वाराणसी। 28 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने बहराइच,औरैया और बदायूं की डायलिसिस यूनिटों का एनेक्सी भवन में वर्चुअल माध्यम से उदघाटन किया। इस दौरान डिप्टी सीएम ने कहा कि यूपी के सभी जिले डायलिसिस यूनिट से लैस हो गए हैं। अब किडनी के मरीजों को उनके ही जिले में इलाज मिल सकेगा। बैठक में उन्होंने तीनों जिलों के चिकित्साधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों से संवाद भी किया।
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक की इस घोषणा से लोगों में इस बात की आस जगी कि अब उनका इलाज सुचारु रूप से चलेगा लेकिन दूसरी तरफ देखा जाय तो डिप्टी सीएम के दावे की असली हकीकत सामने आ गयी जब वाराणसी जिले के मंडलीय अस्पताल में नए साल के पहले ही दिन टेक्निशीयन के सेवानिवृत हो जाने से डायलिसिस की व्यवस्था बंद हो गयी। इससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दूरदराज के गाँवों से अस्पताल आने वाले लोगों के हाथ निराशा लग रही है और उन्हें डायलसिस ले लिए निजी क्लिनिक में जाना पड़ रहा है।
जानकारी के मुताबिक वाराणसी के शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल में पिछले 35 वर्षों यानि 1989 से डायलिसिस यूनिट चल रही थी जो नए साल यानि 2024 के पहले ही दिन से बंद हो गयी। यहाँ पर तैनात एकमात्र डायलिसिस टेकनीशियन अरुण कुमार सिंह 31 दिसंबर को रिटायर हो गए। ऐसा नहीं है कि इन परिस्थितियों की जानकारी स्वस्थ विभाग को पहले नहीं थी। पिछले माह जब डिप्टी सीएम प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय का निरीक्षण करने आए थे तो उन्हें बताया गया था कि 31 दिसंबर को अरुण कुमार सिंह रिटायर हो रहे हैं जिससे यूनिट बंद हो जाएगी। इस पर उन्होंने सीएमओ डॉ संदीप चौधरी से हर हाल में डायलिसिस यूनिट चलाने का निर्देश दिया था। बावजूद इसके यह यूनिट बंद ही गई।
इस बाबत अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ एमपी सिंह से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि शासन स्तर पर लिखित और मौखिक रूप से इसकी सूचना दे दी गयी है। हमें शासन स्तर से जो भी आदेश मिलेगा हम उस प्रकार की कार्रवाई करेंगे। चूंकि यह डायलिसिस टेक्निशीयन का मामला है इसलिए हम कामचलाऊ आदमी को वहाँ नहीं बैठा सकते हैं।