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राजस्थान : वंचित समुदाय सरकारी योजनाओं की कमी के चलते शिक्षा पाने में नाकामयाब
राजस्थान में सरकारी स्कूलों की स्थिति का हाल कुछ ऐसा है कि स्कूलों में मास्टर की कमी सबसे बड़ी समस्या है। उदाहरण के लिए, राज्य में लगभग 1.17 लाख शिक्षण पदों पर अभी भी टीचरों की नियुक्ति नहीं हुई है। स्कूलों को उच्च माध्यमिक स्तर पर अपग्रेड किया गया है, लेकिन नए पदों पर टीचर की नियुक्ति नहीं होने के कारण कक्षाएँ नियमित रूप से नहीं चल पा रही हैं। UDISE ( Unified District Information System for Education) रिपोर्ट बताती है कि 7,688 स्कूलों में सिर्फ एक ही शिक्षक होते हैं, और 2,167 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहाँ एक भी छात्र नामांकित नहीं है।
छतीसगढ़ शिक्षा विभाग : सरकार की गति कुछ और भविष्य की दिशा कोई और
छत्तीसगढ़ में भाजपा शासन में 4077 विद्यालय बंद किए जा चुके हैं। सरकार शिक्षा के स्तर सुधारने और नई भर्ती करने की बजाए उसे बिगाड़ने का काम कर गाँव के बच्चों को पढ़ाई से वंचित करने की व्यवस्था बना रही है। सदैव से भाजपा की यही रणनीति रही है कि शिक्षा एक खास वर्ग ही हासिल कर पाए। भाजपाशासित प्रदेशों में शिक्षा और शिक्षा नीति में लगातार बदलाव कर तर्क सम्मत पाठ्यक्रमों को हटाकार धार्मिक विषयों को शामिल करने की होड़ लगी है।
देश के विश्वविद्यालयों में भर्ती प्रक्रिया प्रश्नों के घेरे में
असली जातिवाद देखना है तो विश्वविद्यालयों की वर्तमान स्थिति को देखा जा सकता है। जातिवाद के सबसे क्रूर, घिनौने और घिनौने स्थान विश्वविद्यालय बन गए हैं। जहां गले तकभ्रष्टाचार खुले आम हो रहा है। विश्वविद्यालय के मुखिया से लेकर प्रोफेसरों की नियुक्ति अब आरएसएस और भाजपा के इशारे पर हो रही है।
शिक्षा : तमाम दिक्कतों के बावजूद शिक्षकों ने अपनी भूमिका को बेहतर निभाया है
एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) द्वारा किए गए सर्वे के आधार पर यह सामने आया कि प्राथमिक और पूर्व प्राथमिक विद्यालय के बच्चों की बुनियादी साक्षरता और गणितीय कौशल के स्तर मे सुधार के लिए किए जा रहे प्रयास के परिणाम सही दिशा में आते हुए दिखाई दे रहे हैं। हालांकि यह लक्ष्य बहुत सकारात्मक नहीं है लेकिन सुधार होता दिख रहा है। ‘निपुण भारत मिशन’ जिसकी शुरुआत 5 जुलाई 2021 को हुई थी, तय लक्ष्य पाने में अभी बहुत पीछे है लेकिन जो भी हासिल है उसका श्रेय शिक्षकों को दिया जाना चाहिए।
उत्तराखंड : पढ़ाने के इतर कामों से मुक्त हों सरकारी अध्यापक ताकि बच्चे पढ़ पाएं
विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई में रुचि पैदा हो इसके लिए अध्यापकों का पूरा ध्यान दिया जाना जरूरी है। लेकिन होता यह है कि सरकारी विद्यालयों में अध्यापकों को पढ़ाने के अलावा अन्य प्रशासनिक कामों की ज़िम्मेदारी सौंप दी जाती है और उसे करने का दबाव बनाया जाता है, जिसकी वजह से अध्यापक काम पूरा करने के लिए बच्चों को दिये जाने वाले समय से कटौती करता है। सरकार को अन्य प्रशासनिक कामों से पूरी तरह मुक्त रखना होगा ताकि बच्चे बच्चे सीखने की उम्र में रुचि के साथ सीख सकें।
फ़तेहपुर : डॉ. भीमराव आम्बेडकर राजकीय महाविद्यालय में सरस्वती की मूर्ति लगाने का विरोध
फ़तेहपुर। बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय (फ़तेहपुर) परिसर में सरस्वती मूर्ति लगाने हेतु मंदिर निर्माण का कार्य चल रहा है।...
केरल के शिक्षा विभाग ने 1890 के दशक से प्रकाशित 1,000 से अधिक पाठ्यपुस्तकों का किया डिजिटलीकरण
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तिरुवनंतपुरम (भाषा) केरल के शिक्षा विभाग ने विभिन्न विषयों पर आधारित किताबों डिजिटलीकरण किया है। यह डिजिटलीकरण 1,250 से अधिक पाठ्यपुस्तकों का किया गया...
पेपर लीक रोकने हेतु आ सकता है सख़्त कानून, दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई
नई दिल्ली: केंद्र सरकार पेपर लीक मामले से निपटने के लिए लोकसभा में एक विधेयक पेश करने की तैयारी में है। इस विधेयक का...
ठंड के कारण कक्षा में बच्चे की हालत बिगड़ी, कुछ दिन और स्कूल बंद रखने की माँग
भदोही। जिले के विकास खंड ज्ञानपुर के प्राथमिक विद्यालय घोरहां में सुबह स्कूल पहुँचे बच्चे की हालत बिगड़ गई। कांपते हुए वह बेहोश हो...
राजस्थान : भोपालराम गांव में शैक्षणिक बाधाओं से गुज़रती किशोरियां
हमारे देश में आजादी के बाद जिन बुनियादी विषयों पर सबसे अधिक फोकस किया गया है, उनमें शिक्षा भी महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसा...
गया : बिजली कटौती के कारण बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहें हैं
‘जब जब शाम में पढ़ने बैठते हैं तो लाइट ही चली जाती है। कई बार तो जल्दी आ जाती है, लेकिन अक्सर घंटों बिजली...