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कुश्ती संघ के नए अध्यक्ष के विरोध में बजरंग पूनिया ने लौटाया पद्मश्री पुरस्कार, पीएम को लिखा पत्र

नई दिल्ली। भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने भारतीय कुश्ती संघ के नए अध्यक्ष संजय सिंह के विरोध में अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटा दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। भारतीय पहलवान और ओलम्पिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने अपनी माँगें […]

नई दिल्ली। भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने भारतीय कुश्ती संघ के नए अध्यक्ष संजय सिंह के विरोध में अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटा दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी।

भारतीय पहलवान और ओलम्पिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने अपनी माँगें न सुनी जाने के कारण पद्मश्री पुरस्कार लौटाने की बात कही है। उन्होंने लिखा, ‘मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्रीजी को वापस लौटा रहा हूँ। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है। यही मेरा स्टेटमेंट है।’

बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री मोदी को खत में लिखा- माननीय प्रधानमंत्री जी, उम्मीद है कि आप स्वस्थ होंगे। आप देश की सेवा में व्यस्त होंगे। आपकी इस भारी व्यस्तता के बीच आपका ध्यान हमारी कुश्ती पर दिलवाना चाहता हूं। आपको पता होगा कि इसी साल जनवरी महीने में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ पर काबिज बृजभूषण सिंह पर सेक्सुएल हरासमैंट के गम्भीर आरोप लगाए थे, जब उन महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो मैं भी उसमें शामिल हो गया था।

लेकिन बीती 21 दिसंबर को हुए कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण एक बार दोबारा काबिज हो गया है। उसने स्टेटमैंट दी कि ’दबदबा है और दबदबा रहेगा।’ महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोपी सरेआम दोबारा कुश्ती का प्रबंधन करने वाली इकाई पर अपना दबदबा होने का दावा कर रहा था। इसी मानसिक दबाव में आकर ओलम्पिक पदक विजेता एकमात्र महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास ले लिया। हम सभी की रात रोते हुए निकले। समझ नहीं आ रहा था कि कहाँ जाएँ, क्या करें और कैसे जिएँ। इतना मान-सम्मान दिया सरकार ने, लोगों ने। क्या इसी सम्मान के बोझ तले दबकर घुटता रहूँ।

साल 2019 में मुझे पद्मश्री से नवाजा गया। खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। जब ये सम्मान मिले तो मैं बहुत खुश हुआ। लगा था कि जीवन सफल हो गया। लेकिन आज उससे कहीं ज्यादा दुखी हूँ और ये सम्मान मुझे कचोट रहे हैं। कारण सिर्फ एक ही है, जिस कुश्ती के लिए ये सम्मान मिले उसमें हमारी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए कुश्ती तक छोड़नी पड़ रही है। खेल हमारी महिला खिलाड़ियों के जीवन में जबरदस्त बदलाव लेकर आए थे। पहले देहात में यह कल्पना नहीं कर सकता था कि देहाती मैदानों में लड़के-लड़कियां एक साथ खेलते दिखेंगे। लेकिन पहली पीढ़ी की महिला खिलाड़ियों की हिम्मत के कारण ऐसा हो सका। हर गाँव में आपको लड़कियाँ खेलती दिख जाएंगी और वे खेलने के लिए देश विदेश तक जा रही हैं।

लेकिन जिनका दबदबा कायम हुआ है या रहेगा, उनकी परछाई तक महिला खिलाड़ियों को डराती है और अब तो वे पूरी तरह दोबारा काबिज हो गए हैं, उनके गले में फूल-मालाओं वाली फोटो आप तक पहुंची होगी। जिन बेटियों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अंबेसडर बनना था उनको इस हाल में पहुंचा दिया गया कि उनको अपने खेल से ही पीछे हटना पड़ा। हम “सम्मानित” पहलवान कुछ नहीं कर सके। महिला पहलवानों को अपमानित किए जाने के बाद मैं ‘सम्मानित’ बनकर अपनी जिंदगी नहीं जी पाउंगा। ऐसी जिंदगी कचोटेगी ताउम्र मुझे। इसलिए ये ‘सम्मान’ मैं आपको लौटा रहा हूं।

क्या था मामला

उल्लेखनीय है कि इसी साल जनवरी माह में पहलवान बजरंग पूनिया सहित देश के कई बड़े पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना शुरू कर दिया था। पहलवानों ने बृजभूषण और उनके समर्थकों पर महिला पहलवानों के यौन शोषण और मनमानी केआरोप लगाए थे। इसके बाद जाँच का आश्वासन मिलने पर पहलवानों ने धरना खत्म किया। वह जाँच से संतुष्ट नहीं हुए तो दोबारा धरना किया और इसमें जमकर बवाल हुआ। अंत में बृजभूषण हट गए और दोबारा चुनाव हुए।

गुरुवार को बृजभूषण के वफादार संजय सिंह 15 में से 13 मत जीतकर भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष चुने गए है। संजय सिंह के चुनाव जीतने के बाद साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें साक्षी ने विरोध जताते हुए कुश्ती छोड़ने की घोषणा की थी।

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