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महाराष्ट्र के अकोला के एक गांव ने मराठा आरक्षण घोषित होने तक नेताओं का प्रवेश वर्जित किया

अकोला (भाषा)। महाराष्ट्र के अकोला जिले के चरणगांव के निवासियों ने रविवार को कहा कि जब तक मराठा समुदाय के लिए आरक्षण घोषित नहीं हो जाता, तब तक गांव में नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंधित रहेगा। ग्रामीणों ने पतूर तालुका में गांव के बाहर एक बोर्ड लगाया है, जिस पर घोषणा की गई है कि […]

अकोला (भाषा)। महाराष्ट्र के अकोला जिले के चरणगांव के निवासियों ने रविवार को कहा कि जब तक मराठा समुदाय के लिए आरक्षण घोषित नहीं हो जाता, तब तक गांव में नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंधित रहेगा।

ग्रामीणों ने पतूर तालुका में गांव के बाहर एक बोर्ड लगाया है, जिस पर घोषणा की गई है कि जब तक राज्य सरकार नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की घोषणा नहीं करती, तब तक किसी भी राजनीतिक दल के नेता को गांव में प्रवेश नहीं मिलेगा। ग्रामीण राजेश देशमुख ने दावा किया, ‘चरणगांव इस तरह का निर्णय लेने वाला अकोला का पहला क्षेत्र है’ ’एक अन्य ग्रामीण ने कहा, ‘अगर राजनेता अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोच सकते हैं, तो हम क्यों नहीं और इसके लिए हमें आरक्षण की जरूरत है।’

मराठा समुदाय का एक वर्ग आरक्षण उद्देश्यों के लिए ओबीसी श्रेणी में शामिल किये जाने की मांग कर रहा है। आरक्षण की मांग के समर्थन में पिछले कुछ महीनों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में मराठा समुदाय के सदस्यों द्वारा आत्महत्या करने की कई खबरें आई हैं।

मराठों और धनगरों को आरक्षण दें, जरांगे की जिंदगी से न खेलें : उद्धव ठाकरे

मुंबई (भाषा)। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लाभों को प्रभावित किये बिना मराठा और धनगर समुदायों को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाना चाहिए।

दूसरी ओर, मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की ‘ब्राह्मण’ वाली टिप्पणी पर उनकी आलोचना की। फडणवीस ने समाचार चैनल पर कहा था कि ब्राह्मण होने के कारण उन्हें आसानी से निशाना बनाया जा रहा और वह अपनी जाति बदलने के लिए कुछ नहीं कर सकते।

मराठा समुदाय का एक वर्ग आरक्षण उद्देश्यों के लिए ओबीसी श्रेणी में शामिल किये जाने की मांग कर रहा है, जबकि धनगर एसटी का दर्जा चाहते हैं।

ठाकरे ने एक बयान में कहा कि भूख हड़ताल पर बैठे मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के जीवन से खेलने के बजाय, एकनाथ शिंदे सरकार को इस समुदाय को आरक्षण देना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि सामाजिक ताना बाना प्रभावित न हो। साथ ही आरोप लगाया, ‘जरांगे की जिंदगी बचाने का उसका (सरकार का) कोई इरादा नहीं है।’ मराठा समुदाय के युवा आरक्षण की मांग को लेकर आत्महत्या कर रहे हैं। ठाकरे ने पूछा, ‘क्या सरकार (इस) समुदाय के लोगों की मौत के बाद आरक्षण का आदेश देगी?’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ‘मन की बात’ कर रही है, जबकि उसके ‘मन’ में कोई भावना है ही नहीं।

उधर, फडणवीस के बयान की अलोचना करते हुए जरांगे ने जालना में कहा, ‘अगर वह अपनी जाति नहीं बदल सकते, तो हम मराठा भी अपनी जाति नहीं बदल सकते। वह गलतियां कर रहे हैं और इसीलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। फडणवीस को जाति के मुद्दों पर चर्चा करने से बचना चाहिए।’

जरांगे ने कहा कि फडणवीस द्वारा एक सितंबर को यहां आरक्षण कार्यकर्ताओं पर पुलिस कार्रवाई के लिए ‘माफी मांगने’ के बाद उन्हें (फडणवीस को) माफ कर दिया है।उन्होंने कहा, ‘फडणवीस को महाराष्ट्र विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए और मराठों को आरक्षण देने के लिए एक कानून पारित करना चाहिए। समुदाय इस तरह के कदम के लिए उनका बेहद सम्मान करेगा।’ जरांगे समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर 25 अक्टूबर से जालना में आमरण अनशन पर हैं।

जरांगे ने जालना के संरक्षक मंत्री और भाजपा नेता अतुल सावे की उनके ‘मराठा विरोधी रुख’ के लिए आलोचना की और आरक्षण मुद्दे का समर्थन करने के लिए केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले तथा वंचित बहुजन आघाड़ी नेता प्रकाश आंबेडकर की सराहना की।

आरक्षण की मांग के समर्थन में पिछले कुछ महीनों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में मराठा समुदाय के सदस्यों द्वारा आत्महत्या करने की कई खबरें आई हैं।

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