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बनारस : क्या मुस्लिम पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने पर जाने से रोका जाएगा?

ज्ञानवापी विवाद मामले पर वाराणसी जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने के ऊपर मुस्लिम श्रद्धालुओं को जाने से रोकने के अनुरोध वाली हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई के लिए 11 अप्रैल की तारीख तय की है।

वाराणसी। ज्ञानवापी विवाद मामले पर वाराणसी जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने के ऊपर मुस्लिम श्रद्धालुओं को जाने से रोकने के अनुरोध वाली हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई के लिए 11 अप्रैल की तारीख तय कर दी है।

हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि ‘व्यास तहखाना’ के नाम से प्रचलित इस तहखाने की छत काफी पुरानी और कमजोर है और इसके स्तंभों की मरम्मत की आवश्यकता है।

इस मामले पर हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव जानकारी देते हुए बताते हैं, ‘मुस्लिम पक्ष के सदस्यों ने मंगलवार को प्रभारी जिला न्यायाधीश अनिल कुमार की अदालत में कहा कि वे रमजान महीने के रोजे रख रहे हैं, इसलिए उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया जाना चाहिए।’

मुस्लिम पक्ष के सदस्यों के अनुरोध के बाद अदालत ने सुनवाई की तारीख 11 अप्रैल तय कर दी।

जिला अदालत ने 31 जनवरी को इस तहखाने में हिन्दू पक्ष को पूजा करने की अनुमति दी थी। जिला अदालत ने 31 जनवरी को फैसला सुनाया था कि एक हिंदू पुजारी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में मूर्तियों के सामने प्रार्थना कर सकता है। इसके बाद यह पूजा-अर्चना काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नामित एक हिंदू पुजारी और याचिकाकर्ता द्वारा की जा रही है।

नयी याचिका दायर किए जाने से कुछ दिन पहले ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद के ‘व्यास तहखाना’ में हिंदू प्रार्थनाएं जारी रहेंगी। उच्च न्यायालय ने इस संबंध में जिला अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति की याचिका खारिज कर दिया था।

हिन्दू पक्ष के दावे को सही मानते हुए सिविल कोर्ट ने हिन्दू पक्ष को दक्षिणी तहखाने में पूजा की इजाजत दे दी है। हिन्दू पक्ष के दावे के अनुसार- दक्षिणी तहखाने में मूर्ति की पूजा होती थी। दिसंबर 1993 के बाद पुजारी श्री व्यास जी को ज्ञानवापी के बैरिकेड वाले क्षेत्र में घुसने से रोक दिया गया था। इस वजह से तहखाने में होने वाले राग, भोग आदि संस्कार भी रुक गए थे।

वहीं मस्जिद पक्ष का दावा है कि तहखाने में कोई भी तथाकथित मूर्ति नहीं थी। तहखाने में व्यास परिवार या किसी भक्त ने कभी भी कोई पूजा नहीं की और उस पर शुरू से ही मस्जिद पक्ष का कब्ज़ा रहा है।

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