बलिया। प्रदेश में सिपाही नागरिक पुलिस के 60 हजार पदों पर होनी वाली भर्ती को लेकर अनुसूचित जनजाति (गोंड-खरवार) के युवा ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। उनसे जाति प्रमाण-पत्र माँगा जा रहा है। छात्रों ने आरोप लगाया कि तहसीलदार और लेखपाल के कारण ये समस्याएँ हो रही हैं।
बीते 27 दिसम्बर को जब युवाओं ने सिपाही भर्ती का फॉर्म भरना शुरू किया तो जाति प्रमाण-पत्र भी अपलोड करने को कहा गया। जाति प्रमाण-पत्र न होने के कारण सैकड़ों युवा निराश होकर साइबर कैफे से लौट आए।
इस समस्या को लेकर बीते गुरुवार को अनुसूचित जनजाति के सैकड़ों छात्र बलिया के मॉडल तहसील पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। युवाओं ने कहा कि जाति प्रमाण-पत्र न होने के कारण अब हमारा भविष्य भी अधर में जाता नज़र आ रहा है। बेरोजगारी के दौर में हमें नौकरी मिलने की उम्मीद थी, जिसमें जाति प्रमाण-पत्र का अड़ंगा लगा दिया गया है।
उत्तर प्रदेश में सिपाही नागरिक पुलिस भर्ती में 1204 सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) हेतु आरक्षित की गई हैं। धरने पर बैठे छात्रों ने आरोप लगाया कि जिले में गोंड-खरवार समाज के हजारों लोगों का जाति प्रमाण-पत्र नहीं जारी किया गया है।
धरना-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे आल गोंडवाना स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आगसा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज कुमार शाह और जिलाध्यक्ष राकेश कुमार गोंड ने एकजुट होकर आंदोलन तेज करने का आह्वान किया है।
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उन्होंने कहा कि जाति प्रमाण पत्र जारी करना प्रारम्भ नहीं किया गया तो आंदोलन के अगले क्रम में सामूहिक संवैधानिक सत्याग्रह अनशन किया जाएगा। सुरेश शाह, कमलेश खरवार, अरविंद गोंडवाना, संजय गोंड, उमाशंकर गोंड, गोपालजी खरवार, शिवशंकर खरवार, आजाद गोंड, राजेश गोंड, मुलायम गोंड, मंटू गोंड, मनोहर गोंड, सूचित गोंड, छितेश्वर गोंड, जितेन्द्र गोंड, प्रमोद गोंड, सोनू गोंड, अभिषेक गोंड, अशोक गोंड थे।
तहसीलकर्मियों के रवैये से परेशान हैं अनुसूचित जनजाति समाज के लोग
इस मामले को लेकर भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री विद्या भूषण गोंड ने अपनी कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि तहसीलदार और लेखपाल जाति प्रमाण-पत्र जारी करने के मामले में शासनादेश का उल्लंघन करते आ रहे हैं। आदेश के अनुसार, जाँच के सात दिन के अंदर प्रमाण-पत्र जारी कर देना चाहिए। यह मामला सिर्फ बलिया का ही नहीं है, यूपी के अन्य जिलों से भी ऐसी हजारों शिकायतें आ रही हैं। कई मामलों में लेखपाल द्वारा पैसे लेने की भी शिकायतें मिली हैं। सरकार की सख्ती के बाद भी तहसीलकर्मी मनमाना रवैया अपना रहे हैं, जो राज्य कर्मचारी नियमावली का उल्लंघन है।
बलिया के भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष मुंजी गोंड ने बताया कि जिलाधिकारी के समक्ष इस मामले को रखा गया था। उनके द्वारा जिले के सभी तहसीलों को प्रमाण-पत्र जारी करने का निर्देश दिया गया है। ज्यादातर मामलों में तहसीलदार ही प्रमाण-पत्र जारी करने में आनाकानी करते हैं। वर्कलोड का बहाना बना दिया जाता है। मुंजी गोंड के अनुसार, प्रमाण-पत्र के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया से गुज़रने के बाद समाज के लोगों को लेखपाल से भी मिलना पड़ता है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि जाति प्रमाण-पत्र के कारण छात्रों को छात्रवृत्ति भी नहीं मिल पाती है। इस बार समाज के सम्पूर्ण लोगों को प्रमाण-पत्र नहीं जारी किया गया तो दो जनवरी को मैं जिलास्तरीय धरना-प्रदर्शन करूँगा।
अनुसूचित जनजाति समाज के लोगों ने दी थी चेतावनी
उल्लेखनीय है कि शासन से जिले में निवास करने वाले गोंड, खरवार समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता दी गई है। इन्हें (एसटी) जाति प्रमाण जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। वर्तमान में ऑनलाइन आवेदन करने के बावजूद लेखपाल और तहसीलदार आवेदन निरस्त कर रहे हैं।
मंगलवार को इस समस्याओं को लेकर गोंड, खरवार समुदाय के युवाओं ने कुँवर सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय छात्रसंघ के महामंत्री कृष्णा कुमार गोंड, सतीश चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व पुस्तकालय मंत्री जितेंद्र गोंड, आल गोंडवाना स्टूडेन्ट्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष राकेश कुमार गोंड, संरक्षक अरविंद गोंडवाना, लल्लन प्रसाद गोंड के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया था साथ ही सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन भी सौंपा था।
जुलूस के शक्ल में सदर तहसील पर पहुँचे थे और चेतावनी देते हुये कहा कि जनजाति का प्रमाण पत्र जारी करना प्रारम्भ नहीं किया गया तो 28 दिसम्बर से अनिश्चितकालीन घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन प्रारम्भ कर दिया जाएगा।