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Gender Pay Gap: पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कम वेतन, आधी आबादी आज भी असमानता की शिकार : रिपोर्ट

लैंगिक वेतन अंतर असमानता : 90 फीसदी से ज्यादा यानि 310 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रह रही हैं जहां उन्हें अभी भी पुरुषों से कमतर आँका जाता है। इन देशों की सूची में भारत भी शामिल है।

Gender Pay Gap: मार्च के पहले सप्ताह में विश्व बैंक ने वूमेन बिजनेस एंड दि लॉ-2024 रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में महिलाओं और पुरुषों की आय में असमानता, लिंग के आधार पर भेदभाव, पुरुषों की तुलना में महिलाओं की आर्थिक, सामाजिक स्थिति संबंधी तथ्यों की पड़ताल की गई है।

समान श्रम और भूमिकाओं में कार्य करने के बाद भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम वेतन दिया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर यदि पुरुष की कमाई 1 डॉलर है तो महिलाओं की कमाई सिर्फ 77 सेंट ही है।

यदि भारत की बात की जाए तब स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, 2021-22 में भारत में एक नियमित वेतनभोगी पुरुष की आय 17910 रुपये थी वहीं नियमित वेतनभोगी महिला की आय सिर्फ 13666 रुपये थी।

विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, आज भी महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले दो तिहाई कानूनी अधिकार ही प्राप्त हैं। जब हिंसा और बच्चों की देखभाल से जुड़े कानूनी मतभेदों को ध्यान में रखा जाता है तो विश्वभर में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में केवल 64% कानूनी सुरक्षा मिलती है। यदि भारत की बात की जाए तो भारतीय महिलाओं के पास पुरुषों की तुलना में सिर्फ 60 फीसदी कानूनी अधिकार हैं।

विश्व में 90 फीसदी से ज्यादा यानि 310 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रह रही हैं जहां उन्हें अभी भी पुरुषों से कमतर आँका जाता है। इन देशों की सूची में भारत भी शामिल है।

लैंगिक आधार पर वेतन में भेद कैसे पता चलता है ? 

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) ने ‘जेंडर पे गैप’ यानी लिंग के आधार पर वेतन की असमानता को मापने के लिए मानक तैयार किया है।

ILO के अनुसार, लिंग के आधार पर वेतन में अंतर को पुरुषों और महिलाओं के औसत वेतन स्तर के बीच अंतर के रूप में परिभाषित किया गया है। श्रम बाजार में काम करने वाली सभी महिलाओं और सभी पुरुषों के वेतन के आधार पर यह आंकलन किया गया है।

ILO के अनुसार, लिंग आधारित वेतन अंतर की गणना के लिए मासिक वेतन, प्रति घंटा या दैनिक वेतन के आधार पर काम करने वाले लोगों की आय का अध्ययन किया जाता है। श्रम बाजार में काम करने वाली सभी महिलाओं और सभी पुरुषों के औसत वेतन की गणना के बाद दोनों के स्तर का अंतर निकाला जाता है। श्रम संगठन के मुताबिक यह अंतर एक समान काम करने वाले पुरुष और महिला के बीच के वेतन का अंतर नहीं है। यह सभी कामकाजी महिलाओं और पुरुषों के औसत वेतन स्तर के बीच का फर्क दिखाता है।

लिंग के आधार पर वेतन में अंतर से क्या पता लगता है?

महिला और पुरुष के वेतन में अंतर बताता है कि महिला और पुरुष की लैंगिक भूमिकाओं के बारे में लोगों की धारणा में बड़ा फर्क है। धारणाओं के कारण महिलाओं को नौकरियों में उतना भुगतान नहीं होता जितना पुरुषों को मिलता है।

ILO के अनुसार, महिलाओं की वर्तमान वैश्विक श्रम बल भागीदारी दर 47% से भी कम है। पुरुषों के मामले में यह 72% है। भारत में, 2011 की जनगणना के अनुसार, कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी दर पुरुषों के मुकाबले लगभग आधी है। पुरुष की भागीदारी 53.26% हैं जबकि महिलाओं की भागीदारी महज 25.51% है।

रिपोर्ट में सुझाया गया है, यदि महिलाओं को कार्य करने या नया व्यवसाय शुरू करने से न रोका जाए, ऐसे सभी भेदभाव पूर्ण कानूनों, प्रथाओं, परंपराओं (पितृसत्तात्मक मूल्यों) का उन्मूलन कर दिया जाए तब वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 20% से अधिक की वृद्धि हो सकती है। जिसके परिणामस्वरूप आगामी दशक में वैश्विक विकास दर में दो गुना वृद्धि हो सकती है।

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