Sunday, July 7, 2024
होमराजनीतिपूर्वाञ्चल में बढ़ रहा है अपराध का ग्राफ, क्या कह रहे हैं...

ताज़ा ख़बरें

संबंधित खबरें

पूर्वाञ्चल में बढ़ रहा है अपराध का ग्राफ, क्या कह रहे हैं लोग

वाराणसी। काशी की राजनीतिक तेग भले ही पूरे हिंदुस्तान पर चल रही हो पर देश को प्रधानमंत्री देने वाला उत्तर प्रदेश का यह जिला अपने जनपदवासियों को सुरक्षा का एहसास नहीं दिला पा रहा है। उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त बताते तमाम सरकारी दावों के बावजूद अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। अखबार […]

वाराणसी। काशी की राजनीतिक तेग भले ही पूरे हिंदुस्तान पर चल रही हो पर देश को प्रधानमंत्री देने वाला उत्तर प्रदेश का यह जिला अपने जनपदवासियों को सुरक्षा का एहसास नहीं दिला पा रहा है। उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त बताते तमाम सरकारी दावों के बावजूद अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। अखबार के पन्ने पर लहूलुहान खबरें कम होने के बजाय बढ़ रही हैं। रविवार को भी देर रात एक बाइक सवार युवक की हत्या कर दी गई। हमले में मृत 22 वर्षीय युवक सौरभ यादव निवासी मढ़नी, थाना चौबेपुर का रहने वाला था। वह देर रात अपने दोस्त अंकुश राजभर के साथ लौट रहा था, तब सारनाथ थाना क्षेत्र के पहड़िया के पास अकथा तिराहे पर एक स्कार्पियो सवार लोगों ने उसे रोक लिया और लाठी, डंडे, हाकी तथा धारदार हथियार से जानलेवा हमला कर दिया।

इस हत्या का अंदाज यह बताता है कि अपराधियों में पुलिस प्रशासन का डर पूरी तरह से खत्म हो गया है। जिस मनबढ़ अंदाज में अपराध हुआ है उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि इस अपराध में सत्ता की भागीदारी भले ही प्रत्यक्ष रूप से ना हो पर इतना तो कहा ही जा सकता है कि अपराध में आरोपित आठों लोग कहीं न कहीं इस विश्वास से लबरेज होंगे कि उनके पीछे सत्ता किसी ढाल की तरह खड़ी है। वैसे तो सत्ता की शह पर अपराध करने का इतिहास नया नहीं है पर दुर्भाग्यपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने प्रदेश की जनता को यह आश्वाशन दिया था कि वह इस प्रदेश से अपराध को पूरी तरह से नेस्तनाबूत करेगी। इस प्रयास का ढ़ोल खूब बजा, प्रदेश के कई बड़े माफिया जेल गए तो कई पुलिस के एंकाउंटर प्लान में मारे गए। अतीक अहमद को तो सरकार ने इश्तिहार की तरह इस्तेमाल किया। जिस  पुलिस को सुरक्षा की ज़िम्मेदारी दी गई थी उसी पुलिस की नाक के नीचे उसकी हत्या कर दी गई।

भाजपा नेता शालिनी यादव

भाजपा नेता शालिनी यादव यह स्वीकार करती हैं कि ‘अपराध का ग्राफ बढ़ा है पर उसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है बल्कि बढ़ती जनसंख्या की बड़ी भूमिका है। इसके अलावा उनका कहना है कि अपराध तभी कंट्रोल हो सकता है जब समाज सक्रिय प्रयास करे। स्कूल, कालेज और घर परिवार को इसके लिए प्रयास करना होगा। अपराध में शामिल हो रहे युवाओं को काउन्सलिंग कि आवश्यकता है।’ उनका मानना है कि अपराध को सत्ता नियंत्रित नहीं कर सकती है बल्कि सामाजिक प्रयास से ही अपराध नियंत्रित होगा। वह कहती हैं कि ‘भाजपा के मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश को हर दिशा में आगे बढ़ाने का काम किया है वह अपराध को नियंत्रित करने के लिए भी पूरा  प्रयास कर रहे हैं, अब चुनाव करीब है तो उसकी वजह से भी अपराध का ग्राफ थोड़ा बढ़ रहा है पर प्रशासन बहुत सक्रिय तरीके से हर घटना की तफ़्तीश और उचित निस्तारण कर रहा है।’ फिलहाल शालिनी जी सत्ताधारी पार्टी का हिस्सा हैं ऐसे में यह तो कहने से रही कि इसमें सत्ता की भी कोई भूमिका हो सकती है।

