों से किसान एकता समिति के अध्यक्ष विनोद उपाध्यक्ष रामविलास संयोजक महेंद्र यादव, महामंत्री रामदेव महंत, नंदलाल यादव और अन्य ने किसानों से मुलाकात की।

किसान एकता समिति के अध्यक्ष विनोद उपाध्यक्ष रामविलास संयोजक महेंद्र यादव, महामंत्री रामदेव महंत, नंदलाल यादव और अन्य किसान

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किसानों ने बताया कि जिलाधिकारी से खेतों से होने वाले गेहूं-सरसो और भूसा के लिए 3500 प्रति बिस्वा की दर से मांग की गई। बाद में राजस्व निरीक्षक लेखपाल मंदुरी ग्राम प्रधान द्वारा हमें अवगत कराया गया कि प्रशासन द्वारा जो भी फसल का मुआवजा मिल रहा है, ले लीजिए नहीं तो कुछ नही मिलेगा। इससे सभी किसान असंतुष्ट थे। असमय फसल कटने से अनाज तो अनाज भूसा भी नहीं मिलेगा। भूसा न होने से पशुओं को चारे का संकट होगा। बुजुर्गों-बच्चों को दूध नसीब नहीं होगा। दूध बेचने से जो पैसे मिलते थे, उससे किसानों के बच्चों की दवाई-पढ़ाई में आसानी हो जाती थी।

किसान और बटाई पर खेती करने वाले मजदूर बहुत दुखी और चिंतित हैं कि हमारा परिवार साल भर कैसे खाएगा? घर का खर्चा कैसे चलेगा? पशु के लिए चारा कैसे मिलेगा? खेतों की मेड़बंदी कैसे होगी? क्योंकि इससे पहले भी प्रधानमंत्री की इसी जगह जनसभा हुई सबके खेतों को समतल कर दिया गया, आश्वाशन दिया गया मेड़बंदी के लिए भुगतान किया जाएगा परन्तु भुगतान नहीं हुआ। किसी तरह स्वयं खेतों की मेड़बंदी किसानों ने किया।

प्रतिनिधि मंडल ने प्रभावित किसान चंद्रशेखर राजभर, राजिंद्र राजभर, मुलायम राजभर, आशा देवी, पांचू निषाद, रामफल निषाद, कालीचरण निषाद, हरदेव राजभर, देवई रसूलपुर के किसान राजदेव यादव, कलावती देवी, सुराती देवी, चंद्रिका यादव, सहदेव यादव, गदनपुर हिच्छनपट्टी के लालजीत यादव, भोले यादव, हरिहर यादव, शिव मूरत यादव, प्रताप यादव, विजय यादव, घनश्याम यादव, सुरेश यादव आदि से मुलाकात की।

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