लंका से रवीन्द्रपुरी कॉलोनी में थोड़ी ही दूर चलने के बाद आँखों में जलन होने लगती है। मैं गाड़ी रोककर आँख साफ कर ही रहा था कि एक आदमी पीछे से आकर मुझे पानी से आँख साफ करने की सलाह दी। वहीं, बगल में पान की दुकान पर मैंने मुंह और आँख धुला। उसने पूछा आपका घर कहाँ है? मैंने कचहरी बताया तो वह व्यक्ति बोला – ‘आपका इधर आना तो कभी-कभी होता होगा, जब से इस सड़क की खोदाई हुई है और इसे तोड़ा-फोड़ा गया है, तब से हवा में इतनी धूल और गंदगी हो गयी है कि जीना दूभर हो गया है। सरकार है कि उसको जनता की कोई चिंता ही नहीं है। शासन और जिला प्रशासन भी अपने में व्यस्त है। कायदे से होना यह चाहिए कि जो विभाग सड़क की खुदाई करता है, काम की समाप्ति पर उसे सड़क को उतनी दूर तक ठीक करना पड़ता है, जितनी दूर तक उसने सड़क को अपने काम के लिए तोड़ा है। लेकिन आजकल उल्टा हो रहा है। जलकल विभाग हो, विद्युत विभाग हो या फिर कोई और विभाग, सभी अपना काम करके निकल जाते हैं और गड्ढा जस का तस पड़ा रह जाता है।’
अमूमन बनारस की प्रमुख सड़कों को छोड़ दिया जाय तो कालोनियों और गलियों की सड़कों की हालत बहुत ही खस्ता है। शिवपुर में मुख्य सड़क से पानी टंकी की तरफ यानी कादीपुर क्षेत्र के दुर्गानगर कालोनी की तरफ बढ़ते ही सड़कों की दुर्दशा बहुत ही खराब है। इसी पानी की टंकी के पीछे के रहने वाले प्रदीप शर्मा कहते हैं – ‘चौराहे के पास पानी की टंकी फट गयी थी, जिसे जलकल विभाग के लोगों ने सड़क को खोदकर ठीक कर दिया। पानी बहना तो ठीक हो गया, लेकिन सड़क ठीक नहीं हुई। अब यहाँ बरसात में पानी लगता है और फिसलन भी होती है। इन सड़कों पर चलना अपने आपको बीमार करना है। साइकिल या गाड़ी से ऐसी सड़कों पर चलाने से पीठ में दर्द भी होता है। मुझे कभी-कभी ऐसा दर्द होता है। मैंने डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने इसका कारण पीठ में झटका लगाना बताया। पार्षद से कहिए तो वह बात को सुन भर लेते हैं, उसके बाद और कोई बात नहीं होती। ऐसा लगता है, जैसे सरकार भी सिर्फ सड़कों पर ही ज्यादा ध्यान देती है। गलियों की सड़कें टूटें मेरी बला से। यहाँ तो सब ढोल के अंदर पोल… वाली बात साबित हो रही है।’
शिवपुर के ही इंद्रपुर चौराहा, जिसके बगल में एक डेयरी है, जो कुन्दन नगर कालोनी में पड़ता है, के निवासी विजयमणि इन सड़कों की बदहाली के लिए नेताओं के साथ ही जिला प्रशासन को दोषी मानते हुए कहते हैं- ‘ नेता लोग एक बार वोट मांगने के लिए आते हैं और जीतने के बाद उनका कहीं कोई पता नहीं चलता। आप उनको खोजते रहिए। दूसरी तरफ, जलकल विभाग हो या विद्युत विभाग या अन्य प्राइवेट कंपनियाँ वो ठीक-ठाक सड़क को अपने काम के हिसाब से खोदकर काम करके चली जाती हैं। सड़क मरम्मत तो दूर कभी-कभी तो ये लोग गड्ढा भी ठीक से नहीं पाटते हैं।
