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ग्राउंड रिपोर्ट

भदोही के कॉलेजों में अनेक कोर्स न होने से लड़कियों और ग़रीब छात्रों को नहीं मिल पा रही मनपसंद उच्च शिक्षा

भदोही को जिला बने 29 साल हो गये हैं। पर अफसोस कि जिले के छात्रों के लिए यहाँ मेडिकल, विधि, कृषि, कंप्यूटर जैसे विषयों की शिक्षा हासिल करना अब भी दिवास्वप्न बना हुआ है। नतीजन, छात्र-छात्राओं को इन विषयों की उच्च शिक्षा के लिए जिले के बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में ग़रीब परिवार के […]

भदोही को जिला बने 29 साल हो गये हैं। पर अफसोस कि जिले के छात्रों के लिए यहाँ मेडिकल, विधि, कृषि, कंप्यूटर जैसे विषयों की शिक्षा हासिल करना अब भी दिवास्वप्न बना हुआ है। नतीजन, छात्र-छात्राओं को इन विषयों की उच्च शिक्षा के लिए जिले के बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में ग़रीब परिवार के छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

गोपीगंज निवासी राकेश रावत स्नातक छात्र हैं। वह बताते हैं कि शिक्षा संस्थानों के लिहाज से भदोही एक पिछड़ा जिला है। उच्च शिक्षा के लिए सरकारी संस्थानों की कमी है, जिसके चलते दलित समाज के छात्रों को आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से उच्च शिक्षा हासिल करने का पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाता है।

इस साल 23,378 छात्र-छात्राओं ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की (इसमें CBSE और ICSE बोर्ड के इंटरमीडिएट बच्चों को काउंट नहीं किया गया है)। जबकि जिले में स्नातक सीटों की कुल संख्या 10 हजार के आस-पास ही हैं। काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, ज्ञानपुर में स्नातक के ढाई हजार सीटों के साथ दो अन्य राजकीय और 18 स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों को मिलाकर स्नातक की कुल 10 हजार सीटे हैं।

दूसरी ओर, जिले की लड़कियां मनचाहे विषय (कोर्स) की पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं। पितृसत्तात्मक सोच और सुरक्षा के भय के चलते अधिकतर परिवार लड़कियों पर दबाव बनाते हैं कि वे उन कोर्स या विषयों को लेकर पढ़ें जो जिले के कॉलेजों में मौजूद है। वहीं, गैर जिले (वाराणसी) की यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेजों में लड़कियों को किसी न किसी कारण से वाराणसी जाना पड़ता है। इसके चलते भी परिजन लड़कियों को उच्च शिक्षा से वंचित रखते हैं। नई बाज़ार की प्रीति मौर्या इसका जीता जागता उदाहरण हैं। प्रीति बीएससी (कृषि) की पढ़ाई करना चाहती थी, लेकिन उनके जिले में यह कोर्स संचालित करने वाला कोई संस्थान ही नहीं है। ऐसे में पितृसत्तात्मक सोच वाले परिजनों ने दो टूक कहा- ‘पढ़ना हो तो बीए पढ़ लो, नहीं तो घर बैठो, हम पढ़ने के लिए बाहर नहीं भेजेंगे।’ प्रीति मन मसोसकर रह गयी। उन्हें समझौता करना ही पड़ा। फिलहाल, बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा प्रीति कहती हैं- ‘जिले में यूनिवर्सिटी होती तो उनको यह समझौता नहीं करना पड़ता।’

[bs-quote quote=”नवंबर 2022 तक अपडेटेड यूजीसी लिस्ट के मुताबिक 75 जिलों वाले उत्तर प्रदेश में 34 राज्य विश्वविद्यालय हैं। इसकी तुलना में 23 जिलों वाले पश्चिम बंगाल में 37 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 26 जिलों वाले आंध्र प्रदेश में 27 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 14 जिलों वाले केरल में 15 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 30 जिलों वाले कर्नाटक में 34 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 22 जिलों वाले हरियाणा में 20 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 33 जिलों वाले गुजरात में 30 राज्य विश्वविद्यालय हैं।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

