भारत में भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए जाति की सही भागीदारी बहुत आवश्यक है। सवर्णों के हाथों में पाॅवर होने के कारण उनके अन्दर का भय खत्म हो गया है। ऐसे में शक्ति के स्रोतों में विविधता नीति लागू होने पर भ्रष्टाचार तो पूरी तरह खत्म नहीं होगा पर उसके प्रभाव क्षेत्र में 80-85 प्रतिशत की गिरावट आ जाएगी।
कार्ल मार्क्स अर्थशास्त्र का अध्ययन करने के लिए समय निकालने के लिए हमेशा आतुर रहते थे। उन्होंने अपने जीवन के कुल पैंसठ साल के जीवन में से लगभग चालीस साल से भी ज्यादा समय समाजवाद के चिंतन और उसके अनुसार आदर्श समाज की स्थापना के लिए लगा दिया।
लोकसभा चुनाव नजदीक है और कांग्रेस नेता लगातार पार्टी से इस्तीफा देते हुए भाजपा में शामिल हो रहे हैं। लोगों क कहना है, इससे 150 वर्ष पुरानी कांग्रेस पर आने वाले चुनाव में नकारात्मक असर दिखाई देगा ।
कांग्रेस के प्रवक्ता मोदी को इस बात के लिए धन्यवाद दे रहे हैं कि वह कांग्रेस का कूड़ा-कचड़ा साफ कर रहे हैं। बहरहाल कांग्रेस के लोग भले ही अपने दल के प्रतिक्रियावादी नेताओं के पलायन को कूड़ा-कचड़ा मानकर संतोष कर लें, किन्तु खुद कांग्रेस समर्थक राजनीतिक विश्लेषकों में चिन्ता की लहर दौड़ गई है।
यह बड़े ही दुख की बात है कि राजनीति का मूल काम लोकतंत्र की रक्षा व जनता की समस्याओं को मज़बूतो के साथ हल करना है किंतु हो इसका उलट रहा है। राजनीति को न लोकतंत्र की चिंता है और न जनता की चिंता, अगर कुछ चिंता है तो वह बस सत्ता पर बने रहने की है।
भारत में भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए जाति की सही भागीदारी बहुत आवश्यक है। सवर्णों के हाथों में पाॅवर होने के कारण उनके अन्दर का भय खत्म हो गया है। ऐसे में शक्ति के स्रोतों में विविधता नीति लागू होने पर भ्रष्टाचार तो पूरी तरह खत्म नहीं होगा पर उसके प्रभाव क्षेत्र में 80-85 प्रतिशत की गिरावट आ जाएगी।
कार्ल मार्क्स अर्थशास्त्र का अध्ययन करने के लिए समय निकालने के लिए हमेशा आतुर रहते थे। उन्होंने अपने जीवन के कुल पैंसठ साल के जीवन में से लगभग चालीस साल से भी ज्यादा समय समाजवाद के चिंतन और उसके अनुसार आदर्श समाज की स्थापना के लिए लगा दिया।
लोकसभा चुनाव नजदीक है और कांग्रेस नेता लगातार पार्टी से इस्तीफा देते हुए भाजपा में शामिल हो रहे हैं। लोगों क कहना है, इससे 150 वर्ष पुरानी कांग्रेस पर आने वाले चुनाव में नकारात्मक असर दिखाई देगा ।
कांग्रेस के प्रवक्ता मोदी को इस बात के लिए धन्यवाद दे रहे हैं कि वह कांग्रेस का कूड़ा-कचड़ा साफ कर रहे हैं। बहरहाल कांग्रेस के लोग भले ही अपने दल के प्रतिक्रियावादी नेताओं के पलायन को कूड़ा-कचड़ा मानकर संतोष कर लें, किन्तु खुद कांग्रेस समर्थक राजनीतिक विश्लेषकों में चिन्ता की लहर दौड़ गई है।
यह बड़े ही दुख की बात है कि राजनीति का मूल काम लोकतंत्र की रक्षा व जनता की समस्याओं को मज़बूतो के साथ हल करना है किंतु हो इसका उलट रहा है। राजनीति को न लोकतंत्र की चिंता है और न जनता की चिंता, अगर कुछ चिंता है तो वह बस सत्ता पर बने रहने की है।
कोई भी समाज वैज्ञानिक पद्धति और तार्किकता के आधार पर ही आगे बढ़ सकता है । वर्तमान बीजेपी सरकार से वैज्ञानिकों के एक समूह ने संयुक्त बयान जारी कर अनुरोध किया है कि वह वैज्ञानिक सोच और पद्धति को अपने क्रिया कलापों से कमजोर करने से बाज आए।