देश में हुए अनेक साम्प्रदायिक दंगों की जड़ में तथाकथित धार्मिक जुलूस ही रहे हैं। अतः इन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। प्रतिबंध लगाने की मांग राष्ट्रीय सेक्युलर मंच के संयोजक एल.एस. हरदेनिया और प्रगतिशील लेखक संघ के महामंत्री शैलेन्द्र शैली ने यहां जारी एक संयुक्त विज्ञप्ति में की है।
हरदेनिया ने इस विज्ञप्ति में बताया कि उन्होंने दर्जनों साम्प्रदायिक दंगों के कारणों का विश्लेषण किया है। यह विश्लेषण उन शहरों या कस्बों में जाकर किया गया जहां हिंसक घटनाएं हुईं थीं। हरदेनिया ने बताया कि तथाकथित धार्मिक संस्थाओं द्वारा जुलूस निकाले जाते हैं। जुलूस की बकायदा अनुमति ली जाती है व पुलिस-प्रशासन से चर्चा करके जूलूस का मार्ग निर्धारित किया जाता है।
यह भी पढ़ें…
देश प्रेम, निर्वासन का दर्द, स्त्री मुक्ति, और प्रतिरोध की वैश्विक संवेदना
पर यकायक जुलूस का रास्ता बदल दिया जाता है और जुलूस संवेदनशील इलाकों में प्रवेश करता है। एक विशेष समुदाय के विरूद्ध भड़काऊ नारे लगाए जाते हैं जिससे उस समाज के लोग भड़क जाते हैं और गुस्से में पथराव करने लगते हैं। मीडिया में रिपोर्ट दी जाती है कि धार्मिक जुलूस पर पत्थर फेंके गए। परंतु पत्थर क्यों फेंके गए यह नहीं बताया जाता।
इसके बाद दुकानें व घर जलाए जाते हैं। कुछ जानें भी जाती हैं। हरदेनिया ने बताया कि उन्होंने अपनी पुस्तक ‘साम्प्रदायिक दंगे आजादी के बाद’ में ऐसे अनेक दंगों का विस्तृत विवरण दिया है। अभी हाल में मध्यप्रदेश सहित अनेक राज्यों में साम्प्रदायिक संघर्ष धार्मिक जुलूसों के दौरान ही हुआ।
इसलिए यह बिल्कुल उचित एवं तर्कसगंत होगा कि धार्मिक जुलूसों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाए।
वरिष्ठ पत्रकार एलएस हरदेनिया भोपाल में रहते हैं।
[…] […]
[…] […]
[…] […]