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प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में RTE के तहत निजी स्कूलों में आरक्षित सीटों पर हो रही सेंधमारी

उत्तर प्रदेश और वाराणसी में शिक्षा एवं स्कूलों में गड़बड़ी की यह कोई पहली शिकायत नहीं है। इससे पहले भी निजी स्कूलों में दाखिले के लिए वसूली की बात सामने आई थी। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभावक लगातार शिकायत कर अपना विरोध जता रहे हैं।

वाराणसी। योगी शासन में उत्तर प्रदेश के नामचीन निजी स्कूलों में राइट टू एजुकेशन (RTE) के बावजूद गरीब बच्चों के कोटे की सीटों में सेंधमारी हो रही है। दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी प्राइवेट स्कूलों पर सीटों की संख्या छुपाने का आरोप अभिभावक लगा रहे हैं।

गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा मिल सके, इसके लिए देशभर में राइट टू एजुकेशन अधिनियम (2009) लागू किया गया था। वाराणसी सहित उत्तर प्रदेश में राइट टू एजुकेशन के तहत प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश के लिए 30 हज़ार से अधिक सीटों की संख्या घट गई है।

उत्तर प्रदेश में तीन साल पहले की अपेक्षा इस साल प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए अरक्षित सीटों से 30 हज़ार से अधिक सीटें कम हैं।आवेदन करने के लिए जब पोर्टल खोला जाता है तो नामचीन स्कूलों की सीटें फुल दिखाई देती हैं।

गौरतलब है कि प्राइवेट स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा के लिए गरीब बच्चों की प्रवेश प्रक्रिया सहज बनाने व आवेदन पोर्टल की गड़बड़ी दूर करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर कई सामाजिक संगठनों ने सीएम योगी को शिक्षाधिकारियों के माध्यम से पत्रक सौंपा था, लेकिन आजतक कुछ नहीं हुआ। हालांकि आरटीई नोडल अधिकारी राहुल चतुर्वेदी ने सभी बिंदुओं पर शीघ्र ही उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया।

25 फीसद सीटों पर गरीब बच्चों को आरटीई के तहत एडमिशन देना अनिवार्य

बता दें कि राइट टू एजुकेशन के तहत प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश के लिए 25 फीसद सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित रखनी हैं। वहीं, आरटीई पोर्टल पर सीट घटने पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।

तृतीय चरण के आवेदन प्रक्रिया शुरू है

आरटीई के तहत 30 हजार सीटों के घटने पर अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में आरटीई के तहत 2023 -24 के लिए तृतीय चरण में आवेदन की प्रक्रिया 20 अप्रैल से शुरू हो गई थी। 25 जून को आरटीई में प्रवेश के लिए लॉटरी निकाली जाएगी।

बता दें कि उत्तर प्रदेश आरटीई पोर्टल में नामचीन प्राइवेट स्कूलों की सीटें कम होने से द्वितीय चरण में ही सीटें फुल हो गई थीं। पहले चरण में सीटों के कम होने से 25 प्रतिशत कोटा फुल होने से द्वितीय व तृतीय चरण में आवेदन नहीं होने से गरीब बच्चों का भविष्य अंधकार में दिख रहा है। नामचीन प्राइवेट स्कूलों के 25 प्रतिशत कोटा आरटीई में सीटों के घटने से पहले चरण में ही सीटें फ़ुल होने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

हिमाद्री ट्रस्ट के प्रमुख राजकुमार गुप्ता ने पोर्टल पर फुल दिख रही नामचीन प्राइवेट स्कूलों की कम सीटों पर शिक्षाधिकारियों के समक्ष कई बार आपत्ति जताई है।

शिक्षा विभाग में शिकायत पत्र देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता

 

वहीं, उत्तर प्रदेश अभिभावक संघ के अध्यक्ष अधिवक्ता हरी ओम दुबे ने इस मसले पर सवाल करते हुए कहा है कि, ‘शिक्षा विभाग के आरटीई पोर्टल पर सीटें कम दिखाई दे रही हैं। तीन वर्ष पहले की अपेक्षा लगातार तीसरे वर्ष भी सीटें कम दिखाई दे रही हैं। इस साल भी वही हाल है, लेकिन सीट में आखिर अंतर क्यों आ रहा है, यह शोचनीय है? राइट टू एजुकेशन के तहत पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई का खर्च राज्य और केंद्र सरकार वहन करती है। ऐसे में सीटों की संख्या कम होने के कारण प्रदेश के 30 हजार गरीब बच्चों की पढ़ाई का सपना पूरा नहीं हो पाएगा। शिक्षा विभाग को इस पर जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए।

इस मुद्दे पर शिक्षा विभाग ने क्या कहा

आरटीई नोडल अधिकारी राहुल चतुर्वेदी ने बताया कि ‘आरटीई की सीटें घटाई नहीं गई हैं। शहरी क्षेत्रों के साथ विगत तीन साल से ग्रामीण क्षेत्रों में भी ऑनलाइन आवेदन शुरू होने से आरटीई पोर्टल में कई स्कूलों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था, जिसके कारण सीटें कम दिख रही हैं। आरटीई पोर्टल में स्कूलों के रजिस्ट्रेशन के लिए कई बार पोर्टल खोला गया था। इसके साथ ही प्राइवेट स्कूलों को निर्देशित किया गया है कि वह अनिवार्य रूप से आरटीई पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाएं। द्वितीय चरण में 40 से अधिक स्कूलों ने पंजीकरण कराया है। शेष स्कूलों को भी पंजीकरण कराने हेतु निर्देशित किया गया हैं और कई स्कूल बंद भी हो चुके हैं।

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उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक संघ की प्रतिक्रिया

संघ के प्रदेश प्रवक्ता जय करन यादव ने कहा कि ‘आरटीई के सीटों की वास्तविक स्थिति देखें तो सीटें कम नहीं हुई हैं। बड़ी संख्या में स्कूलों ने पोर्टल पर जानकरी नहीं भरी है। इसलिए आंकड़ा कम दिख रहा है। जब प्राइवेट स्कूल अपनी वास्तविक संख्या पोर्टल पर भरेंगे, तब पता चलेगा कि पहले कितनी सीटें थीं और अब नए आकड़ों के अनुसार सीटें कितनी होंगी? पुराने ऑफलाइन आवेदन के नियम के अनुसार स्कूल अपनी सीटों की संख्या खुद बताते थे। उस हिसाब से एडमिशन होता था। बेसिक शिक्षा विभाग ने नियम बदल दिया। साल 2022-23 में स्कूल में जो कक्षा एक में सामान्य एडमिशन हुआ है, उसे आधार बनाकर 2023-24 सत्र के आंकड़ें भरे जा रहे हैं।

12 मई को थी तृतीय चरण आवेदन की अंतिम तिथि

बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए टाइमटेबल के अनुसार राइट टू एजुकेशन के लिए तृतीय चरण ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तारीख 12 मई तय की गई है। 13 मई से 23 जून तक ऑनलाइन आवेदन का सत्यापन कर उन्हें लॉक करने, 25 जून को लॉटरी निकालने और 5 जुलाई तक निजी स्कूलों में प्रवेश देने की तारीख निर्धारित की गई है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश और वाराणसी में शिक्षा एवं स्कूलों में गड़बड़ी की यह कोई पहली शिकायत नहीं है। इससे पहले भी निजी स्कूलों में दाखिले के लिए वसूली की बात सामने आई थी। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभावक लगातार शिकायत कर अपना विरोध जता रहे हैं।

 

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