यहां यह बता देना मुनासिब है कि मीरजापुर मंडल में अभी कोई यूनिवर्सिटी नहीं है। अतः इस मंडल के भदोही जिले में संचालित अधिकतर कॉलेज काशी विद्यापीठ (वाराणसी) से संबद्ध हैं। जिसके चलते भदोही जिले में संचालित तमाम स्नातक और परास्नातक महाविद्यालयों के प्रशासकीय कार्य वाराणसी से ही सम्पन्न होते हैं। एडमिशन, परीक्षा, अंकपत्र, प्रमाणपत्र सम्बन्धी किसी भी विसंगति के लिए छात्र-छात्राओं को बार-बार वाराणसी आना-जाना पड़ता है। जिसमें समय और पैसे की बर्बादी के अलावा तमाम असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। छात्राओं के मामले में परिवार के एक सदस्य को भी उनके साथ-साथ जाना पड़ता है।

ग्राहक की दाढ़ी बनाते हुए कन्हैयालाल

औराई ब्लॉक निवासी कन्हैयालाल शर्मा जाति और पेशे से नाई हैं। वह परम्परागत जजमानी का काम करने के अलावा औराई रोड पर अपनी दुकान भी चलाते हैं। कन्हैया लाल बताते हैं कि उनका बेटा इस साल 12वीं कक्षा में है। ग्रेजुएशन की पढ़ाई कंप्यूटर विषय से करना चाहता है। कंप्यूटर में ग्रेजुएशन भदोही के किसी सरकारी कॉलेज में नहीं है, इसके लिए उसे प्रयागराज जिला भेजेंगे। कन्हैलालाल बताते हैं कि उनकी आमदनी इतनी नहीं है कि वे दूसरे जिले में पढ़ाई का अतिरिक्त ख़र्चा वहन कर सकें लेकिन बेटे की इच्छा और भविष्य की बात है तो कैसे भी करके उसे  कंप्यूटर में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने जिले से बाहर भेजेंगे। अपनी लाचारी का इज़हार करते हुए वे कहते हैं, अगर उनके जिले में यह कोर्स होता तो उनके जैसे ग़रीब परिवारों के बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए इतनी परेशानी नहीं उठानी पड़ती।

जिले में उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थिति

गौरतलब है कि काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भदोही जिले का सबसे बड़ा उच्च शिक्षण संस्थान हैं। जिसे काशी नरेश द्वारा 1951 में उत्तर प्रदेश शासन को यह कॉलेज दान स्वरूप प्रदान किया गया था। यह संस्थान महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ (वाराणसी) से सम्बद्ध है और यहां पढ़ने वाले कुल छात्रों की संख्या 6541 है। कॉलेज का कुल भूमि क्षेत्रफल 74.16 है, जिनमें निर्मित क्षेत्र 16.21 एकड़ है। यहां स्नातक, परास्नातक के सामान्य कोर्सेस हैं। जैसे बीएसस संकाय में बायो ग्रुप (जन्तु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान) और मैथ ग्रुप (गणित, भैतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान) का कोर्स उपलब्ध है। पर यदि कोई छात्र बीएससी (एग्रीकल्चर) की पढ़ाई करना चाहता है, तो उसके लिए भदोही जिले में विकल्प नहीं है। इस संस्थान में बीएससी में कुल 700 के क़रीब सीटें है। बीए में 1000 से कुछ ही ज़्यादा सीटें है। जिनमें हिन्दी, इंग्लिश, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, अर्थशास्त्र, गृहविज्ञान, प्राचीन इतिहास, संगीत आदि विषय की पढ़ाई होती है। बीएड का कोर्स चलता है। कॉमर्स में (400 के आस-पास सीटें है) लेकिन स्नातक स्तर पर कंप्यूटर का कोई कोर्स नहीं है। बावजूद इसके कि हम डिजिटल युग में जी रहे हैं।

दिए गए ज्ञापन की प्रतियाँ

इसी तरह परास्नातक स्तर पर एमएससी, गणित (75 सीट) बाकी विषयों में 44-45 सीटें हैं। एमए में सभी विषय के लिए 75-75 सीट हैं। एमकॉम का कोर्स है। बीएड की भी पढ़ाई होती है। नेट-जेआरएफ क्वालीफाइड छात्रों को रिसर्च करवाया जाता है। मेरिट के आधार पर होने वाले प्रवेश में भदोही के छात्रो को 5 प्रतिशत की छूट मिलती है। ज्ञानपुर स्थित इस उच्च शिक्षण संस्थान में आसपास के जिलों से भी छात्र पढ़ाई करने आते हैं। अनुमान है कि काशी नरेश स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 25 प्रतिशत गैर-जिले के छात्र भी पढ़ते हैं।

