किसानों का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। पंजाब के प्रदर्शनकारी किसान हरियाणा की सीमा पर डटे हुए हैं। इसी बीच किसानों के प्रतिनिधि और केंद्रीय मंत्री गुरुवार को एक बार फिर बातचीत करेंगे। किसानों ने जोर देकर कहा है कि बैठक तभी सार्थक होगी जब सरकार कुछ ‘सकारात्मक’ प्रस्ताव लेकर आएगी। इससे पहले 14 फरवरी को किसानों और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच वर्चुअल बैठक हुई।
केंद्र ने किसान नेताओं को 15 फरवरी को चंडीगढ़ में उनकी मांगों पर विचार-विमर्श के लिए बुलाया है। इस बात की जानकारी पंजाब के राजपुरा में किसान नेताओं ने दी। उन्होंने बताया कि बैठक केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय के साथ होगी।
एसकेएम (एनपी) के वरिष्ठ नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने द हिंदू को बताया “हम हरियाणा के साथ अंतर-राज्यीय सीमाओं पर शांतिपूर्वक डेरा डाले हुए हैं। हमने केंद्र को बता दिया कि हम बैठक के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि सरकार पहले सकारात्मक माहौल बनाये। हरियाणा में सरकार एक तरफ आंसू गैस छोड़ रही है और पानी की बौछारें कर रही है और दूसरी तरफ बातचीत की पेशकश भी कर रही है। उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि स्थिति सामान्य हो जाएगी।”
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने विरोध प्रदर्शन से निपटने के केंद्र के तरीके की आलोचना की। उन्होंने कहा कि “शंभू सीमा पर, सुरक्षा और प्रतिरोध का इस तरह का भारी उपयोग, दूसरी तरफ से किया जा रहा है, और दूसरी बात, यह पुलिस नहीं बल्कि अर्धसैनिक बल हैं जो हम पर हमला कर रहे हैं। यह पहली बार है कि देश की किसी सरकार ने किसान मजदूर आंदोलन के खिलाफ अर्धसैनिक बलों का इस्तेमाल किया है। आमतौर पर आंसू गैस छोड़े जाते हैं लेकिन यहां तो स्मोक सेल एयर बर्स्ट, स्मोक सेल ग्राउंड बर्स्ट का भी इस्तेमाल किया जा रहा है और भारी विस्फोट उत्सर्जन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इसलिए हम कहते हैं कि जिस तरह से केंद्र सरकार किसानों और मजदूरों पर अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रही है उसे इस पर फिर से सोचना चाहिए।”
इससे पहले केंद्र सरकार के प्रतिनिधि मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच दो बैठकें हुईं जो बेनतीजा रहीं। जिसके बाद गुरुवार को यह तीसरी बैठक होगी।
13 फरवरी को पंजाब के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में आए किसानों ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दिल्ली की घेराबंदी करने के लिए अपना ‘ट्रैक्टर-ट्रॉली’ मार्च शुरू किया। जैसे ही किसान पंजाब की सीमा पर अंबाला और खनौरी-जींद के पास हरियाणा के शंभू गांव में पहुंचे उन्हें हरियाणा में प्रवेश करने से रोक दिया गया। हरियाणा सरकार ने मल्टी-लेयर बैरिकेड्स के साथ सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे, तभी से किसान राज्य की सीमा के पास डेरा डाले हुए हैं। पुलिस ने बुधवार को आंदोलनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस छोड़े।
दिल्ली और हरियाणा के बीच दो प्रमुख सीमा बिंदु यातायात के लिए बंद हैं और दिल्ली में कई मुख्य जगहों पर दंगा-रोधी सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। हरियाणा के साथ लगने वाली दो सीमाएं टिकरी और सिंघू बंद होने के कारण लोगों को गाजीपुर से आने-जाने की अनुमति दी गई है। वहां पर भी सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है, हालांकि प्रदर्शनकारी किसानों को हरियाणा पुलिस ने अंबाला के पास पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू सीमा पर रोक दिया है। दिल्ली के मध्य हिस्से में भी पुलिस ने संसद और अन्य संवेदनशील स्थानों की ओर जाने वाली कई सड़कों पर बैरिकेड्स लगा दिए हैं। एक अधिकारी ने बताया कि किसानों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने 30,000 से अधिक आंसू गैस के गोले के ऑर्डर दिए हैं।
हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने कहा कि राज्य के 15 जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है और मौजूदा स्थिति को देखते हुए अर्धसैनिक बलों की 64 कंपनियां और हरियाणा पुलिस की 50 कंपनियां तैनात की गई हैं।
हरियाणा सरकार ने मंगलवार को सात जिलों अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, जिंद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में इंटरनेट सेवा पर रोक को 15 फरवरी तक बढ़ा दिया था। पंजाब-हरियाणा शंभू सीमा पर एक ‘लंगर’ का आयोजन किया गया है जहां प्रदर्शनकारी किसानों को आंसू गैस के गोले से बचाने के लिए चश्मे बांटे जा जा रहे हैं।
इस बीच पंजाब में हरियाणा की सीमा से सटे सभी अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और आपातकालीन सेवाएं चौबीसो घंटे खुली हैं। पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बलबीर सिंह ने कहा कि कम से कम 40 घायलों को राजपुरा सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया जिनमें से दो के सिर में गंभीर चोटें आईं और उनका इलाज चल रहा है।
उन्होंने “प्रदर्शनकारी किसानों पर बिना कारण पुलिस कार्रवाई” के लिए हरियाणा सरकार की निंदा की है। सिंह ने कहा कि हरियाणा सरकार को उन किसानों को रोकने का कोई अधिकार नहीं है जो शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली जा रहे थे। उन्होंने हरियाणा सरकार की भूमिका को असंवैधानिक और अवैध बताते हुए कहा, “राष्ट्रीय राजमार्ग राष्ट्र की संपत्ति है और किसानों को दिल्ली पहुंचने के लिए केवल हरियाणा के अधिकार क्षेत्र से गुजरना था।” मंत्री ने राज्य सरकार से किसानों को दिल्ली जाने देने का अनुरोध किया।
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने पंजाब सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने किसानों को दिल्ली जाने से नहीं रोका, पंजाब सरकार दिल्ली में अराजकता फैलाना चाहती है। उन्होंने एक बयान में कहा “जब किसानों ने अमृतसर से मार्च किया तो पंजाब सरकार ने उन्हें रास्ते में कहीं भी रोकने की कोशिश नहीं की। इसका मतलब है कि वे दिल्ली में अराजकता पैदा करना चाहते हैं।”
वहीं पंजाब के सबसे बड़े संगठनों में से एक भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) ने 15 फरवरी को पंजाब में सात जगहों पर दोपहर से शाम 4 बजे तक रेल यातायात रोकने की घोषणा की है।
(‘द हिंदू’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)