पूर्वांचल के लगभग हर जिले में नहरें सूखी हुई हैं। धान की फसल निजी सिंचाई के साधनों से संभाली जा रही है। यही हाल पूर्वी अवध का भी है। नहरों में बालू जमा है तो माइनरों में घासें उगी हुई हैं। स्थानीय किसानों से बात करने पर पता चला कि उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। नेताओं के यहाँ जाइए तो वे इस आधार पर हमसे मिलते हैं हैं कि हम उनके वोटर हैं कि नहीं। नहर विभाग से आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिलता।
आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर किसानों के सवाल का जवाब हर प्रत्याशी को देना होगा। अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के किनारे इंडस्ट्रियल कॉरीडोर या पार्क के नाम पर किसान एक इंच जमीन नहीं देंगे।
भाजपा 'मुद्दों' की जगह 'मोदी' और 'जवान-किसान' की जगह 'हिन्दू-मुसलमान' से काम चलाना चाहती है। पहले किसान को एम.एस.पी. देने का वादा और उनकी आमदनी डबल करने का वादा कर मोदी जी फंस गए थे। इसलिए इस बार तय किया गया है कि कोई भी ऐसा वादा न किया जाए जिसका बाद में हिसाब देना पड़े।
'अन्नदाता सुखी भव:' एक किताबी उक्ति बनकर रह गई है, हकीकत निराशाजनक है। देश का अन्नदाता दुःखी है। अन्नदाता आत्महत्या करने को मजबूर है। किसानों की दशा सुधारने के लिए किए गए वायदे खोखले ही साबित हुए हैं।
पिंडरा के ही चनौली बसनी के किसान राजनाथ पटेल सवाल उठाते हैं, ‘क्या यही अच्छे दिन हैं? क्या इसीलिए जनता ने मोदी जी को चुना था? आज तो किसान बद से बदतर स्थिति में पहुंच चुका है। आज किसानों को MSP के नाम पर सिर्फ बेवकूफ बनाया जा रहा है। सरकार अगर एमएसपी दे रही है तो फसलों की खरीद के लिए क्रय केन्द्र क्यों नहीं खोल रही है।
आजमगढ़ एयरपोर्ट का उद्घाटन करने के लिए 10 मार्च को आजमगढ़ के दौरे पर पहुंच रहे हैं। सभा के लिए मैदान तैयार करने के लिए किसानों की फसलों को मशीनों से रौंदवा दिया गया।
जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में बाढ़ और सूखे के हालात पैदा होने का खतरा बढ़ रहा है। अभी जलवायु परिवर्तन की अंतर सरकारी समिति (आईपीसीसी) की "जलवायु परिवर्तन 2022 के प्रभाव" पर आई ताजा रिपोर्ट भारत के खेती-किसानी के लिए खतरा पैदा करने वाली है।
किसान बुधवार सुबह एक बार फिर अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू करने के लिए अंबाला के पास शंभू सीमा पर एकत्र हुए, जिसके चलते भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे।
डल्लेवाल ने कहा, ‘‘अगर सरकार यह कह रही है कि वह बातचीत के लिए सकारात्मक है तो किसान और ज्यादा सकारात्मक हैं। हमारा हंगामा करने और किसी को नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है। हम शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करने वाले लोग हैं।’’
किसानों ने शुक्रवार को नासिक में लासलगांव, चंदवाड, नंदगांव, डिंडोरी, येवला, उमराने और अन्य स्थानों की प्याज मंडियों में नीलामी बंद कर दी। केंद्र सरकार के इस फैसले से आक्रोशित किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया है।
बोले अनुज कुमार सिंह: नाबार्ड का उदेश्य महिलाओं के सामाजिक समस्याओं का नीराकरण करना है
बड़ागाँव (वाराणसी)। “मजदूर दिवस” के अवसर पर प्रगति पथ फ़ाउंडेशन...
कहां की फसल की लागत मूल्य पर डेढ़ गुना बढ़ाने का दावा पहले भी कर दिए गए हैं, यह जानते नहीं कि फसल की लागत कितनी है। पहले सीमांत तथा लघु सीमांत किसानों की श्रेणी का पता नहीं चलता, जबकि अब यह पैमाना देखना होगा कि कितनी लागत फसल में लगी है। जिसके लिए सबसे पहले तो कृषि को उद्योग का दर्जा मिलने सहित किसान आयोग का गठन होना चाहिए। स्वामीनाथन आयोग के सिफारिशो को तत्काल लागू करना चाहिए। जिससे किसानों को कृषि में लाभ मिले।
नए कृषि क़ानून खोटे, घटिया वाणिज्य को मजबूती देने के लिए लाए गए हैं। इसका असर पूरे सिस्टम पर पड़ेगा। यह मन और तन दोनों को विकृत करेगा|।हिंसा में उछाल आएगा। हत्याओं-आत्महत्याओं-मौतों का ग्राफ तेजी से बढ़ेगा। समाज के विभिन्न घटकों में पहले से चला आ रहा टकराव घातक शक्ल अख्तियार करेगा।