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प्याज निर्यात पर प्रतिबंध से किसानों एवं व्यापारियों में आक्रोश, रोकी नीलामी

किसानों ने शुक्रवार को नासिक में लासलगांव, चंदवाड, नंदगांव, डिंडोरी, येवला, उमराने और अन्य स्थानों की प्याज मंडियों में नीलामी बंद कर दी। केंद्र सरकार के इस फैसले से आक्रोशित किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया है।

वाराणसी। केंद्र सरकार  द्वारा प्याज निर्यात पर प्रतिबंध के खिलाफ जहां देश भर के किसान नाराज दिख रहे हैं वहीं अब व्यापारी संगठन भी किसानों के साथ खड़े हो गए हैं। वाराणसी के सब्जी व्यापार से जुड़े संगठन वाराणसी में भी किसानों के पक्ष में एकजुट होकर सरकार से मांग कर रहे हैं कि निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाया जाय। किसान और व्यापारी दोनों इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यदि समय से प्याज नहीं बेंचा जा सका तो प्याज सड़ जाएगा जिससे दोनों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

पहड़ियामंडी के अध्यक्ष श्याम नारायण कहते हैं ‘अभी प्याज के दाम इतने ज्यादा नहीं बढ़े है कि उस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। यही स्थिति रही तो आगे किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पाएगा।’

प्याज निर्यात पर प्रतिबन्ध को लेकर उत्तर प्रदेश में भी राजनीति गर्म होती दिख रही है। समाजवादी पार्टी के व्यापरा सभा के महानगर अध्यक्ष वाराणसी रवि जायसवाल सरकार के इस ऐलान का विरोध करते हुये कहते हैं कि यह सरकार किसान, व्यापारी, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज की विरोधी है। प्याज का निर्यात रोकने से उसकी सोच साफ तौर पर सामने आ गई है। वह चाहती है कि आम किसान, किसी भी तरह से किसानी पेशे से दूर हो जाये ताकि कृषि कार्य पर भी कारपोरेट का नियंत्रण स्थापित हो जाये। वह कहते हैं कि सरकार की किसान विरोधी नीति कि वजह से पहले भी किसानों को लंबा आंदोलन करना पड़ा था तब जाकर सरकार घुटनों पर आई थी और प्रधानमंत्री को देश से माफी मांगनी पड़ी थी। इस बार भी जरूरत पड़ी तो किसान, व्यापारी समाज आंदोलन करने को बाध्य होगा। उन्होंने कहा कि जब चुनाव आता है तब भारतीय जनता पार्टी अपने फरेबी नारों से जनता को गुमराह करती है। प्याज का निर्यात रोककर वह चुनावी हित साधना चाहती है पर इस बार उसने व्यापारी समाज को नाराज कर दिया है इसका खामियाजा उसे लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा।

बाजार में यह चर्चा भी है कि प्याज के बढ़े हुये दामों ने ही अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में एनडीए सरकार को दस साल के लिए सत्ता से दूर कर दिया था इसलिए अब जबकि लोकसभा का आगामी चुनाव निकट है तब सरकार प्याज के बढ़ते हुये दाम से डरी हुई है। अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल के अंतिम दिनों में प्याज के दाम में बेतहाशा वृद्धि हुई थी और बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई थी। जिसका राजनीतिक लाभ कांग्रेस को मिला था और अगले दस साल तक सत्ता उसके हाथ में रही।

 प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध की घोषणा के बाद प्याज किसानों ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के नासिक में मुंबई आगरा राजमार्ग को तीन स्थानों पर अवरुद्ध कर दिया और जिले के थोक बाजार में नीलामी रोक दी। केंद्र ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को काबू में रखने के लिए प्याज के निर्यात पर 31 मार्च, 2024 तक प्रतिबंध के साथ 40% शुल्क लगा दिया है।

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, किसानों ने शुक्रवार को नासिक में लासलगांव, चंदवाड, नंदगांव, डिंडोरी, येवला, उमराने और अन्य स्थानों की प्याज मंडियों में नीलामी बंद कर दी। केंद्र सरकार के इस फैसले से आक्रोशित किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र के नासिक की जिले की थोक मंडियों में किसानों ने सोमवार को प्याज की नीलामी रोक दी और हड़ताल शुरू कर दी। किसानों की समर्थन में प्याज के थोक व्यापारियों ने भी अपनी दुकान बंद रखीं।

किसान संगठनों का कहना है कि यह पूरी तरह से चुनावी राजनीति की मजबूरियों के तहत उठाया गया किसान विरोधी कदम है। अभी इसकी कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि प्याज के दाम अभी उसे स्तर पर नहीं पहुंचे हैं कि ऐसा कोई कदम उठाना पड़े।किसानों का कहना है कि  सरकार यदि उनकी बातों को अनसुनी करती है तो आंदोलन तेज होगा।

कैसा है भारत में प्याज का कारोबार

भारत से प्याज मुख्य रूप से मलेशिया बांग्लादेश श्रीलंका संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल कतर इंडोनेशिया ओमान वियतनाम और कुवैत को निर्यात किया जाता है। भारतीय प्याज के कुल उत्पादन का 26 प्रतिशत निर्यात होता है। चालू वित्त वर्ष 2023- 24 में 1 अप्रैल से 4 अगस्त तक 9.75 फीसदी प्याज का निर्यात किया जा चुका है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय प्याज की काफी मांग है। देश ने वर्ष 2022-23 के दौरान, 2,525,258.35 मीट्रिक टन ताजा प्याज का निर्यात में किया किया जिससे 4,522.79 करोड़ रुपये/ 561.38 मिलियन अमरीकी डॉलर अर्जित हुये थे।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के एक आंकड़े के अनुसार

प्याज के मुख्य उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और तेलंगाना हैं।

वर्ष 2021-22 (तीसरा अग्रिम अनुमान) में महाराष्ट्र 42.53% की हिस्सेदारी के साथ प्याज उत्पादन में पहले स्थान पर है जिसके बाद 15.16% की हिस्सेदारी के साथ मध्य प्रदेश का स्थान है।

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