जिले में मेडिकल कॉलेज भी नहीं है। किसी छात्र को बी. फॉर्मा करना हो तो उसे जिले से बाहर जाना पड़ता है। साल 2020 में यूपी सरकार द्वारा जिले में मेडिकल कॉलेज के लिए ज़मीन तलाशने की निर्देश देने के साथ ही लोगों में मेडिकल कॉलेज को लेकर एक उम्मीद बंधी थी। सरपतहा, जोरई, नंदापुर, चककिसुनदास आदि गांवों में ज़मीन देखी गयी, लेकिन एकमुश्त ज़मीन न मिलने और टुकड़ों में भेजी गई ज़मीन की फाइल स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्वीकृत करने के साथ ही मेडिकल कॉलेज का सपना टूट गया।

रामदेव पीजी कॉलेज

काशी नरेश राजकीय महाविद्यालय के अलावा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी राजकीय डिग्री कॉलेज, केशव प्रसाद मिश्रा राजकीय महिला कॉलेज, भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान जिले में उच्च शिक्षा के सरकारी संस्थान हैं। वहीं जिले में प्राइवेट डिग्री कॉलेजों की सूची में गिरिजा प्रसाद द्विवेदी महाविद्यालय, अन्सूरी कॉलेज, अन्सूरी महाविद्यालय, दयावंती पुंज ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, फलाहे उम्मत गर्ल्स डिग्री कॉलेज (FUGDC), ओम उच्च शिक्षा संस्थान (OUSS), रामदेव पीजी कॉलेज, श्री गिरिजा प्रसाद द्विवेदी महाविद्यालय (SGPDM), श्रीमती जगवन्ती देवी हीरानंद महाविद्यालय, श्री शिव शंकर संस्कृत महाविद्यालय (SSSSM), श्री घनश्याम दूबे डिग्री कॉलेज, श्रीमती कान्ति सिंह विधि महाविद्यालय, (SKSLC), श्रीमती कान्ति सिंह लॉ कॉलेज ज्ञानपुर (SKSLCG), महाराजा जोधराज सिंह महाविद्यालय, केशव प्रसाद राही स्नातकोत्तर कॉलेज, श्री घनश्याम दुबे महाविद्यालय, सूर्य नारायण संस्कृत महाविद्यालय, ओम उच्च शिक्षा संस्थान, अन्सूरी कॉलेज भदोही, श्री काशी राज राजकीय संस्कृत महाविद्यालय शामिल हैं।

ज्ञानपुर स्थित भारतीय कालीन प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT)में बीटेक (कालीन एवं वस्त्र प्रौद्योगिकी) जैसे दीर्घकालिक पाठयक्रम के अलावा कालीन उद्योग से जुड़े अल्पकालिक पाठ्यक्रम संचालित किये जाते हैं। इससे इतर तकनीकी कोर्सेस के लिए छात्रों को जिले के बाहर जाना पड़ता है।

छात्र अम्बुज तिवारी

जिले में छात्रों का एक धड़ा काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय को विश्वविद्यालय का दर्ज़ा देने की मांग कर रहा है। एमएससी (कमेस्ट्री) छात्र अम्बुज तिवारी बताते हैं कि यदि भदोही जिले में एक यूनिवर्सिटी बन जाये तो परीक्षा वगैरह सब यहीं से आयोजित और संचालित होंगे। जो कोर्सेस अभी जिले में उपलब्ध नहीं है वे सभी कोर्सेस उपलब्ध हो जाएंगे, जिले के छात्रों के लिए। जैसे अभी किसी छात्र को बी. फार्मा का कोर्स करना है तो उसके लिए जिले में कोई विकल्प नहीं है। बीएसस एग्रीकल्चर की पढ़ाई करना है तो जिले के बाहर जाना पड़ेगा। एलएलबी करना हो तो छात्रों को बाहर जाना पड़ता है। एलएलबी का एक प्राइवेट कॉलेज है, जिसकी फ़ीस ग़रीब बच्चे वहन नहीं कर सकते हैं। जिले में यदि सरकारी संस्थानों में कोर्स उपलब्ध हो तो ग़रीब घरों के बच्चे पढ़ाई कर सकते हैं। जिले से बाहर जाने पर फ़ीस के अलावा उन्हें कमरे का रेंट, बिजली का बिल, खाने का ख़र्च भी वहन करना पड़ता है।

