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Loksabha Chunav : सबको न्याय, सम्मान और रोजगार देने की बात करता कांग्रेस का घोषणा पत्र

कांग्रेस पार्टी का चुनावी घोषणापत्र जारी होने के बाद चर्चा में है, इस घोषणा पत्र में पाँच न्याय और 25 गारंटियाँ हैं। युवा, आदिवासी, दलित, श्रमिक, किसान, महिला और पिछड़ों को ध्यान में रखते हुए इसे जारी किया गया है। कांग्रेस के इस घोषणा पत्र से चुनाव में क्या प्रभाव पड़ेगा? यह 4 जून को ही सामने आएगा।

लोकसभा चुनाव 2024 का घोषणा पत्र कांग्रेस ने जारी कर दिया है। 5 अप्रैल की शाम जब मैंने 5 न्याय, 25 गारंटी और 300 वादों से युक्त ‘न्याय पत्र’ के नाम से जारी कांग्रेस का 48 पृष्ठ का घोषणा पत्र पढ़कर समाप्त किया तो सुखद आश्चर्य में डूबे बिना न रह सका। सबसे पहले  मेरे मन से जो बात आई वह यह कि ‘विशुद्ध क्रांतिकारी है डाइवर्सिटी को सम्मान देता कांग्रेस का घोषणा पत्र है, जो आजाद भारत के अबतक के किसी चुनाव में देखने को नहीं मिला। यदि यह जनता तक ठीक से पहुंच सका तो कांग्रेस की सत्ता में वापसी सुनिश्चित हो जाएगी।

यही नहीं एक ऐसे दौर में जबकि लोग घोषणा पत्रों को मजाक में लेने लगे हैं, कांग्रेस का न्याय पत्र घोषणा पत्रों के प्रति लोगों को नए सिरे से गंभीर बनाएगा।’ पर, क्या मैं ही न्याय पत्र से विस्मित हुआ हूँ या और लोग भी, यह जानने के लिए यूट्यूब चैनलों पर विचरण करने लगा। मैंने पाया कि मेरी तरह ही राजनीति का जानकार हर कोई इससे अभिभूत है।

कांग्रेस के जिस घोषणा पत्र को देश के चोटी के राजनीतिक विश्लेषकों ने क्रांतिकारी व अभूतपूर्व करार दिया है, उस पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘दूसरी पार्टी घोषणा पत्र जारी करती है और भाजपा संकल्प पत्र। संकल्प पत्र में जो वादा किया था वो पूरा करने में एड़ी–चोटी एक कर दिया। जब नीयत सही होती है तो नतीजे भी सामने आते हैं। दस साल में जो काम हुआ, वह सिर्फ ट्रेलर है, अभी बहुत कुछ करना है।’ प्रधानमंत्री का बयान निर्लज्जता की पराकाष्ठा है, यह साबित करने के लिए राजनीतिक विश्लेषकों ने हर साल दो करोड़ नौकरियां देने तथा 100 दिन में विदेशों से कालाधन लाकर प्रत्येक के खाते में 15 लाख जमा कराने के संकल्प को चटखारे लेकर मोदी को याद दिलाया। कइयों ने देश बेचने की बात को भी याद दिलाया।

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भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने घोषणा पत्र को भ्रम का पुलिंदा करार देते हुए कहा है ‘चार पीढ़ियों के शासन के बाद कांग्रेस अब सत्ता में आने के बाद कमाल दिखाने का दावा कर रही है। उन्होनें न्याय की गारंटी पर हमला बोलते हुआ कहा कि जिसने कभी भी भारत के युवाओं की क्षमता, उनकी आर्थिक क्षमता व सैन्य क्षमता, औद्योगिक क्षमता और सुरक्षा के साथ न्याय नहीं किया, वह न्याय की बात कर रहे हैं। हमारी फौज मैदान में जंग जीतकर आती थी और उसे राजनीति के टेबल पर सरकार सब कुछ लुटा कर चली आती थी।’ बहरहाल सुधांशु जैसे भाजपाई कांग्रेस के न्याय गारंटी का जितना भी उपहास करें, सच बात तो यह है कि उसके घोषणा पत्र में प्रमुखता से आए पाँच न्याय और 25 गारंटियों ने ही इसे क्रांतिकारी और अभूतपूर्व बना दिया है।