बहुजन समाज पार्टी की नेता बरखा गुप्ता से भी बात की पर फिलहाल उनकी इस विषय पर अभी तक कोई राय नहीं कायम है। इस मामले को लेकर हम चाहते थे कि बहुजन समाज पार्टी की किसी महिला नेता का पक्ष जाना जा सके पर यह कहते हुये दुख हो रहा है कि जिस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला हो उस पार्टी का जिले में कोई महिला प्रतिनिधि न होना, फिलहाल महिला भागीदारी के मामले में बसपा को कमजोर करता है।

‘आप’ नेता शारदा टंडन

आम आदमी पार्टी की नेता शारदा टंडन का कहना है कि सरकार और सरकार के समर्थक भी निरंकुश हो चुके हैं। कानून व्यवस्था पर कहीं कोई लगाम नहीं रह गई है। आम आदमी ही नहीं पुलिस भी अब सुरक्षित नहीं है। भाजपा राज में महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा पूरी तरह से झूठा है। अभी तो स्थिति यह है कि बेटी बचाओ की स्थिति बनी हुई है। वाराणसी में पाँच साल कि बच्ची का रेप करके हत्या की जा रही है तो सुल्तानपुर में महिला पुलिस ही हैवानियत का शिकार हो रही है। यह सरकार तो बस G-20 का उत्सव मना रही है और वाराणसी ही नहीं बल्कि पूरा प्रदेश भयानक तरीके से अपराध ग्रस्त है। 2024 में जनता इन्हें सबक सिखाने की तैयारी कर चुकी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री में जरा भी शर्म हो तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिये।

समाजवादी पार्टी की रिबू श्रीवास्तव से बात की गई पर उन्होंने खुद की व्यस्तता का हवाला दिया।

सपा नेता अभिषेक विश्वकर्मा

युवा सपा नेता अभिषेक विश्वकर्मा कहते हैं कि सरकार का ना तो कानून पर नियंत्रण रह गया है ना ही अपराध पर। आधे से ज्यादा अपराध के पीछे या फिर अपराधी के पीछे सत्ता में शामिल लोग खड़े हैं। इस सरकार में आपा कहीं का भी आंकड़ा देख लीजिये हर जगह दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज के लोग मारे जा रहे हैं, उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। एक जाति विशेष के लोग खुले आम दबंगई कर रहे हैं पर पुलिस के हाथ में इतनी ताकत नहीं है कि वह उनके गिरेहबान तक पहुंच सके।

वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावी क्षेत्र होने से और भी खास हो जाता है। जहां यह उम्मीद कि जानी चाहिए कि एक बेहतर सुरक्षा का माहौल होगा पर जिस तरह से लगातार अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं उससे ना सिर्फ स्थानीय निवासी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा बल्कि बाहर से आने वाले पर्यटक और आम आदमी भी चिंतित है।

मलदहिया के रहने वाले शंभू शेखर कहते हैं कि गुरू ई बनारस हौ, इहाँ हर आदमी रंगबाजी जेबे में ले के घूमेला। मूड ठीक रहे त राजा बाबू न ठीक रहे त कुच्छो हो सकेला। इहाँ के कमान त बड़का सरकार के पास रहेला छोटका सरकार इहाँ कुच्छो न बना-बिगाड़ सकत। एकर मौज हमेशा से अइसने ही रहेला।

