Friday, November 7, 2025
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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ग्राउंड रिपोर्ट

बिहार : ईंटों के बीच दबे भट्ठा मजदूरों की व्यथा

ईंट भट्ठों में काम करने वाले मजदूर हमारी सभ्यता की नींव हैं। वे हमारी इमारतें बनाते हैं, हमारे घरों को खड़ा करते हैं, लेकिन उनके अपने घर रहने लायक नहीं होते। अगर हमें एक विकसित समाज बनाना है, तो हमें इन मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। वरना उनकी गरीबी की ये ईंटें हमेशा उनकी तरक्की का रास्ता रोकती रहेंगी।

रामपुर गांव : ‘क्राफ्ट हैंडलूम विलेज’ में बुनकरों का अधूरा सपना और टूटती उम्मीदें

रामपुर गांव की कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं है, बल्कि यह उन लाखों कारीगरों और बुनकरों की कहानी है, जो सरकारी योजनाओं के अधूरे वादों और बाजार की बेरुखी के बीच फंसे हुए हैं। यह समय है कि सरकार और समाज मिलकर इनके सपनों को साकार करने के लिए कदम उठाए। अगर समय रहते इनकी मदद नहीं की गई, तो यह अद्वितीय कला और कौशल हमेशा के लिए खो जाएगा। पढ़िए नाजिश महताब की ग्राउंड रिपोर्ट।

बिहार में ‘हर घर नल का जल’ की हकीकत : बरमा गांव की प्यास

पिछले कई वर्षों से हर घर नल जल योजना की धूम मची हुई है और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में प्रचारित किया जा रहा है लेकिन वास्तविकता प्रचार के बिलकुल उलट है। लगातार बढ़ते साफ पानी के संकट के मद्देनज़र यह योजना एक मज़ाक बनकर रह गई है। बिहार के लाखों ग्रामीण गंदे और ज़हरीले पानी का इस्तेमाल करने को विवश हैं। गया जिले के बरमा गांव में पानी का कैसा संकट है और सरकार की योजना किस हालत में है इस पर नाज़िश मेहताब की रिपोर्ट।

अवधी में गानेवाली यूट्यूबर महिलाएं : कहीं गरीबी से रस्साकसी कहीं वायरल हो जाने की चाह

पिछले कुछ ही वर्षों में अवधी भाषी महिलाओं ने बड़ी संख्या में यूट्यूब पर अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज कराई है। यह ऐसी महिलाओं की कतार है जो निम्न मध्यवर्गीय और खेतिहर परिवारों से ताल्लुक रखती हैं और घर-गृहस्थी की व्यस्त दिनचर्या के बावजूद अपने गीतों से एक बड़े दर्शक समूह को प्रभावित किया है। इनमें से कई अब पूर्णकालिक और स्टार यूट्यूबर बन चुकी हैं। अपने बचपन में सीखे गीतों को वे बिना साज-बाज के गाती हैं और लाखों की संख्या में देखी-सुनी जाती हैं। यू ट्यूब पर गाना उनके लिए न केवल अपनी आत्माभिव्यक्ति है बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता भी है। इसके लिए उन्होंने कठिन मेहनत किया है। परिवार के भीतर संघर्ष किया है। जौनपुर, आजमगढ़ और अंबेडकर नगर जिलों के सुदूर गांवों की इन महिलाओं पर अपर्णा की यह रिपोर्ट।

पॉल्ट्री उद्योग : अपने ही फॉर्म पर मजदूर बनकर रह गए मुर्गी के किसान

भारत में पॉल्ट्री फ़ार्मिंग का तेजी से फैलता कारोबार है। अब इसमें अनेक बड़ी कंपनियाँ शामिल हैं जिनका हजारों करोड़ का सालाना टर्नओवर है लेकिन मुर्गी उत्पादक अब उनके बंधुआ होकर रह गए हैं। बाज़ार में डेढ़-दो सौ रुपये बिकनेवाला चिकन पॉल्ट्री फार्म से मात्र आठ रुपये किलो लिया जाता है। अब मुर्गी उत्पादक स्वतंत्र इकाई नहीं हैं। कड़े अनुबंध शर्तों पर वे कंपनियों के चूजे और चारे लेकर अपनी मेहनत से उन्हें पालते हैं और कंपनी तैयार माल उठा लेती है। मुर्गी उत्पादक राज्य और केंद्र सरकार से यह उम्मीद कर रहे हैं कि सरकारी नीतियाँ हमारे अनुकूल हों और हमें अपना उद्योग चलाने के लिए जरूरी सहयोग मिले। लेकिन क्या यह संभव हो पाएगा? पूर्वांचल के पॉल्ट्री उद्योग पर अपर्णा की रिपोर्ट।