वास्तव में कांग्रेस के घोषणापत्र का मुख्य आकर्षण पाँच न्याय और 25 गारंटियाँ हैं, जिसे भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान टुकड़ों-टुकड़ों में राहुल गांधी लोगों के समक्ष रखते रहे हैं। पार्टी ने पांच न्याय 25 गारंटी का एलान किया है। कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने युवा, महिला, किसान, श्रमिकों और दलित, आदिवासी और पिछड़ों को साधने की कवायद की है पांच न्याय और 25 ऐतिहासिक गारंटियों के माध्यम से कांग्रेस पार्टी ने आम जनता की तकदीर बदलने में सफल होगी? उसका घोषणा पत्र ठीक से पढ़ने के बाद कोई भी महसूस करेगा। 

कांग्रेस पार्टी ने युवा न्याय के तहत जो पाँच गारंटियाँ दी है उनमें 30 लाख सरकारी पदों पर तत्काल स्थायी नियुक्ति तथा हर ग्रेजुएट और डिप्लोमाधारी को प्रशिक्षुता कार्यक्रम के तहत एक लाख रुपये प्रतिवर्ष स्टाइपेंड के अप्रेंटिसशिप की गारंटी, गेम चेंजर साबित होंगी।

इसी तरह किसान न्याय के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के तहत कानूनी दर्ज़ा देने  तथा किसानों के ऋण माफ़ करने और ऋण माफ़ी की राशि निर्धारित करने के लिए एक स्थायी ‘कृषि ऋण माफ़ी आयोग’ बनाने की गारंटी एवं कृषि सामग्रियों से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) हटा कर किसानों को जीएसटी मुक्त बनाने जैसी गारंटियाँ कांग्रेस के प्रति किसान वोटरों को अभूतपूर्व रूप से आकर्षित करेंगी, इसमें किसी को संदेह नहीं रहना चाहिए।

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श्रमिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी कांग्रेस ने 5 गारंटियों का एलान किया है। श्रमिक न्याय के तहत ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ कानून बनाकर सभी श्रमिकों के लिए मुफ्त जांच, दवा और इलाज के साथ न्यूनतम वेतन 400 रुपये प्रति दिन सुनिश्चित करने के साथ शहरी रोजगार गारंटी के साथ मोदी सरकार के श्रमिक-विरोधी कानून की समीक्षा निश्चय श्रमिक वर्ग को अन्याय की खाई से निकालेगी, न्याय पत्र इसका आश्वासन देता है।

महिलाओं को पुरुषों की बराबरी पर लाने के लिए राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान महालक्ष्मी योजना, आधी आबादी–पूरा हक, शक्ति सम्मान, अधिकार मैत्रीय और सावित्री बाई फुले हॉस्टल जैसी पाँच नारी न्याय की जो बात उठाई जाती रही, अब वह सब पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल हो चुकी हैं।

महालक्ष्मी योजना के तहत देश के गरीब और बीपीएल परिवार की महिला को साल में एक लाख अर्थात प्रति माह 8333 रुपये तथा आधी आबादी-पूरा हक के तहत सरकारी नौकरियों में  महिलाओं की 50 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित कराने की गारंटी; शक्ति-सम्मान के तहत आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी और मिड डे मिल बनाने वाली महिलाओं के वेतन में केंद्र का जो हिस्सा होता है, उसे दोगुना करने एवं अधिकार मैत्रीय के तहत हर पंचायत में एक महिला अधिकारी की नियुक्ति की गारंटी कांग्रेस को आधी आबादी के वोटों से लाद सकती है, इसमें कोई संदेह ही नहीं।

देशभर के दलित, आदिवासी, पिछड़े/ओबीसी, अल्पसंख्यक और कमज़ोर तबकों के लिए कांग्रेस के घोषणा पत्र मे ‘हिस्सेदारी न्याय गारंटी’ का एलान हुआ है। इसके तहत कांग्रेस ने हर समुदाय के लोगों की गिनती कराने का एलान किया है। घोषणापत्र के मुताबिक कांग्रेस पार्टी एक व्यापक सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना की गारंटी देती है। इसके माध्यम से सभी जातियों और समुदायों की आबादी, सामाजिक-आर्थिक दशा, राष्ट्रीय संपदा में उनकी हिस्सेदारी और गवर्नेंस से जुड़े संस्थानों में उनके प्रतिनिधित्व का सर्वे किया जाएगा।

कांग्रेस के मुताबिक इससे देश में क्रांतिकारी बदलाव होगा। घोषणा पत्र कहता है कि कांग्रेस नीत सरकार बनने पर पार्टी इस बात की भी गारंटी देती है कि वह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की 50% की सीमा बढ़ाने के लिए संसद से एक संविधान संशोधन बिल पारित करेगी। घोषणा पत्र में एससी और एसटी समुदायों से संबंधित ठेकेदारों को ज्यादा सार्वजनिक कार्य कान्ट्रैक्ट देने के लिए पब्लिक खरीद पॉलिसी का दायरा बढ़ाने का वादा किया गया है।

