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ग्राउंड रिपोर्ट

भोज मंत्री का, पनीर प्रधान का, चूल्हा रिश्तेदार का, घी बाजार का, केवल आग दलित की

मिर्जापुर। चुनाव करीब है और चुनावी छल के ‘खेल’ भी शुरू हो चुके हैं। जिस तरह शतरंज के खेल में जीतता हमेशा राजा है और सिपाही मारे जाते हैं, उसी तरह राजनीति के खेल में भी सत्ता की कमान हमेशा किसी न किसी राजनीतिक दल के हाथ में ही होती है और जनता चुनावी जुमलों […]

मिर्जापुर। चुनाव करीब है और चुनावी छल के ‘खेल’ भी शुरू हो चुके हैं। जिस तरह शतरंज के खेल में जीतता हमेशा राजा है और सिपाही मारे जाते हैं, उसी तरह राजनीति के खेल में भी सत्ता की कमान हमेशा किसी न किसी राजनीतिक दल के हाथ में ही होती है और जनता चुनावी जुमलों के दुष्चक्र में फँसकर शतरंज के सिपाही की तरह मारी जाती है। लोकतन्त्र की पीठ पर यह खेल दिनों-दिन ज़्यादा शातिर होता जा रहा है। पहले इस खेल में सिर्फ राजनीतिक दलों के नेता होते थे, पर वर्तमान सरकार अपने पक्ष में चुनावी रुख बनाए रखने के लिए प्रशासन के लोगों को भी अपने प्रचारक रथ का पहिया बनाने से गुरेज नहीं कर रही है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है मिर्जापुर से, जहाँ एक दलित के घर पर प्री-प्लान्ड भोज का आयोजन पूरे सरकारी ताम-झाम के साथ रखा गया। इस भोज के लिए दलित परिवार ने किसी को कोई निमंत्रण नहीं भेजा था, बल्कि इस भोज के आयोजन के लिए उसे सरकारी तौर पर सूचनात्मक आदेश मिला था। साथ ही यह भी बता दिया गया था कि इस भोज में तुम्हारी सिर्फ आग होगी, शेष व्यवस्था सरकार का तंत्र करेगा। यह खेल इसलिए रचा गया था कि चुनाव से पूर्व सरकार दलित परिवारों को बता देना चाहती है कि वह किस तरह से उनकी हितैषी है। वह दलितों और वंचितों के कान में चिल्लाकर बता देना चाहती है कि हम ही तुम्हारे असली उद्धारक हैं। हम तुम्हारे हाथ का छूआ हुआ खाकर तुम पर वह एहसान कर रहे हैं, जिसकी तुमने अब तक कल्पना नहीं की थी।

मिर्जापुर जिले के शहर विकास खंड के शाहपुर चौसा गाँव में निवास करने वाले एक दलित परिवार की झोपड़ी में उस समय रौनक आ गई जब प्रदेश सरकार के काबिना मंत्री एवं मिर्जापुर के प्रभारी मंत्री नंद गोपाल ‘नंदी’, भाजपा कार्यकर्ताओं सहित जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के साथ भोजन करने पहुँच गए। इस भोज का आयोजन भाजपा के जिलाध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने करवाया था, क्योंकि इसी गाँव में उनका भी निवास है। इस ‘प्री-प्लान्ड भोज’ में पहुँचे भाजपा नेताओं और जिले के अफसरान के लिए ग्राम प्रधान के घर से पनीर, रिश्तेदार के घर से चूल्हा, बाजार से देसी घी, बोतल बंद मिनरल वॉटर सहित फाइबर के बर्तन (डिस्पोजल) आए। दलित के घर की सिर्फ आग थी। दलित परिवार ने भी इस भोज को पल भर की खुशी बताया है। उन लोगों को कहना है कि सरकार हमारे लिए कुछ ऐसा काम करे जिससे हमारे दुख कम हो जाएँ। दूसरी तरफ, नेताओं व अफसरों द्वारा दलित परिवार के घर इस तरह से दावत करने का दुष्चक्र बढ़ता ही जा रहा है।

