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उत्तर प्रदेश में लम्बे समय बाद हुई सरकारी नौकरी की परीक्षा धांधली की भेंट चढ़ी, जांच के आदेश

परीक्षा के बाद से ही अभ्यर्थी एक्स पर आरओ/ एआरओ परीक्षा की जांच कराने की मांग करते हुए #RO_ARO_PAPER_LEAK ट्रेंड करा रहे हैं। छात्रों ने दोबारा परीक्षा कराने की मांग की। अभी तक लगभग दो लाख पोस्ट एक्स पर किये जा चुके हैं।

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने समीक्षा अधिकारी व सहायक समीक्षा अधिकारी प्री परीक्षा 2023 की जांच कराने का फैसला लिया है।

आयोग ने एसटीएफ से जांच के लिए शासन को सिफारिश भेजी है। परीक्षा की जांच के लिए यूपीपीएससी ने एक आंतरिक समिति का भी गठन भी किया है। जो समिति जांच कर अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंपेगी। हालांकि, परीक्षा समापन के बाद यूपीपीएससी ने परीक्षा को सकुशल निर्विघ्न एवं शुचितापूर्वक संपन्न भी बताया था।

पेपर लीक और प्रतियोगी परीक्षाओं में अन्य अनियमितताओं पर अंकुश लगाने वाले विधेयक को संसद में शुक्रवार को ही पारित किया गया था। संसद से पारित इस लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक-2024 में अधिकतम 10 साल की जेल की सजा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

वहीं, आलम यह कि महज दो दिन के ही बाद उत्तर प्रदेश की इतनी बड़ी समीक्षा अधिकारी की परीक्षा, जिसमें दस लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हो रहे थे, उसमें पर्चे के लीक होने के आरोप लगे हैं।

समीक्षा अधिकारी की प्रारंभिक परीक्षा के दौरान रविवार को पेपर आउट होने समेत कई आरोप लगे थे। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इसको लेकर एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था।

कल रात यूपीपीएससी ने प्रेस नोट जारी करते हुए कहा, ‘आरओ/ एआरओ (प्रारंभिक) परीक्षा-2023 के संदर्भ में कतिपय समाचार पत्रों में कुछ खबरें प्रकाशित हुई हैं। उपरोक्त को दृष्टिगत रख कर आयोग ने इस पूरी परीक्षा की जांच हेतु एक आंतरिक समिति का गठन किया है और साथ ही साथ आरओ/ एआरओ (प्रारंभिक) परीक्षा-2023 के सारे बिंदुओं पर एसटीएफ से जांच कराने का निर्णय लिया गया है। जिसके लिए शासन को अनुशंसा की गयी है। जांचोपरांत परीक्षा की शुचिता को दृष्टिगत रखकर आयोग द्वारा उचित निर्णय लिया जाएगा।’

यूपीपीएससी द्वारा जारी प्रेस नोट

यूपी लोक सेवा आयोग की आरओ/एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षा रविवार 11 फरवरी को आयोजित हुई थी।प्रदेश के 58 जिलों के 2387 केंद्रों पर परीक्षा हुई थी।

परीक्षा के लिए दस लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, यूपीपीएससी के अनुसार लगभग 64 फीसदी अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। इस परीक्षा में लाखों अभ्यर्थी सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर सेंटर पहुंचे थे लेकिन जब उन्हें पता चला कि पेपर लीक हो गया है उन्हें बहुत निराशा हुई।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अभ्यर्थियों के हंगामे का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘कई वर्षों के इंतजार के बाद संसद में पेपर लीक के खिलाफ कानून पास हुआ और उधर यूपी में समीक्षा अधिकारी की परीक्षा का पर्चा लीक हो गया! 2017 में दारोगा भर्ती से लेकर 2024 में समीक्षा अधिकारी तक – खबरों के अनुसार यूपी में लगभग हर प्रतियोगी परीक्षा का पर्चा लीक हुआ है। सरकार ने इसे रोकने के लिए क्या करने जा रही है? क्या यूपी में नये कानून के तहत निष्पक्ष कार्रवाई होगी या ये सिर्फ दिखावा साबित होगा?’