वरिष्ठ पत्रकार सतेन्द्र श्रीवास्तव

वाराणसी की आपराधिक गतिविधियों पर लंबे समय से नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सत्येन्द्र श्रीवास्तव मौजूदा स्थिति को लेकर चिंतित दिखते हैं और बढ़ते अपराध के पीछे वह सीधे-सीधे सत्ता का सरोकार मानते हैं। वह कहते हैं कि वाराणसी में अब संगठित अपराध के रूप में हत्या जैसी गतिविधियां नहीं हो रही हैं, इस समय दबंगई और पारिवारिक या निजी रंजिश में हत्या की घटनाएँ ज्यादा सामने आ रही हैं। जमीन के चक्कर में सबसे ज्यादा घटनाएँ हो रही हैं। वाराणसी में जमीन को लेकर देखा जा रहा है कि एक ही जमीन को कई बार बेचा जा रहा है जिसकी वजह से भी घटनाएँ बढ़ रही हैं। वाराणसी में कमिश्नरेट बनने के बाद कहीं न कहीं पुलिसिंग कमजोर हो गई है, अब एक-एक जोन में कई-कई आईपीएस नियुक्त हो गए हैं इससे चमक तो बढ़ी है पर जमीनी तौर पर काम करने वाली संस्था के रूप में पुलिस कमजोर हो गई है। वह अपराध के तमाम सरोकार के पीछे राजनीति की बारीक बुनावट को बड़ी वजह मानते हैं। वह कहते हैं कि ‘जो निचले स्तर का अपराध है वह भी कहीं न कहीं सत्ता से प्रोत्साहित होता है। सत्ता इतने ताकतवर तरीके से पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाकर रखती है कि पुलिस प्रशासन खुद को ही मजबूर समझने लगता है। इस प्रकरण में वह सिगरा थाने से जुड़ा हुआ एक प्रकरण बताते हैं कि रथ यात्रा के दौरान लॉ एंड आर्डर ठीक रखने में लगे एक दरोगा ने मेला क्षेत्र में दबंगई कर रहे भाजपा के एक कार्यकर्त्ता को रोकने का प्रयास किया तो वह एकदम से पुलिस को ही धमकाने लगे यहाँ तक की हाथापाई पर उतर आए। वह इंस्पेक्टर उनके अनुमान के मुताबिक कमजोर नहीं पड़ा और वह उन्हें थाने उठा लाया। इस पर सत्ताधारी पार्टी के बहुत से नेता उस इंस्पेक्टर के विरोध में उतर गए और सस्पेंड करने की मांग करने लगे। उन्हें छुड़ाने के लिए पार्टी के तमाम जिला स्तरीय नेता के साथ विधायक तक पँहुचे थे।फिलहाल इस मामले में पुलिस विभाग के आला अधिकारी भी थोड़ा मजबूत दिखे थे और उन्होंने साफ कह दिया था कि सस्पेंड करना तो दूर अभी हम आपकी तरफ से कोई एफआईआर भी दर्ज नहीं कर रहे हैं। बाद में प्रदेश के बड़े नेताओं के हस्तक्षेप से उस इंस्पेक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कि गई। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सत्ता का नशा दिमाग में जब चढ़ जाता है तब वह निरंकुश बना देता है। वह कहते हैं कि सत्ता संरक्षित अपराध किस तरह से यहाँ है उसे देखना हो तो एक बार बीएचयू चले जाइए वहाँ आपको बहुत कुछ दिख जाएगा कि सत्ता किस तरह से अपने कहे जा सकने वाले आपराधियों को बचाती है और भविष्य के लिए पोषित करती है। वह उदाहरण के तौर पर मुंबई के जेजे होटल गोलीकांड के अभियुक्त सुभाष ठाकुर का नाम लेते हैं और बताते हैं कि मुंबई में दाऊद के बहनोई की हत्या मामले में सजायाफ्ता होने के बावजूद शिवपुर थाने में दर्ज आर्म्स एक्ट के एक मामले में पेशी के लिए लाया गया तब से इलाज और बीमारी के नाम पर वह यहीं का होकर रह गया।

इसी तरह वह बगल के जिले जौनपुर के धनंजय सिंह का नाम लेते हैं और बताते हैं कि धनंजय सिंह के खिलाफ एनवीडब्लू जारी हुआ था पर वह मजे से क्रिकेट खेल रहा था।

