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ग्राउंड रिपोर्ट

वाराणसी : सीवर सफाईकर्मी को सुरक्षा उपकरणों के बिना ही मेनहोल में उतारा, दम घुटने से हुई मौत

देश में 2018 से नवंबर 2023 तक 400 से अधिक सफाईकर्मियों की मौत हुई है। 2018 में 76 मौतें, 2019 में 133, 2020 में 35, 2021 में 66, 2022 में 84 और नवंबर 2023 तक 49 मौतें दर्ज की गई थीं।

वाराणसी के राजघाट क्षेत्र में रविदास मंदिर के सामने सीवर की सफाई हेतु मेनहोल में उतरे मछोदरी निवासी सफाईकर्मी की दम घुटने से शुक्रवार की शाम को मौत हो गई। मृतक सफाईकर्मी घूरे लाल 45 वर्ष के थे एवं दलित समुदाय से ताल्लुक रखते थे। घूरे लाल लगभग 15 वर्षों से सीवर सफाई कार्य से जुड़े थे। वह गोला घाट स्थित सीवेज पंपिग स्टेशन पर ठेकेदार के अधीन काम करते थे। मृतक के चार बच्चे हैं। जिनमें 2 बेटियाँ और 2 बेटे हैं। 

NDRF की टीम ने 3 घंटे की मशक्कत के बाद घूरे लाल को मेनहोल से बाहर निकाला। मंडलीय अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस मामले में जिलाधिकारी ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं।

सफाईकर्मी को बिना सुरक्षा उपकरणों के मेनहोल में उतारा 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सफाईकर्मी घूरे लाल को बिना सुरक्षा उपकरणों के एक रस्सी के सहारे मेनहोल में उतार दिया गया था। अंदर जहरीली गैस में दम घुटने से उनकी मौत हो गई। लीलावती कन्स्ट्रक्शन नामक कंपनी सीवर सफाई का काम करा रही थी। यह कंपनी ठेका प्रथा के द्वारा सीवर सफाई का कार्य कराती है।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, किसी इंसान को सीवर लाइन में उतरने के लिए मजबूर करना अपराध है, केवल आपातकालीन स्थिति में ही आवश्यक सुरक्षा उपकरणों के साथ ही ऐसा किया जा सकता है। 

मैनुअल स्कैवेंजिंग कानून 2013 एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार किसी भी सफाई कर्मचारी को बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर सेप्टिक टँक में उतारना दंडनीय अपराध है। इसके तहत जुर्माने एवं जेल दोनों का प्रावधान है। कानून के अनुसार ऑक्सीजन, मास्क, जूते, सेफ़्टी बेल्ट समेत 56 उपकरण बताए गए हैं जिनका सफाईकर्मियों की सुरक्षा हेतु प्रयोग किया जाना चाहिए। 

इन आदेशों के बावजूद देश में सफाईकर्मियों की जान एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की चिंता किए बिना ही धड़ल्ले से बिना उपकरणों के ही सफाई कर्मियों को मेनहोल में उतार दिया जाता है। 

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रामदास अठावले ने सवाल के जवाब में बताया था, देश में ‘2018 से नवंबर 2023 तक 400 से अधिक सफाईकर्मियों की मौत हुई है। 2018 में 76 मौतें, 2019 में 133, 2020 में 35, 2021 में 66, 2022 में 84 और नवंबर 2023 तक 49 मौतें दर्ज की गई थीं।’ 

मुआवजा देने में भी होती है लापरवाही

सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में आदेश दिया था कि सीवर सफाई के दौरान मरने वाले सफाईकर्मी के परिजनों को सरकार द्वारा 30 लाख रूपये का मुआवजा देना होगा।

सफाई कर्मचारी आयोग के आंकड़ों के अनुसार 1993 से 31 मार्च 2023 के बीच देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सीवर में होने वाली मौतों की 1081 घटनाओं में से 925 मामलों में ही मुआवजा दिया गया। 

सीवर सफाई प्रक्रिया को मानव रहित बनाकर सफाईकर्मियों की जान को बचाया जा सकता और इस अमानवीय प्रथा का अंत भी किया जा सकता है। यह कोई बड़ी बात नहीं है, सीवर की सफाई करने के लिए मशीनें उपलब्ध हैं, सीवर सफाई के लिए रोबोटस का प्रयोग भी किया जाने लगा है। हमारे माननीय नेताओं को सफाईकर्मियों के पैर धोने के साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि सफाईकर्मियों को सफाई के दौरान जीवन रक्षक उपकरण उपलब्ध हों और जान जोखिम में डालकर मेनहोल में सफाई करने के लिए न उतरना पड़े। 

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