लेकिन दो साल बाद, हमास के चुनाव के बाद, इज़रायली सरकार ने पूरी गाजा पट्टी पर नाकाबंदी लगा दी। इसलिए आज जो बच्चे 18-वर्ष के हैं, उनको लगभग पूरा जीवन अभाव की स्थिति से गुजरना पड़ रहा है।
गाजा के निवासियों व सैनिकों को हटाने और नाकाबंदी लागू करने के बाद भी, वहाँ के नागरिकों की आबादी के प्रति अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत इजरायल को उसकी जिम्मेदारी से मुक्ति नहीं मिली। रेडक्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति के अनुसार, इज़राइल अभी भी ‘कब्जे के कानून के तहत कुछ दायित्वों से बंधा हुआ है।’ जैसा कि चौथे जिनेवा सम्मेलन के अनुच्छेद 55 में बताया गया है, इसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि गाजा की आबादी को भोजन, दवाएं और अन्य बुनियादी सामान मिले।
लेकिन हाल के दिनों में इज़रायली सरकार ने नाकाबंदी कड़ी कर दी है ताकि नागरिकों को जीवित रहने के लिए जरूरी वस्तुओं से भी वंचित कर दिया जाय। गाजा में बच्चों की सुरक्षा को लेकर शोधकर्ता के रूप में, मैं इस लेख को लिख रहा हूँ। स्थानीय लोग रोटी और दूषित पानी पर जी रहे हैं।
हमास के हमले के बाद इजराइल द्वारा लगाई गई रोक और घेराबंदी का गाजा के बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव से दुनियाँ अनभिज्ञ नहीं है। पानी और भोजन की कमी बच्चों को, वयस्कों की तुलना में तुरंत और अधिक गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है।
जहां हमले हो रहे हैं, वहाँ बच्चे बीमार पड़ रहे हैं या घायल हो रहे हैं, तब भी वे बदहाल स्वास्थ्य प्रणाली में इलाज की तलाश कर रहे हैं। जो लोग अभी भी काम कर रहे हैं, उन्हें दवा की भारी कमियों का सामना करना पड़ रहा है। इन परिस्थितियों में अनेक बच्चे गंभीर रूप से मृत्यु की चपेट में आ रहे हैं।
युद्ध की मार
लेकिन यह मानना ग़लत होगा कि नाकाबंदी के मौजूदा हालात होने से पहले, गाजा में बच्चे स्वस्थ जीवन का आनंद ले रहे थे। घनी आबादी वाले गाजा पट्टी इलाके में, इजरायली नाकाबंदी की स्थितियों के कारण बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के कारण ज़रूरतें तेजी से बढ़ी हैं।
नियमित प्रत्यक्ष सैन्य हमलों के कारण बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, दोनों पर असर पड़ रहा है। बड़े बच्चे अपने संक्षिप्त जीवनकाल (2008-9, 2012, 2014, 2021, 2022 और 2023) में आज तक छ: युद्धों की त्रासदी से गुजरे चुके हैं।
इज़राइल ने 2007 में वर्तमान युद्ध तक अपनी नाकाबंदी लागू की थी, डिफेंस फॉर चिल्ड्रेन इंटरनेशनल-फलस्तीन (डीसीआईपी), एक फलस्तीनी मानवाधिकार संगठन जो विशेष रूप से बाल अधिकारों पर केंद्रित है, ने इजरायली सैन्य हमलों में गाजा में मारे गए, फलस्तीनी बच्चों की गिनती 1,189 है।
इन युद्धों ने बच्चों के अस्तित्व और कल्याण के प्रति दीर्घकालिक खतरे भी पैदा किए हैं। प्रत्येक युद्ध के बाद, इज़राइल ने निर्माण सामग्री, जनरेटर और पानी के लिए मुख्य वाणिज्यिक क्रॉसिंग के माध्यम से गाजा तक पहुंचना मुश्किल कर दिया है।
इन सामग्रियों के बिना मलबे को पूरी तरह से साफ़ करना और घरों, स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक स्थानों का पुनर्निर्माण करना असंभव है। पुनर्निर्माण की कमी से बच्चों के लिए बाहर खेलना जोखिमपूर्ण हो गया है।