अम्बुज तिवारी बताते हैं कि जिले का दूसरा सरकारी संस्थान श्यामा प्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय है जोकि काशी विद्यापीठ वाराणसी से संबद्ध है। यहां एमएससी, एमकॉम के कोर्स नहीं हैं। एमए के लिए भी कम विषय हैं। इसके अलावा काशी विद्यापीठ से अटैच 20-25 प्राइवेट कॉलेज हैं। सब विद्यापीठ से अटैच हैं। पर एकाध को छोड़कर किसी में भी बीएससी की पढ़ाई नहीं होती। वहां बीए, बीकॉम, और कुछ कॉलेज में बीसीए है।

काशी नरेश महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बनाने की मांग

छात्र  शिवम शुक्ला 

विश्वविद्यालय बनाओ संघर्ष समिति के संयोजक और पूर्व छात्र नेता शिवम शुक्ला का कहना है कि पिछले 7-8 सालों से वे लोग काशी नरेश स्नातकोत्तर महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बनाने की मांग कर रहे हैं। काशी नरेश स्नातकोत्तर कॉलेज के नाम से 62 एकड़ ज़मीन खाली पड़ी है। आगे वे कहते हैं कि सस्ती अच्छी आधुनिक शिक्षा के माध्यम से ही किसी जनपद का सम्पूर्ण विकास संभव होता है। विश्वविद्यालय का निर्माण भदोही के विकास में कई तरह से अपना अहम योगदान प्रदान करेगा। वह कहते हैं कि यूपी सरकार हर मंडल में एक विश्वविद्यालय बनाने की बात कर रही है, ऐसे में उच्च शिक्षा जगत में अपना अहम योगदान देने वाले जिला भदोही का, विश्वविद्यालय प्राप्त करने का सपना कब सच होगा पता नहीं पर थोड़ी सी उम्मीद जरूर जगी है।

यूनिवर्सिटी की मांग को लेकर छात्र नेता लगातार शासन और प्रशासन से मिलकर उनको मांग-पत्र (ज्ञापन) देकर जिले के छात्रों की समस्याओं से अवगत कराते आ रहे हैं।विश्वविद्यालय बनाओ संघर्ष समिति का एक प्रतिनिधि मंडल इस आशय में 27 जून को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलने भी पहुँचा था। विश्वविद्यालय बनाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने फरवरी 2023 में  अल्पसंख्यक मंत्री से मुलाकात करके उन्हें ज्ञापन सौंपा था। फिर 25 सितबंर 2022को उप-मुख्यमंत्री केशव मौर्या से भी मिलकर उनके सामने अपनी मांग रखी थी। तब डिप्टी सीएम ने कहा था कि आप लोगों की मांग जायज़ है।

बता दें कि यूपी सरकार की हर मंडल में एक विश्वविद्यालय बनाने की योजना है। मंडल में तीन जिला हैं- मिर्ज़ापुर, सोनभद्र और भदोही। छात्र नेता शिवम शुक्ला आरोप लगाते हैं कि कमिश्नर मिर्ज़ापुर को लेटर भेजा गया कि हर एक मंडल में एक विश्वविद्यालय बनाने के लिए ज़मीन चिन्ह्ति की जाये। पर भदोही के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते यहां महाविद्यालय संकट की स्थिति में है। यूपी सरकार आने वाले वर्षों में राज्य विश्वविद्यालयों को बजट देगी। अगर भदोही में यूनिवर्सिटी बन जाती है और सरकार फंड देती है तो इससे जिले के छात्रों का बहुत भला होगा।

प्रदर्शन के दौरान

गौरतलब है कि मिर्ज़ापुर में माँ विंध्यवासिनी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 50 करोड़ का बजट प्रस्तावित है। ऐसे में यूपी सरकार की ‘हर मंडल में एक विश्वविद्यालय’ की योजना देखें तो यह दूर की कौड़ी नज़र आती है। सरकार ने नवंबर 2022 में मिर्ज़ापुर के तत्कालीन डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार को पत्र भेजकर ज़मीन तलाशने का निर्देश दिया था। जिसके बाद महज 15 दिन में डीएम मिर्ज़ापुर ने बरकछा गांव, टांडाफाल और एक अन्य स्थान पर ज़मीन चिन्हित करके शासन को पत्र भेज दिया था। मिर्ज़ापुर में विश्वविद्यालय के लिए केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री को 11 मार्च 2021 को पत्र लिखकर अनुरोध किया था।

हर साल उच्च शिक्षा के लिए हजारों छात्र-छात्राएं निकलते हैं 

शैक्षणिक साल 2022-23 में यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट में भदोही जिले के 28510 (15485 छात्र और 13025 छात्राओं) ने परीक्षा दी। जबकि हाईस्कूल में 31505 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया था। वहीं सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में जिले के 1678 छात्रों ने इंटरमीडिएट और 2125 छात्रों ने हाईस्कूल परीक्षा में भाग लिया। इसी तरह पिछले साल यानि शैक्षणिक वर्ष 2021- 2022 में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा में 22503 और हाईस्कूल में 26111 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया था।