भाजपा के सुनियोजित रूप से दलितों को अपने साथ जोड़ने की मुहिम के दौरान जमीन पर बैठकर डिस्पोजल प्लेट में पनीर की सब्जी, बाजरे की रोटी और गिलास में बोतल का पानी पी रहे भाजपा नेता एवं प्रशासनिक अधिकारी लोकसभा चुनाव के पहले दलितों का हितैषी होने का संदेश देना चाहते थे, लेकिन उनके इस रवैये पर विपक्षी पार्टियों सहित अन्य लोगों ने अपना कटाक्ष कर दिया और सवाल भी उठाए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर लिखा गया है कि जो दलित परिवार सरकारी योजनाओं से वंचित हैं, उसके घर में क्या ऐसे पकवान बनते होंगे? विपक्ष ने यहाँ तक आरोप लगाया है कि भाजपा नेताओं ने दलित परिवार की थाली, कटोरी और गिलास को छुआ तक नहीं। फाइबर के बर्तन मंगाकर भोजन किया। मिनरल वॉटर, पनीर की सब्जी का इंतजाम प्रधानपति सुजीत सिंह ने किया था। मंत्री एवं उनके साथ आए नेताओं व अफसरों को दलित की झोपड़ी में सिर्फ भोजन परोसा गया और मीडिया को बुलाकर फोटो सेशन कराया गया।

 

उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने मीरजापुर में एक समीक्षा बैठक के बाद शाहपुर चौसा गाँव में चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याओं को सुना। वहीं, प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से उन्हें अवगत भी कराया। इसके बाद चौसा गाँव की दलित गंगाजली के मिट्टी और खपरैल वाले मकान में पहुँचे मंत्री नंदी के साथ पूर्व मंत्री रमाशंकर सिंह पटेल, जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन, पुलिस अधीक्षक अभिनंदन, भाजपा जिलाध्यक्ष बृजभूषण सिंह एवं नगर पालिका परिषद अध्यक्ष श्याम सुंदर ने भोजन किया था। गंगाजली मिट्टी के चूल्हे पर बाजरे की रोटी सेंक रही थी तो बेलदारी कर परिवार का पालन-पोषण करने वाले पति उमाशंकर रोटी पर घी लगाकर दे रहे थे। गंगाजली की दो भतीजी अंजू और ज्योति अपनी चाची का सहयोग कर रही थीं। उसी झोपड़ी में एक गैस चूल्हा भी रखा हुआ था, जो इस भोज को लेकर वायरल हो रहे वीडियो में भी देखा जा सकता है। मंत्री नंदी ने दलित गंगाजली देवी को 21000 हजार रुपया दिया। वहीं खाना बना रही दोनों लड़कियों को 5100-5100 रुपये उपहार स्वरूप दिया।

मंत्री नंदी के भोज के बाद गंगाजली ने बजरिए दैनिक भास्कर से कहा कि ‘मंत्रीजी घर आए तो लगा अब सारी समस्याएँ दूर होंगी। हमारी भी सुनवाई होगी, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। हम लोगों ने तो खुद कभी देसी घी नहीं खाया। मगर मंत्रीजी के लिए बाजार से 100 रुपये का खरीदकर ले आए। वही घी रोटी में लगाकर उनको दिया था। उन्होंने हम लोगों को जो पैसा दिया है, उससे तो बस बेटे की दवा आ पाएगी। मगर हमारे सरकारी आवास और राशन कार्ड का वायदा कौन पूरा करेगा?’

सूत्रों के अनुसार, मंत्री के दावत के लिए दलित बस्ती में परिवार का चयन रविवार को किया गया था। खंड विकास अधिकारी एवं ग्राम प्रधानपति सुजीत सिंह ने इसकी जानकारी गंगाजली के पति को दी। इसके साथ ही कार्यक्रम के बारे में बताते हुए खर्च से निश्चिंत रहने को कहा गया था। बाजार से 24 रुपये प्रति किलो की दर से तीन किलो बाजरे का आटा उमाशंकर ले आए थे। जबकि दाल, चावल, पनीर की सब्जी, आलूदम, साग, सलाद, रायता और गुलाब जामुन गाँव के प्रधान के घर से आया था। घर पर आए वीआईपी मेहमानों का स्वागत और अपने हाथ से गरमागरम रोटी सेंकने वाली गंगाजली भोजन कराकर खुश हैं। उन्होंने बताया कि सोमवार को बड़े-बड़े लोग आए थे। काफी लोग बाहर खड़े थे। घर में छह लोगों को भोजन कराया गया था। मंत्रीजी ने भोजन के साथ ही बाजरे के रोटी की तारीफ की। मैडमजी ने फिर किसी दिन आने को कहा है। पूछा था क्या खिलाओगी? तब मैंने कहा था कि गरीब के घर में जो रहेगा वह जरूर खिलाऊँगी।

