रायपुर। नवीनतम वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स, जीएचआई) में भारत की स्थिति में गिरावट के लिए अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने केंद्र की मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। किसान सभा ने कहा है कि इससे पता चलता है कि देश में खाद्य सुरक्षा की स्थिति कितनी गंभीर है और महामारी में लॉकडाउन के कारण आजीविका के नुकसान के प्रतिकूल प्रभाव को खत्म करने में मोदी सरकार के कार्यक्रम पूरी तरह से विफल रहे हैं।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति पर जारी रिपोर्ट से पता चलता है कि 2019-22 के बीच भारत में मध्यम और गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों की संख्या 57 करोड़ से बढ़कर 59 करोड़ हो गई है। लंबे समय तक भूख का सामना करने वाले लोगों की संख्या 22 करोड़ से बढ़कर 23 करोड़ हो गई है। यही कारण है कि वैश्विक भूख सूचकांक में 125 देशों की सूची में आज भारत 111वें स्थान पर खड़ा है, जबकि वर्ष 2014 में वह 55वें स्थान पर था। भारत में खाद्य असुरक्षा की स्थिति का लगातार बिगड़ना मोदी सरकार की जनता के प्रति बेरुखी व उदासीनता का ही नतीज़ा है।
किसान सभा के नेता ने कहा है कि कोविड महामारी के दौरान मोदी सरकार द्वारा बिना किसी योजना के वर्ष 2020 में लगाए गए कठोर लॉकडाउन का लोगों के जीवन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। गोदाम में 10 करोड़ टन से अधिक अनाज होने के बावजूद, मोदी सरकार ने महामारी के दौर में भी का दायरा बढ़ाने और पहुंच को आम आदमी से दूर रखा। इसी का नतीजा है कि आज भारत में करोड़ों लोग भोजन की भयानक कमी का सामना कर रहे हैं, अधिकांश बच्चे और महिलाएं कुपोषित हैं तथा स्वस्थ आहार इन लोगों की पहुंच से अभी भी कोसों दूर है।
देश के कृषि संकट को पहचानने और बेरोजगारी, गरीबी और खाद्य असुरक्षा की बिगड़ती स्थिति से निपटने के बजाए मोदी सरकार ने पिछले बजट में खाद्य सब्सिडी में 90,000 करोड़ रुपये की कटौती की थी। इसी तरह, अन्य सामाजिक कल्याण की योजनाओं पर और मनरेगा आबंटन में भी 30 प्रतिशत की कटौती की गई है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ किसान सभा इस जनविरोधी सरकार को हराने के लिए किसानों को एकजुट करेगी और भाजपा की हार को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी ।