Sunday, February 9, 2025
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बनारस में घूमते हुए

बनारस मनोज को बांधता है . मुंबई से यहाँ आने के बाद वे यहाँ-वहां ऐसे ही घूमते हैं जैसे लकड़सुंघवा के पीछे कोई बालक. इस बार भी वही हुआ. आदत के मुताबिक मनोज ने घुमाई की और तस्वीरें भी उतारी और उनमें से कुछ यहाँ प्रस्तुत हैं. यह सेलिब्रेशन है बनारसी सिनेमाकार मनोज मौर्य की […]

बनारस मनोज को बांधता है . मुंबई से यहाँ आने के बाद वे यहाँ-वहां ऐसे ही घूमते हैं जैसे लकड़सुंघवा के पीछे कोई बालक. इस बार भी वही हुआ. आदत के मुताबिक मनोज ने घुमाई की और तस्वीरें भी उतारी और उनमें से कुछ यहाँ प्रस्तुत हैं. यह सेलिब्रेशन है बनारसी सिनेमाकार मनोज मौर्य की जर्मन फिल्म कॉन एनिमा के यूरोपीय रिलीज का और जल्दी ही ओटीटी पर आनेवाली द आइस केक का. बनारस पर भी मनोज की नज़र है . हाफ़ पेयर की शुरुआत होने वाली है . तब आप इन चित्रों का आनंद लीजिये. जिन्हें शीर्षक दिया गया है  बनारस में घूमते हुए .

 

जुलाई की तिपहरी में बनारस में गंगा और नावें

घाट पर दो अकेले

 

दरवाजों के पार

 

मुनाफे की तलाश में

एक ही जाल और एक अकेली मछली

भैंसों का नया आशियाना और दोपहर की नींद

 

गाँव के लोग
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