बात अगर वाराणसी जिले की जाये तो यहाँ पर शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र को मिलकर कुल 520 किलोमीटर लंबी सड़कें अब भी चलाने लायक नहीं हैं। इन गड्ढा युक्त सड़कों में 450 किमी. की लंबाई की 72 सड़कें पीडब्ल्यूडी की हैं। इनमें कुछ शहरी क्षेत्रों में भी हैं। वहीं, नगर निगम की 35 से अधिक सड़कें ऐसी हैं, जिन पर चलना बहुत ही मुसकिल है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को आदेश दिया कि प्रत्येक दशा में दीपावली से पहले प्रदेश की सड़कें गड्ढा मुक्त होनी चाहिए। मुख्यमन्त्री के आदेश के बाद पीडब्ल्यूडी और नगर निगम के अधिकारी अपनी निद्रा से जागे। पीडब्ल्यूडी ने सड़कों की मरम्मत के लिए पाँच करोड़ तो वहीं नगर निगम ने तीन करोड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा।
देखा जाये तो इस समय गांधी नगर कालोनी, मौलवीबाग, औरंगाबाद-सोनिया, खोजवां, कबीर नगर से ब्रांहानंद नगर, शिवनगर कालोनी, टकटकपुर, रमरेपुर, दानियालपुर, सरैयां, अकथा, बेनीपुर, पहड़िया, लक्सा, गिरिजा-लहुराबीर, भेलूपुर से रेवड़ी तलब, नई सड़क से सिद्धगिरि बाग होते हुए सिगरा तक, शिवपुर में पानी की टंकी के पीछे कादीपुर कॉलोनी पानी की टंकी के पीछे कुन्दन नगर कॉलोनी की सड़कों का हाल बुरा है।
एक आंकड़े के मुताबिक, वाराणसी में पीडब्ल्यूडी द्वारा 5 हजार किमी. सड़कें बनाई गयी हैं जबकि 44 सड़कें लोक निर्माण विभाग के हिस्से की हैं। इस समय सड़कों के 5 बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
अब बात करते हैं उत्तर प्रदेश के विभिन्न मंडलों की। लखनऊ मण्डल में सबसे ज्यादा कुल 5221.76 किमी. सड़कें खराब हैं। कानपुर मण्डल में 4011.24 किमी. सड़क बदहाल है। खराब सड़कों के मामले में प्रयागराज मण्डल तीसरे नंबर पर आता है। यहाँ पर कुल 3591.61 किमी. सड़कें खराब हैं। इसके बाद अयोध्या है, जहां पर कुल 3470.78 किमी. सड़कें बदहाली के दौर से गुजर रही है और आम आदमी को पंगु बना रही हैं। सड़कों की बदहाली के मामले में अयोध्या के कद काशी का नाम आता है। वाराणसी मे कुल 3051.54 किमी सड़कें आम आदमी के स्वास्थ्य से खेल रही हैं। इसी प्रकार से देखें तो आगरा में 2338.19, अलीगढ़ में 1744.72, आजमगढ़ में 1520.31,बरेली में 2212.87, देवीपाटन में 2082.05, गोरखपुर में 2365.01, झाँसी में 1565.49, बस्ती में 1577.27, बादा में 1820 .10, मेरठ में 2080.59 सहारनपुर में 1123.84, मुरादाबाद में 2506.20 और मीरजापुर मण्डल में 2086.83 किमी. सड़कें बदहाली के दौर से उजर रही हैं। इस प्रकार से देखा जाय तो पूरे उत्तर प्रदेश में कुल 44370.40 किमी. सड़कें आम आदमी की कमर को तोड़ने का काम कर रही हैं।
सड़कों की बादहाली की बाबत पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन केके सिंह कहते हैं- सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का काम हमेशा चलता रहता है। शासन को भेजे प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर अभियान चलकर यह काम और तेज किया जाएगा।
तो वहीं नगर निगम के चीफ़ इंजीनियर मोइनुद्दीन कहते हैं- सड़कों की मरम्मत की कार्य-योजना बनाई गयी है। जल्द ही गड्ढा मुक्ति अभियान शुरू होगा।
बहरहाल, जो भी हो गड्ढा मुक्ति से प्रदेश के लोगों को कब मुक्ति मिलेगी, यह तो पता नहीं लेकिन इतना जरूर पता है कि इन गड्ढों ने लोगों के स्वस्थ्य को बिगाड़ना शुरू कर दिया, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।