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अफ्रीकी स्वाइन फ्लू रोकने के लिए सूअरों को मारने का चलाया गया अभियान

अगरतला (भाषा)। त्रिपुरा सरकार के पशु संसाधन विकास (एआरडी) विभाग ने अफ्रीकी स्वाइन फ्लू को फैलने से रोकने के लिए खोवाई जिले में सूअरों को मारने का अभियान चलाया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि जिले के बाटापारा स्थित एक सूअर फार्म में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू के कारण कुछ सूअरों […]

अगरतला (भाषा)। त्रिपुरा सरकार के पशु संसाधन विकास (एआरडी) विभाग ने अफ्रीकी स्वाइन फ्लू को फैलने से रोकने के लिए खोवाई जिले में सूअरों को मारने का अभियान चलाया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि जिले के बाटापारा स्थित एक सूअर फार्म में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू के कारण कुछ सूअरों की मौत हो जाने के बाद शुक्रवार को यह अभियान चलाया गया। विभाग ने इस बीमारी को रोकने के लिए संक्रमित सूअरों को बड़े पैमाने पर मारने के आदेश दिया है। इसके तहत पहले चरण में संक्रमित सूअरों को मारने के बाद उसे दफनाने के लिए आठ फीट लंबी और इतनी ही गहरी कब्र खोदी गई है। उल्लेखनीय है कि इस बीमारी की शुरुआत अप्रैल 2019 में चीन के जियांग प्रांत के एक गांव में हुई थी, जो अरुणाचल प्रदेश का सीमावर्ती है। असम में यह बीमारी इसी साल फरवरी के अंत में सामने आई थी।

जानकारी के अनुसार, पशु चिकित्सा विभाग प्रभावित इलाके के एक किलोमीटर के दायरे में नमूने इकट्ठा करके उनकी जांच करेगा। टीमों का नेतृत्व एक पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा किया जाएगा और वे सीधे नोडल अधिकारियों के पैनल को रिपोर्ट करेंगे। केवल उन्हीं सूअरों को मारा जाएगा जो संक्रमित होंगे। राज्य सरकार ने पड़ोसी राज्यों से आग्रह किया है कि वे अपने यहां सूअरों के आवागमन पर रोक लगाएं, ताकि संक्रमण न फैले।

एआरडी के उप निदेशक प्राण कुमार दास ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘अफ्रीकी स्वाइन फ्लू को फैलने से रोकने के लिए शुक्रवार को बाटापारा गांव में कुल 14 सूअरों को मारा गया। अभियान खत्म हो गया है। हम दिशा-निर्देश के अनुसार, शनिवार को स्वच्छता और कीटाणुशोधन अभियान चलाएंगे।’ उन्होंने बताया कि दो निगरानी टीमें बाटापारा और दो अन्य नजदीकी गांवों में एहतियातन कदम उठा रही हैं, ताकि यह पता चल सकें कि स्वाइन फ्लू का कोई और मामला तो नहीं है। दास ने कहा कि त्रिपुरा सरकार ने अफ्रीकी स्वाइन फ्लू के प्रकोप से बचने के लिए पड़ोसी राज्यों असम और मिजोरम से सूअर के बच्चों के आयात पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है।

सामान्य तौर पर इधर-उधर घूमते रहने वाले सूअर इस संक्रमण से ग्रसित हैं, लेकिन फार्म के सूअर भी इससे अछूते नहीं हैं। यहाँ के पशुचिकित्सा विभाग ने सूअरों के टीकाकरण का काम शुरू किया था, लेकिन उसे इसलिए रोक दिया गया, क्योंकि डॉक्टरों के जरिये भी संक्रमण फैल सकता था। हालांकि, यह वायरस आदमी को नुकसान नहीं पहुंचाता है। फार्म में रहने वाले सूअरों में भी अफ्रीकी स्वाइन फ्लू का लक्षण मिलना इस बात के संकेत देते हैं कि यह संक्रामक रोग पहले ही फार्म में प्रवेश कर चुका है।

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