उपरोक्त आंकड़ों से स्पष्ट है कि हर साल जिले में जितने छात्र इंटरमीडिएट की परीक्षा में भाग ले रहे हैं, उसकी तुलना में उच्च शिक्षा संस्थानों की ज़बर्दस्त कमी है। जिले के तमाम शिक्षाविदों का दावा है किअगर काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय को विश्वविद्यालय का दर्ज़ा मिल जाये तो इससे दो फायदे होंगे। एक तो सारे विषयों के कोर्सेस की पढ़ाई यहाँ शुरु हो जाएगी। दूसरा जिले में नये कॉलेज खुलेंगे और तमाम प्राइवेट डिग्री और परास्नातक कॉलेज इससे सम्बद्ध हो जाएंगे और इनमें भी विज्ञान, कॉमर्स, कंप्यूटर, बिजनेस और अन्य विषयों की पढ़ाई शुरु हो जाएगी। जिससे भदोही के छात्रों को जिले के बाहर नहीं भटकना पड़ेगा। न ही लड़कियों को मन मारकर गैरपसंद के विषयों से समझौता करना पड़ेगा। और न ही ग़रीब बच्चों को अपने सपने मारने पड़ेगें।

देश के तमाम राज्यों में राज्य विश्वविद्यालयों की स्थिति

नवंबर 2022 तक अपडेटेड यूजीसी लिस्ट के मुताबिक 75 जिलों वाले उत्तर प्रदेश में 34 राज्य विश्वविद्यालय हैं। इसकी तुलना में 23 जिलों वाले पश्चिम बंगाल में 37 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 26 जिलों वाले आंध्र प्रदेश में 27 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 14 जिलों वाले केरल में 15 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 30 जिलों वाले कर्नाटक में 34 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 22 जिलों वाले हरियाणा में 20 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 33 जिलों वाले गुजरात में 30 राज्य विश्वविद्यालय हैं।

जबकि 36 जिलों वाले महाराष्ट्र में 26 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 38 जिलों वाले तमिलनाडु में 22 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 30 जिलों वाले ओडिशा में 22 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 34 जिलों वाले असम में 18 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 33 जिलों वाले तेलंगाना में 17 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 33 जिलों वाले छत्तीसगढ़ में 16 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 4 जिलों वाले सिक्किम में 2 राज्य विश्वविद्यालय हैं। 50 जिलों वाले राजस्थान में 26 राज्य विश्वविद्यालय हैं।

कुल मिलाकर भारत के 28 राज्यों और 45 केन्द्रशासित प्रदेशों में 797 जिले हैं। जबकि देश में कुल 460 राज्य विश्वविद्यालय हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सुरेश खन्ना के मुताबिक प्रदेश में वर्तमान में हायर एजुकेशन के लिए 19 राज्य विश्वविद्यालय, 1 ओपन यूनिवर्सिटी, 30 प्राइवेट यूनिवर्सिटी, 172 राजकीय महाविद्यालय, 331 सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय, और 7372 स्ववित्तपोषित महाविद्यालय संचालित है। यूपी सरकार के आंकड़ों से स्पष्ट है कि सरकार का सारा ज़ोर उच्च शिक्षा के निजीकरण पर है। उच्च शिक्षा के निजीकरण से ग़रीब छात्र उच्च शिक्षा से वंचित रह जायेंगे।

लद्दाख के उपराज्यपाल और गोपीगंज कठौता निवासी ब्रिगेडियर डॉक्टर बीडी मिश्रा हाल ही में अपने गृहनगर भदोही लौटे, तब उन्होंने भदोही डीएम गौरांग राठी से मिलकर कहा कि काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय का एक गौरवशाली इतिहास रहा है, जिसने कई विभूतियों को जन्म दिया। उन्होंने डीएम से कहा कि आप इस महाविद्यालय की बनाने की मांग शासन तक भेजें, वे खुद भी शासन से इस सम्बन्ध में बात करेंगे।औराई विधायक दीनानाथ भास्कर ने कहा है कि वो इस मसले को सार्वजनिक तौर पर उठाएंगे।

सुशील मानव गाँव के लोग डॉट कॉम के भदोही स्थित संवाददाता हैं।

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