प्रदेश सरकार के मंत्री नंद गोपाल ‘नंदी’ ने दलित गंगाजली की सेवा से खुश होकर 21 हजार और उनकी भतीजी अंजू-ज्योति को 5100- 5100 सौ रुपया नगद लिफाफा में दिया। सरकारी योजना में क्या मिला के प्रश्न पर गंगाजली सपाट जवाब देती हैं कि अभी तक कोई लाभ नहीं मिला है। उनके परिवार के पास राशन कॉर्ड तक नहीं है।

घर में रखें गैस सिलेंडर के बारे में वह बताती हैं कि यह एक रिश्तेदार से माँग कर लाया गया है। बताया कि बड़े बेटे का पाँच माह का पुत्र जन्म से ही बीमार है। उसके लिए दूध गर्म करने के लिए लाया गया है। राशन कॉर्ड न होने के कारण आवास, शौचालय, गैस कनेक्शन, आयुष्मान योजना समेत कोई लाभ नहीं मिला है। बताया कि पौत्र के इलाज के लिए अबतक तीन लाख रुपया उधार लेकर खर्च किया गया है। 10 रुपया प्रति सैकड़ा ब्याज पर कुछ कर्ज लिया है। गंगाजली ने कहा कि जो रुपया मंत्रीजी से मिला था वह ब्याज भरने में खर्च हो गया। मंत्रीजी नगदी नहीं निशानी देते तो जिंदगी भर उनकी याद आती। अभी तक तो मेरे परिवार का राशन कार्ड ही नहीं बना है।

कोरोना ने छीन ली भतीजियों की पढ़ाई

भाजपा सरकार के मंत्री और जिले के अफसरान की सेवा में जुटीं भतीजी अंजू (पुत्री बच्चेलाल) की पढ़ाई 11वीं में एडमिशन के बाद बंद हो गई। इसी प्रकार ज्योति की भी पढ़ाई 9वीं के बाद कोरोना ने छीन ली। अंजू की माँ दुर्गा ने बताया कि कोरोना काल में एक हादसे के दौरान घर के मुखिया राजेंद्र प्रसाद का पैर टूट गया। आमदनी बंद होने से बिटिया की पढ़ाई भी बंद हो गई। अंजू और ज्योति के पिता कालीन बुनाई का काम करते हैं।

अंजू की टीचर तो ज्योति की हसरत है डाक्टर बनने की

अंजू ने बताया कि सोमवार को बड़े-बड़े लोगों की सेवा करने का मौका मिला लेकिन शिक्षा की बात करने पर वह मायूस हो गई। उसने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण पढ़ाई छूट गई। दोनों चचेरी बहनों ने कहा कि मौका मिला तो फिर पढ़ाई करूँगी। यह पूछने पर पढ़कर क्या बनेंगी? के सवाल पर सपना अभी जिंदा है।

सपा नेता अखिलेश यादव ने कसा तंज

मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ के दलित परिवार के घर खाना खाने पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तंज कसा है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ‘भाजपाई मंत्री वोट की खोज में, दलित के घर दिखावटी भोज में।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘एक दलित के घर बाहर से मंगवाई गई सब्जी, घी आदि को लाकर और फोटो खिंचवाकर झूठा ‘दलित प्रेम’ दिखलाने वाले भाजपा के मंत्रीजी अपने पीछे शिकायत भरी आशाएँ छोड़ गए हैं।’

