Saturday, April 19, 2025
Saturday, April 19, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमसामाजिक न्यायअंबेडकर जयंती पर महिलाओं के समता, समानता और सुरक्षा के लिए उपवास...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

अंबेडकर जयंती पर महिलाओं के समता, समानता और सुरक्षा के लिए उपवास कार्यक्रम

अपराधियों को सीधे गोली मारकर  जहन्नुम भेजने का दावा करने वाले पुलिसस्टेट में तब्दील हो चुके राज्य में डबल इंजन की नाक के नीचे सेक्स और नशे का धंधा करने का आरोप है इन बदमाशों पर। ये इम्पॉसिबल है कि बिज़नेस मॉडल के ऐसे संगठित अपराध बिना पुलिस के जानकारी के फल फूल पाएं।

भारत में प्रतिदिन 86 रेप की घटनाएं हो रही हैं। ये आंकड़ा NCRB का है। ये पुलिस थानों में दर्ज FIR है। सोचिए ऐसी कितनी ही रेप की घटनाएं हैं जो पारिवारिक और सामाजिक दबाव की वजह से सामने नहीं आ पा रही होंगी। NCRB के आंकड़े डराने वाले है और ये सवाल भी खड़ा कर रहा है कि सरकार आखिर क्या कर रही है जो आंकड़े घटने की बजाय बढ़ रहे है। धीरे-धीरे रेप का कल्चर जो बनता जा रहा है उसको रोकना होगा।

उज्जैन की भीड़ भरी सड़क पर दिनदहाड़े एक महिला के साथ हुए भयावह बलात्कार से लेकर कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के साथ क्रूर बलात्कार और हत्या तक, भारत में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा का बढ़ता संकट केवल भयावह आंकड़ों की एक श्रृंखला नहीं है – यह एक गंभीर राष्ट्रीय त्रासदी है। ये घटनाएँ अलग-थलग या बेतरतीब नहीं हैं। ये देश भर में व्यवस्थागत पतन के साफ़ प्रमाण हैं।

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में 23 लोगों द्वारा एक उन्नीस साल की लड़की के साथ गैंगरेप की ख़बर ने शोषण , महिला हिंसा, पितृसत्ता और गैर-बराबरी टाइप शब्दों की जरूरत और समझदारी पर सोचने की कॉल दी है। अपराधियों को सीधे गोली मारकर जहन्नुम भेजने का दावा करने वाले पुलिसस्टेट में तब्दील हो चुके राज्य में डबल इंजन सरकार की नाक के नीचे सेक्स और नशे का धंधा करने का आरोप है इन बदमाशों पर। ये असंभव है कि बिज़नेस मॉडल के ऐसे संगठित अपराध बिना पुलिस के जानकारी के फल-फूल पाएं। इस ख़बर ने एक बार फिर महिला सुरक्षा के दावे की हवा निकाल दी है।

ध्यान देने की बात है की यह कोई अकेली घटना नहीं है। आईआईटी स्टूडेंट के साथ गैंगरेप की घटना, बिहार की नीट की तैयारी कर रही छात्रा की मौत, सिटी स्टेशन पर मुसहर बच्ची के साथ दुर्दांत काण्ड आदि घटनाओं की सूची लंबी है।

सभी केस में लड़की के चाल-चलन कैरेक्टर पहनावे पर ही बात घुमा-फिराकर ले आई जाती है। इस केस में भी ऐसा शुरू हो गया है। लड़कियों को खुलेआम ऐसे नहीं ऐसे रहना चाहिए की सीख देने वाला पितृसत्तात्मक समाज नेशनल क्राइम रिकॉर्ड 2024 में घरेलू हिंसा के 26 हजार दर्ज केसों पर चुप्पी साध लेता है। इन केसेज़ में 54% अकेले अपने मर्दाना  शरीर यूपी के है।

हम सब को यह देखना चाहिए की अपराधियों का राजनीति में बढ़ता दख़ल, ज्यादा बच्चे पैदा करने की बात करने वाले धार्मिक बाबाओं की स्वीकार्यता, रेप की सजा पाए हुए राम रहीम और आशाराम जैसे लोगो का आए दिन पैरोल पर खुलेआम घूमना, चुनाव प्रचार करना इत्यादि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध को बढ़ावा देता है। विज्ञापन से लेकर सिनेमा तक स्त्री देह को परोस रहा है, भोग की वस्तु मात्र बनाकर दिखा रहा है।

प्रतिदिन 86 रेप की संख्याएँ वे हैं जो बहुत हिम्मत और कोशिशों से दर्ज हो पाई है। सोचिये लोकलाज और क़ानूनी पचड़ों से घबड़ाते हुए और न जाने कितने केस दर्ज नहीं हो पाते होंगे। बनारस में गैंगरेप की घटना ने महिला सुरक्षा के दावों की पोल खोल दी है। यह समस्या केवल कानून की नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव की भी मांग करती है। हमें स्त्री विरोधी पितृसत्तात्मक विचार वाले कार्य, संस्कृति और रहन-सहन से अलग होने की जरूरत है, बाजार द्वारा मर्दानगी से बनाए गए सिस्टम को सॉफ्ट संवेदनशील और सहिष्णु बनाने के लिए आगे आना चाहिए।

बनारस अर्धनारीश्वर शिव और शक्ति के दर्शन का शहर है। शिव और पार्वती साथ बैठने वाले ईश्वर हैं। गैरबराबरी के खिलाफ हमारे समाज को इस प्रतीक से शिक्षा लेने की सीख लेने की जरूरत है। बाबा साहब ने महिलाओं के हक हुक़ूक़ दिलवाने के लिए जो कानून संविधान में जोड़े सम्पत्ति का अधिकार से लेकर तमाम कानूनों और कोशिशों का मतलब तभी है जब हमारे जीवन मे समता समानता और न्याय की बात उतरे।

आज के उपवास कार्य्रकम में मुख्य रूप से चित्रा सहस्रबुद्धे, डॉ इन्दु पाण्डेय, नीति, पारमिता, एकता शेखर, टैंन, सुनील सहस्रबुद्धे, नीतू, अनन्या मीठी, धनञ्जय, रोमान, रवि शेखर, आर्या, शिवांगी, अनामिका, हेतवी, रूमान, अनुराग, ओम शुक्ला इत्यदि शामिल रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here