कांग्रेस पार्टी का चुनावी घोषणापत्र जारी होने के बाद चर्चा में है, इस घोषणा पत्र में पाँच न्याय और 25 गारंटियाँ हैं। युवा, आदिवासी, दलित, श्रमिक, किसान, महिला और पिछड़ों को ध्यान में रखते हुए इसे जारी किया गया है। कांग्रेस के इस घोषणा पत्र से चुनाव में क्या प्रभाव पड़ेगा? यह 4 जून को ही सामने आएगा।
कांग्रेस के प्रवक्ता मोदी को इस बात के लिए धन्यवाद दे रहे हैं कि वह कांग्रेस का कूड़ा-कचड़ा साफ कर रहे हैं। बहरहाल कांग्रेस के लोग भले ही अपने दल के प्रतिक्रियावादी नेताओं के पलायन को कूड़ा-कचड़ा मानकर संतोष कर लें, किन्तु खुद कांग्रेस समर्थक राजनीतिक विश्लेषकों में चिन्ता की लहर दौड़ गई है।
कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा अब अपने अंतिम दौर में है। गुजरात के सूरत और तापी से होते हुए यह यात्रा सीधे महाराष्ट्र में प्रवेश करेगी। महाराष्ट्र में ही यह यात्रा समाप्त हो जायेगी।
भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने शुक्रवार को राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' के पक्ष में शामिल होंगे। राहुल की यात्रा अगले महीने मध्य प्रदेश में प्रवेश करेगी।
राहुल गाँधी की निखरती इस छवि के कारण पूरी यात्रा में उन्हें देखने-सुनने वालों की भीड़ कदम-कदम पर बढ़ती जा रही है। सामाजिक बदलाव के लिए वे जिस तरह लोगों को ललकार रहे हैं, क्या उसका प्रभाव लोगों पर पड़ेगा ?
जहां भारत जोड़ो न्याय यात्रा से राहुल गांधी की लोकप्रियता चरम पर है, वहीं काँग्रेसी, पार्टी छोडकर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। लेकिन कांग्रेस का आला कमान इस खबर से बेपरवाह है। ऐसे में उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि को खंगाला जाये तो ये वही दो प्रतिशत लोग हैं, जिनका देश की संपदा-संसाधनों, उद्योग-धंधों, मीडिया, उच्च शिक्षण संस्थाओं, न्यायपालिका, शासन-प्रशासन सहित समस्त स्रोतों पर एकाधिकार है
जीएसटी, नोटबंदी सहित विभिन्न मुद्दों पर राहुल ने कहा कि यह फैसले बिना विचार-विमर्श के लिए गए, जिसका दंश आज तक जनता भुगत रही है। यह मोदी सरकार की तानाशाही का नतीजा है।
वर्तमान में बिहार पर कमजोर होती पकड़ के बावजूद कांग्रेस औरंगाबाद और सासाराम संसदीय क्षेत्रों में पूरा दमखम दिखा रही है। पार्टी ने औरंगाबाद में आखिरी बार 2004 में जीत हासिल की थी। कांग्रेस नेता निखिल कुमार औरंगाबाद संसीदय क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे, जो बाद में नगालैंड और केरल में राज्यपाल के पद पर भी रहे थे।
अबकी बार 400 पार का' जो नारा उछाला, उसका समर्थन करते हुए अमित शाह से लेकर भाजपा के बाकी कनिष्ठ-वरिष्ठ नेताओं ने शोर मचाना शुरू कर दिया कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को 370 और राजग 400 से अधिक सीटें मिलेंगी और देश, विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनेगा। मोदी के दावे के बाद मीडिया में सर्वेक्षणों की बाढ़ भी आ गई, जिसमें उनके दावे को सही ठहराने का बलिष्ठ प्रयास हुआ। दरअसल मोदी ने 400 पार के ज़रिए विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के खिलाफ एक मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़ा है। भाजपा के लिए 2024 में 200 सीटें पाना भी मुश्किल है। उनके दावे को खारिज़ करने वालों का मानना है कि चूंकि मोदी ने राजसत्ता का बेइंतहा दुरुपयोग किया है और हारने पर उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं, इसलिए जीतने के लिए उद्भ्रांत होकर एक मनोवज्ञानिक युद्ध छेड़ा है।
कलियाबोर (असम), (भाषा)। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रविवार को दावा किया कि असम में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उनकी पार्टी की ‘भारत...