2008-09 के युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा की गई एक रिपोर्ट में मलबे के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं पर प्रकाश डाला था, जो विशेष रूप से बच्चों को प्रभावित करने वाला था। प्रदूषित जल आपूर्ति, दूषित मिट्टी, खुली धातु की छड़ों सहित व्यापक मलबे, सभी ने बच्चों के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित किया है।
ढहता बुनियादी ढांचा
नाकाबंदी से आवश्यक बुनियादी ढांचे को विकसित करना भी असंभव हो गया है। स्वच्छ जल, पर्याप्त सीवेज और रद्दी निपटान के निपटारे के लिए आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता है।
इस बीच, बिजली की कमी और स्वच्छ संरचनाओं की कमी का मतलब है कि गाजा में समुद्र सीवेज और खराब उपचारित दूषित जल के कारण अत्यधिक प्रदूषित पानी उपलब्ध होना है।
बच्चों के खेलने के लिए बहुत कम सुरक्षित सार्वजनिक स्थान होने के कारण, समुद्र तट पर एक ऐसा स्थान है, जहाँ कई लोग राहत के लिए जाते हैं। हालांकि, आरएएनडी कॉर्पोरेशन की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, पानी से संबंधित बीमारियाँ गाजा में बाल और शिशु मृत्यु दर का एक प्राथमिक कारण है।
कुछ बच्चों को जटिल चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है जो गाजा में उपलब्ध नहीं है। अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, बच्चों की पर्याप्त चिकित्सा देखभाल तक पहुंच इज़राइल की जिम्मेदारी है। मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, इज़राइल में बच्चों को आवश्यक देखभाल तक पहुँचने के लिए चिकित्सा परमिट के अनुरोधों को नियमित रूप से नकार दिया जाता है।
विकलांग बच्चों के लिए पुनर्वास सहायता की आवश्यकता 2018 और 2019 में बढ़ी, जब हजारों बच्चों और युवाओं ने ‘वापसी के महान’ मार्च के दौरान प्रदर्शनों में भाग लिया।
इज़रायली सेना ने असली और रबर की गोलियों से जवाब दिया, जिसमें 46 लोग मारे गए और लगभग 8,800 बच्चे घायल हो गए। कई बच्चे, जिन्हें गंभीर चोटें लगी थीं, जिनमें अंग-भंग भी शामिल था, उन्हें आवश्यक उपचार के लिए गाजा छोड़ने की अनुमति नहीं दी गई।
फ़लस्तीनी डॉक्टरों, नर्सों, अन्य चिकित्सा-कर्मियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज संगठनों ने नाकाबंदी के तहत गाजा में फ़लस्तीनी बच्चों के स्वास्थ्य और भलाई के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हुए 16 साल बिताए हैं।
पिछले सप्ताह में इज़रायली सेना के कई निकासी आदेशों के बावजूद, अस्पताल के कर्मचारी जीवन बचाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। फिर भी स्वास्थ्यकर्मियों और सुविधाओं पर हमले हो रहे हैं। इस बीच डीसीआईपी की रिपोर्ट है कि पिछले हफ्ते 1,000 से ज्यादा फलस्तीनी बच्चे मारे गए हैं।
यह समझा जाना चाहिए कि पिछले सप्ताह में इज़राइल की कार्रवाई – जिसे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के अधिकारियों ने ‘जातीय सफाया’ कहा है – उसकी नाकाबंदी के माध्यम से बच्चों के शरीर और उनकी आशाओं और उनकी उम्मीदों दोनों की हत्या का 16 साल का विस्तार है।
(लेखक बाथ विश्वविद्यालय; केटलिन प्रॉक्टर, द ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट, जिनेवा; मोहम्मद अलरुज़ी, ब्रिस्टल विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हैं।)