वाराणसी : आठ गांवों की जिंदगी को नारकीय बना चुका है हरित कोयला प्लांट

विकास के नाम पर पूँजीपतियों के फायदे के लिए सरकार किस हद तक जा सकती है, इसका एक उदाहरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के गाँव रमना के नैपुरा कलां में दिखाई देता है। इस गाँव में देश का पहला कचरे से हरित कोयला बनाने का प्लांट स्थापित किया गया है, जिससे निकलने वाला जहरीला धुआँ लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है। कैसे नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं यहाँ के लोग, पढ़िए इस ग्राउन्ड रिपोर्ट में।

जौनपुर-अंबेडकर नगर फोर लेन : बिना मुआवज़ा तथा पुनर्वास तय किए मकानों-दुकानों को जबरन लेने पर उतारू

शाहगंज से अंबेडकरनगर सड़क को फोरलेन बनाने के लिए सड़क के किनारे स्थित मकानों, दुकानों और खेतों में निशान लगा दिया गया है लेकिन इसके लिए पहले न तो ग्राम प्रतिनिधि की नियुक्ति हुई न फ़िजिकल सर्वे हुआ। इन बात से स्थानीय निवासियों में भाय और आक्रोश है तथा वे आंदोलन कर रहे हैं। मुआवज़े और सर्किल रेट को लेकर भी अभी कोई बात स्पष्ट नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर सरकार हमारी ज़मीन लेना चाहिती है तो हमें उचित सर्किल रेट से मुआवजा दिया जाय तथा भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 का पालन किया जाय।

मिर्ज़ापुर : नहरों में पानी की जगह सूखा घास-फूस की सफाई के नाम पर खर्च हो जाता है करोड़ों का बजट

नहरें खेत के लिए जीवनदायिनी होती हैं। इनका रख-रखाव ठीक से न हो तो नहरें किसी काम की नहीं रहती हैं। यही हाल है मिर्जापुर में नहरों का जिनमें पानी की जगह सूखे और घास-फूस का बोलबाला है। इनकी साफ-सफाई के नाम पर लाखों का हेर-फेर हो जाता है। यहां वर्षों पहले किसानों ने नहरों के लिए कृषि योग्य जमीन दी थी, जिसको लेकर वे कहते हैं कि बारिश न हो तो फसल सूख जाए। जब जमीन दी थी तब उम्मीद थी कि हमें नहरों से पानी मिलने लगेगा लेकिन लगातार हमको सूखा ही मिला है। इसी तथ्य की पड़ताल करती संतोष देव गिरी की ग्राउंड रिपोर्ट।

वाराणसी : ओडीएफ के दावे साबित हुए खोखले, लोग खुले में कर रहे हैं शौच

किसी राज्य का ओडीएफ प्लस (खुले में शौच से मुक्त राज्य) का दर्जा हासिल हो जाना हमारे देश में एक बड़ी उपलब्धि है। उत्तर प्रदेश को वर्ष 2023 में सौ प्रतिशत ओडीएफ प्लस घोषित कर दिया गया था लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। सरकार के दावे लगातार गलत साबित हो रहे हैं। वाराणसी के आराजी लाइन ब्लॉक का गाँव सजोई कुछ ऐसी ही तस्वीर पेश कर रहा है। पढ़िये ओडीएफ की सच्चाई की पड़ताल करती अपर्णा की ग्राउंड रिपोर्ट

ग्राम प्रहरी उर्फ़ गोंड़इत अर्थात चौकीदार : नाम बिक गया लेकिन जीवन बदहाल ही रहा

इस सरकार ने जमीनी तौर पर कोई काम किया हो या न किया हो, कह नहीं सकते लेकिन नाम बदलने का काम बहुत किया है। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज, योजना आयोग हो गया नीति आयोग, विकलांग हो गए दिव्याङ्ग और चौकीदार हो गए ग्राम प्रहरी। लेकिन नाम बादल देने से कुछ बदलने वाला नहीं है। ग्राम प्रहरी उर्फ़ गोंड़इत अर्थात चौकीदारों के सामने आज जीवन चलाने का बड़ा संकट खड़ा है। सरकार उन्हें कर्तव्य तो बताती है लेकिन अधिकार से महरूम रखती है। पढ़िये ग्राम प्रहरियों की वास्तविक स्थिति की पड़ताल करती संतोष देवगिरि की ग्राउंड रिपोर्ट।

मथुरा : भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन से देवकी नंदन शर्मा की मौत का ज़िम्मेदार है सरकारी तंत्र

मथुरा जिले की मांट तहसील निवासी देवकी नंदन शर्मा विगत पंद्रह वर्षों से ग्राम सभा से लेकर तहसील और जिला प्रशासन तक भ्रष्टाचार के खिलाफ़ सक्रिय थे। उन्होंने गले तक सरकारी लूट में लिप्त छोटे और बड़े अधिकारियों कर्मचारियों के अलावा ग्राम प्रधान, सचिव और दबंगों के विरुद्ध संघर्ष जारी रखा दो महीने पहले अनशन पर बैठने के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मौत की जिम्मेदारी लेने की जगह जिला और तहसील प्रशासन उस पर लीपापोती करने का प्रयास कर रहा है।
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