सत्येन्द्र श्रीवास्तव महज राजनीतिक शह की बात नहीं करते बल्कि इस तरह की गतिविधि में वह जाति की भूमिका को भी बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। उनका मानना है कि हर जगह हर आदमी अपनी जाति के लोगों को बचाने में लगा हुआ है। अब जिस जाति के लोग शासन-प्रशासन में बड़ी भूमिका में होंगे उस जाति के लोग अपराध करने में ज्यादा बेखौफ तरीके से काम करेंगे। वह आज किसी अखबार में प्रकाशित खबर जिसमें लिखा हुआ है कि ‘धनंजय सिंह ने अपने कर कमलों से दीप प्रज्ज्वलित कर उदघाटन किया’ के जिक्र पर कहते हैं कि वाराणसी में क्राइम रिपोर्टिंग भी अब मर चुकी है सिर्फ विज्ञप्ति के सहारे सूचना छापी जा रही है। एक दौर था कि मीडिया किसी अपराधी के प्रति इस तरह के सम्मान का प्रदर्शन नहीं करता था पर अब सत्ता के करीबी अपराधी या फिर जाति के करीबी अपराधी के लिए मीडिया भी एक साफ्ट कॉर्नर के साथ सामने आता है।

अखबार और न्यूज वेबसाइट पर अपराध की खबरें भरी पड़ी हैं। सवाल तो उठेगा, जवाब सत्ता देगी या स्थानीय प्रशासन अपराध को नियंत्रित करने में कामयाब होगा यह तो भविष्य में ही स्पष्ट होगा। प्रधानमंत्री जी के सम्मान पर भी वाराणसी की दिन-ब-दिन असुरक्षित होती जमीन सवालिया निशान लगा रही है।

वाराणसी के प्रमुख अख़बारों और वेब पोर्टल में इन दिनों प्रकाशित अपराध की खबरों के शीर्षक 

  • वाराणसी में चरम पर अपराध, गंगा किनारे कई टुकड़ों में कटी मिली लाश
  • वाराणसी में चरम पर अपराध! घर में घुसे बदमाशों ने चाकू के बल पर मां बेटे को बनाया बंधक, पुलिस ने कराया रिहा…
  • प्रधानमंत्री  मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अपराध चरम पर हैं आए दिन कोई न कोई घटना सामने आ रही हैं
  • बनारस में तेज गति से बढ़ रहा अपराध का स्तर
  • जेएचवी मॉल में हुई अंधाधुंध फायरिंग
  • फोटो स्टेट दुकान संचालक को मारी गोली
  • देह व्यापार की हुई शिकार
  • अपराध स्तर में हुई बढ़ोत्तरी
  • सशक्त प्रशासन की आवश्यकता
  • काशी में हैवानियत! पांच साल की बच्ची की रेप के बाद हत्या
  • वाराणसी में ढाबा संचालक की गला रेत कर निर्मम हत्या, ग्रामीणों ने किया चक्का जाम
  • 5 साल के मासूम का पहले हुआ अपहरण फिर गला दबाकर की हत्या, आरोपी गिरफ्तार
  • थर्माकोल के डिब्बे में मिला मासूम का शव
  • सीसीटीवी से खुला राज
  • मामूली बात पर चाकू घोंपकर किशोर की हत्या, आरोपी की तलाश में दबिश दे रही पुलिस

वाराणसी के अपराध की तफ़्तीश यहाँ खत्म नहीं होती है बल्कि यह सिर्फ एक परिचय भर कराती हैं कि वाराणसी में सबकुछ उतना सुंदर नहीं है जितना सुंदर अखबर के विज्ञापन में दिखाया जा रहा है। अपराध का ग्राफ जिस तेजी से बढ़ रहा है और अपराधी बेखौफ हैं वह समाज के लिए बेहद डरावना है।

कुमार विजय गाँव के लोग डॉट कॉम के एसोसिएट एडिटर हैं।

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट की यथासंभव मदद करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

लोकप्रिय खबरें