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मत चूको योगी…!

कहीं ऐसा न हो कि अपने बाबा बुलडोजर पर सवार होकर, इसको-उसको मिट्टी में मिलाते ही रह जाएं और उधर गुजरात वाले भूपेंद्र भाई पटेल दिल्ली का हनुमान बनने की दौड़ में बाजी मार ले जाएं। बेशक, पटेल के राज में अहमदाबाद में नरेंद्र मोदी स्टेडियम में क्रिकेट मैच के दौरान पहले कई घंटे तक जैसे सिर्फ मोदी-मोदी हुई है, अभूतपूर्व थी।

हमें तो फिक्र हो रही है। अपने योगीजी के ग्रह बहुत ठीक नहीं चल रहे हैं। कहीं ऐसा न हो कि अपने बाबा बुलडोजर पर सवार होकर, इसको-उसको मिट्टी में मिलाते ही रह जाएं और उधर गुजरात वाले भूपेंद्र भाई पटेल दिल्ली का हनुमान बनने की दौड़ में बाजी मार ले जाएं। बेशक, पटेल के राज में अहमदाबाद में नरेंद्र मोदी स्टेडियम में क्रिकेट मैच के दौरान पहले कई घंटे तक जैसे सिर्फ मोदी-मोदी हुई है, अभूतपूर्व थी। और वो पूरे मैदान पर मोदीजी का अभिवादन बंटोरने वाला चक्कर, वो क्रिकेट के बल्लों से सजा हुआ रथ, ऐसा अभिनंदन तो किसी दूसरे बड़े से बड़े चक्रवर्ती सम्राट का भी नहीं हुआ होगा। आस्ट्रेलिया के पीएम ने जो इस सबके लिए धन्यभाग, धन्यभाग का जाप किया, सो ऊपर से। पर हम उसकी बात नहीं कर रहे हैं। और सिर्फ उसकी बात तो हम कर भी कैसे सकते हैं! पटेल साहब को रथ पर सारथी तक की जगह नहीं मिली और मोदीजी को मोदीजी की ही तस्वीर गिफ्ट भी की गयी तो अमित शाह के पुत्र के कर कमलों से, यानी ईवेंट मैनेजमेंट के पटेल साहब सारे नंबर भी ले जाएं, पर योगीजी से बाजी थोड़े ही मार लेंगे।

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पटेल के योगीजी से बाजी मारने का खतरा पैदा हो रहा है, क्योंकि पटेल की गुजरात विधानसभा ने बीबीसी की डाक्यूमेंट्री के खिलाफ बाकायदा प्रस्ताव पास किया है। और सिर्फ प्रस्ताव ही पास नहीं किया है, मोदी सरकार से बीबीसी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है। सख्त यानी जो बिना किसी के मांगे आयकर का छापा पड़वाया गया था, कम से कम उससे ज्यादा सख्त। अब बताइए! योगीजी इधर-उधर बुलडोजर से घरों को मिट्टी में मिलाते ही रह गए और पटेल साहब की असेंबली ने मोदीजी सरकार से, मोदीजी की बुराई करने के लिए, बीबीसी से सख्ती करने की मांग भी कर डाली। यानी इसका भी इंतजाम कि मोदीजी की ईडी, सीबीआइ आगे जो कार्रवाई करेंगे, पापुलर डिमांड पर होगी। इन्कम टैक्स वालों की कार्रवाई की आलोचना होने दी तो दी, अब बीबीसी के खिलाफ किसी कार्रवाई की आलोचना की इजाजत नहीं दी जाएगी। जो आलोचना करेगा, पब्लिक के खिलाफ यानी एंटीनेशनल माना जाएगा और यूएपीए में लंबा अंदर जाएगा।

बीबीसी वाले मामले में गुजराती पटेल साहब बाजी मार ले गए। इससे पहले कॉमन सिविल कोड के मामले में, उत्तराखंड वाले धामी बाबू मार ले गए थे। यूपी वाले योगी होकर भी इस तरह पिछड़ जाएं, यह तो हिंदू राष्ट्र के लिए अच्छी बात नहीं है। हिंदू-हृदय सम्राट न सही, पर योगीजी हिंदुत्व के पोस्टर ब्वाय तो शुरू से ही रहे हैं। पांच साल बाद कोई पटेल, कोई धामी, कोई बोम्मई ऐसे ही उन्हें पीछे छोड़ कर आगे निकल जाए, यह तो हिंदू-राष्ट्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है। खैर अभी भी वक्त है; पर यूपी के बाबा को भी अपनी रणनीति बदलनी होगी। मंदिर-मंदिर करना जरूरी है। बुलडोजर को अपना लोगो बनवाना और पूरी पार्टी में कमल के बाद, बुलडोजर को वैकल्पिक निशान मनवाना भी कोई छोटी बात नहीं है। काशी को नया नरेश दिलाना और भी अच्छा है। पर इतना सब काफी नहीं है। नये नरेश के शत्रुओं पर निरंतर प्रहार करते दीखना भी तो जरूरी है। योगी जी भी बीबीसी पर प्रहार का मौका चूक नहीं सकते हैं। पर सिर्फ कार्रवाई की मांग का प्रस्ताव काफी नहीं होगा। यूपी के बाबा को अब गुजरात के पटेल से आगे जाना होगा। लंदन पर टैंकों से चढ़ाई न सही, कम से कम बीबीसी के दफ्तर के लिए बुलडोजर तो भिजवाना ही होगा। और हां! कानपुर-वानपुर में जब भी अगला क्रिकेट मैच हो, उसमें मोदीजी की रथयात्रा का इंतजाम भी। मत चूको योगी!

गाँव के लोग
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