वहीं, अखिलेश यादव के सोशल मीडिया पोस्ट पर जवाब देते हुए मंत्री नंदी ने कहा, ‘जब दिमाग में खालीपन हो और दृष्टि विकृत हो तो चूल्हे पर सिंकती बाजरे की रोटी और बहुत प्यार से बनाया गया सरसों का साग नहीं दिखता। गंगाजली देवी ने जिस स्नेह और आत्मीयता से विधायकगणों, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को खाना खिलाया, उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। एसी में बैठकर ऊलजुलूल, अनर्गल, अगम्भीर और तथ्यहीन ट्वीट करना ही आपकी विशेषज्ञता है।’

अपनी योजनाओं के माध्यम से भाजपा अक्सर दलितों का हितैषी बनने का प्रयास करती रही है, लेकिन उनके ‘प्री-प्लान्ड’ कार्यक्रमों की लीपापोती हो ही जाती है। इस प्रकरण से मिलता-जुलता एक मामला 2021 में भी उजागर हुआ था। जब 14 और 25 फरवरी को प्रभात खबर, सन्मार्ग समेत दूसरे कई अखबारों के कोलकाता के संस्करण में प्रधानमंत्री आवास योजना का एक विज्ञापन छपा था। विज्ञापन में मोदी की मुस्कुराती तस्वीर के साथ एक महिला की तस्वीर भी छपी थी। ‘आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर बंगाल’ के नारे के साथ इस विज्ञापन में लिखा था, प्रधानमंत्री आवास योजना में मुझे मिला अपना घर। सर के ऊपर छत मिलने से करीब 24 लाख परिवार हुए आत्मनिर्भर। साथ आइए और एक साथ मिलकर आत्मनिर्भर भारत के सपने को सच करते हैं।

जबकि जल्दी ही यह सच्चाई सामने आ गई कि जिस महिला की तस्वीर छापकर उसे 24 लाख का घर देने की बात कही गई थी, वह अपने झोपड़ी में पाई गई थी। उसके पास कोई पक्का घर नहीं था, जिसे सरकार ने बनवाकर दिया हो। यहाँ तक कि जब उसे विज्ञापन दिखाया गया तो उसे भारी अचरज हुआ कि कब, कहाँ और किसने उसकी तस्वीर उतार ली।

2021 में प्रभात खबर अख़बार में छपा हुआ मोदी सरकार का विज्ञापन

दरअसल, अखबारों के पहले पृष्ठ के आधे पेज में छपे विज्ञापन में छपी महिला लक्ष्मी देवी थी। एक पत्रकार ने अपने पड़ताल में पाया कि लक्ष्मी देवी को इसकी जानकारी विज्ञापन छपने के बाद मिली। 48 वर्षीय लक्ष्मी को इस बात की जानकारी तक नहीं कि उनकी यह तस्वीर कब और किसने ली थी। एक पूरे दिन वह अखबारों के दफ्तरों का चक्कर काटती रहीं और पूछती रहीं कि मेरी तस्वीर क्यों छाप दी आपने? लक्ष्मी को लगा कि यह फोटो अखबार वालों ने छापी है जबकि यह विज्ञापन भारत सरकार द्वारा जारी किया गया था।

यह कहना अब अतिशयोक्ति नहीं होगा कि राजनैतिक पार्टियाँ अपने फायदे के लिए समय-समय पर आदिवासी, दलित और अति-पिछड़ी जातियों के लोगों के बीच अपना वोट बैंक में बनाने के लिए इस तरह के पाखंड करती रहती हैं। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा ने दलित समुदाय के लोगों के वोट को अपने पाले में लाने का अभियान शुरू कर दिया है। वैसे इस अभियान की शुरुआत 31 मई, 2016 को भाजपा नेता अमित शाह ने बनारस के सेवापुरी विधानसभा के क्षेत्र के जोगियापुर गाँव से शुरू की थी। शाह ने गाँव के दलित गिरजा कुमार के यहाँ भोजन किया था। इसी तरह का भोज आयोजन लोकसभा चुनाव 2024 के पहले यूपी के काबिना मंत्री नंद गोपाल ‘नंदी’ ने किया है।

अमन विश्वकर्मा
अमन विश्वकर्मा
अमन विश्वकर्मा गाँव के लोग के सहायक संपादक हैं।

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