प्रियंका गांधी आगे लिखती हैं, ‘देश का युवा जिस विडंबना का शिकार है उसकी ‘क्रोनोलॉजी’ समझिए- वर्षों तक भर्ती नहीं निकलती, निकली तो समय पर परीक्षा नहीं, परीक्षा हुई तो पेपर लीक, इसके बाद भी यदि सारी प्रक्रिया पूरी भी हो जाए तो नियुक्तियों में घोटाला हो जाता है और मामला कोर्ट में अटक जाता है। उप्र में हमने युवाओं के लिए विशेष “भर्ती विधान” घोषणापत्र जारी किया था जिसमें इन समस्याओं का समाधान पेश किया था। भाजपा सरकार अगर चाहती तो उन प्रावधानों को लागू करके युवाओं का भविष्य सुरक्षित कर सकती थी। पेपर लीक के खिलाफ कानून पास होने के बाद क्या यूपी के युवा न्याय की उम्मीद करें?’

प्रतापगढ़ जिले में परीक्षा के दौरान राम अजोर इंटर कालेज से नकल करते हुए अभ्यर्थी प्रवीण कुमार पटेल को ब्लू टूथ डिवाइस के साथ पकड़ा गया था। जिसे पुलिस के हवाले कर दिया गया था।

वहीं गाजीपुर के एक केंद्र पर अभ्यर्थियों ने पेपर आउट का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। इस वीडियो को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया था।

परीक्षा के बाद से ही अभ्यर्थी एक्स पर आरओ/ एआरओ परीक्षा की जांच कराने की मांग करते हुए #RO_ARO_PAPER_LEAK ट्रेंड करा रहे हैं। छात्रों ने दोबारा परीक्षा कराने की मांग की। अभी तक लगभग दो लाख पोस्ट एक्स पर किये जा चुके हैं।

वरिष्ठ पत्रकार ममता त्रिपाठी एक्स पर #RO_ARO_PAPER_LEAK का प्रयोग करते हुए लिखती हैं कि ‘क्या नाटक चल रहा है #उत्तरप्रदेश में, एक परीक्षा ढंग से नहीं करवा पा रही है सरकार? बस दावे बड़े-बड़े है… अब शुरू होगी जाँच की निरंतर चलने वाली बोझिल प्रक्रिया। फिर रिपोर्ट, असहमति के साथ कुछ लोग कोर्ट जाएँगे फिर तारीख़ पे तारीख़…तब तक युवा प्रौढ़ हो जाएँगे। सरकारें आती जाती रहेंगी। किसी नेता को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला। सब हवा हवाई है #यूपी में।

युवा मंच संयोजक राजेश सचान आयोग की कार्यवाई पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, ’11 फरवरी को आयोजित समीक्षा अधिकारी 2024 परीक्षा में छात्रों द्वारा परीक्षा के दौरान ही पेपर लीक के गंभीर आरोप के बावजूद लोक सेवा आयोग द्वारा सकुशल व शुचिता पूर्ण बताया गया था। लेकिन जब छात्रों ने आयोग पर प्रदर्शन किया और चौतरफा दबाव बना तो इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए आयोग ने आंतरिक समिति का गठन किया है और एसटीएफ से जांच कराने संबंधी आदेश जारी किया है।’

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सचान आगे कहते हैं, ‘पूर्व में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती व अन्य परीक्षाओं में पेपर लीक प्रकरण में एसटीएफ जांच कराई गई थी, तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक श्रीमती अंजू लता कटियार को 9 महीने जेल में रहीं। एसटीएफ जांच में स्पष्ट तौर पर पेपर लीक प्रमाणित हुआ था, परीक्षा ऐजेंसी संचालक को भी जेल भेजा गया। लेकिन इतने बड़े धांधली के मामले में छात्रों को न्याय नहीं मिला और पेपर लीक व धांधली के माध्यम से बड़ी संख्या में अपात्र छात्रों का चयन हो गया और इस पूरे प्रकरण में लीपापोती की गई। युवा मंच का मत है कि उत्तर प्रदेश सरकार को इस गंभीर मुद्दे को संज्ञान में लेते हुए निष्पक्ष और उच्च स्तरीय संस्था से समयबद्ध जांच कराई जाए और जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई हो।’

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