ओबीसी, एससी और एसटी छात्रों को के लिए स्कॉलरशिप की धनराशि दो गुना करने, हायर एजुकेशन के लिए एससी और एसटी छात्रों को विदेश में  पढ़ने में सहायता देने और उनके पीएचडी करने के लिए स्कालरशिप की मात्रा दोगुनी करने का वादा भी घोषणापत्र में किया गया है। गरीबों, एससी और एसटी छात्रों के लिए आवासीय विद्यालयों का एक नेटवर्क बनाने और इसे हर ब्लॉक तक बढ़ाने की बात भी घोषणापत्र में आई है।

सामाजिक न्याय का आश्वासन के क्रम में कांग्रेस ने दलित बुद्धिजीवियों द्वारा चलाए जा रहे डाइवर्सिटी आंदोलन को सम्मान देते हुए कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र मे कहा है, ‘कांग्रेस एक विविधता आयोग की स्थापना करेगी जो सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में रोजगार और शिक्षा के संबंध में विविधता की स्थिति का आँकलन करेगी और बढ़ावा देगी।’

गारंटी के साथ अल्पसंख्यकों के लिए सच्चर आयोग की संस्तुतियाँ लागू करने सहित अन्य कई वादे किए गए हैं, जिसमें एक वादा चुनावी बॉन्ड, पीएम केयर घोटाले सहित प्रमुख रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार, नोटबंदी, राफेल सौदा, पेगासस, नीरव मोदी जैसे भगोड़ों, सार्वजनिक संपत्तियों की हुई अंधाधुंध बिक्री की जांच का वादा भी है। कुल मिलाकर हर कहा जा सकता है कि कांग्रेस का घोषणा पत्र एक क्रांतिकारी दस्तावेज है।

 स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हमारा सबसे प्रमुख उद्देश्य आजादी हासिल करना था। तब कांग्रेस महात्मा गांधी और कई अन्य महान नेताओं की बुद्धिमता और बलिदान से निर्देशित थी। आजादी के बाद से, कांग्रेस का धर्म सिद्धांत, डॉ. बाबा साहब अंबेडकर और उस समय के अन्य प्रबुद्ध लोगों द्वारा तैयार किया, भारत का संविधान है। कांग्रेस दोहराती है कि भारत का संविधान हमारे साथ रहेगा और हमारा एकमात्र मार्ग दर्शक रहेगा।

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स्वतंत्रता मिलने के बाद से कांग्रेस भारत की आशा और उम्मीद की किरण रही है। हमारी नीतियों ने मुख्य रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में तेजी से औद्योगीकरण को प्रोत्साहित किया, भारत को एक अकालग्रस्त देश से दुनिया भर के देशों को खाद्यान्न निर्यात करने वाले देश के रूप में बदला, एक वैश्विक सॉफ्टवेयर शक्ति केंद्र (पॉवरहाउस) के रूप में भारत के उदय के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी नीव तैयार की और अनुसंधान एवं उच्च शिक्षा में उच्च श्रेणी के संस्थान बनाए, जिनसे निकले स्नातकों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ श्रेणी में देखा जाता है।

एक तरफ उदारीकरण और सुधारों के कारण लगातार कांग्रेस सरकारों द्वारा आर्थिक विकास में तेजी लाई गई, वहीं दूसरी तरफ हमारी समाज कल्याणकारी नीतियों ने यह सुनिश्चित किया कि प्रत्येक नागरिक भारत के विकास की कहानी में हिस्सेदार हो। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए)द्वारा तैयार किए गए समाज कल्याणकारी कार्यक्रम जैसे मनरेगा और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम ने भारत को अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट (2008), वैश्विक आर्थिक मंडी(2913), नोटबंदी (2016) और कोविद-19(2020) जैसे झटकों से उभरने में सक्षम बनाया। अंत में कहा गया है, ‘वर्ष 2024  में लोकसभा चुनाव एक-दलीय तानाशाही पर लोकतंत्र, भय पर स्वतंत्रता, कुछ लोगों की समृद्धि पर सभी के लिए विकास और अन्याय पर न्याय को चुनने का अवसर प्रदान करेगा। 

एच एल दुसाध
एच एल दुसाध
लेखक बहुजन डाइवर्सिटी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.

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