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पीयूसीएल के पूर्व अध्यक्ष और नागरिक अधिकार कार्यकर्त्ता रविकिरण जैन की याद में स्मृति-सभा का आयोजन

मानवाधिकार कार्यकर्त्ता व समाजवादी चिंतक एवं पेशे से वकील श्री रविकिरण जैन की स्मृति-सभा की शुरुआत उनके छायाचित्र पर माल्यार्पण से हुई। वक्ताओं ने रविकिरण जैन के बचपन और उन पर पड़े भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव, छात्र-राजनीति में सक्रियता एवं वकील के रूप में मानवाधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को याद किया। 

 

बीते 29 दिसंबर 2024 की रात को मानवाधिकार कार्यकर्त्ता व समाजवादी चिंतक एवं पेशे से वकील श्री रविकिरण जैन का 82 साल की उम्र में इलाहाबाद में निधन हो गया। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में 1942 में हुआ था. वे अपने छात्र-जीवन में ही राजनीति में सक्रिय हो गये थे और आजीवन प्रतिरोध की राजनीति की मुखर आवाज बने रहे।  उनके कार्यों, विचारों एवं योगदानों को याद करने के लिए समाजवादी शिक्षक मंच एवं मैत्री स्टडी सर्किल ने संयुक्त रूप से दिल्ली के राजेन्द्र भवन संगोष्ठी कक्ष में 28 फरवरी 2025 को स्मृति-सभा का आयोजन किया। वरिष्ठ अधिवक्ता एन. डी. पंचोली की अध्यक्षता में आयोजित स्मृति-सभा की शुरुआत रविकिरण जैन के छायाचित्र पर माल्यार्पण से हुई। इसका संचालन करते हुए शशि शेखर सिंह ने रविकिरण जैन के बचपन और उन पर पड़े भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव, छात्र-राजनीति में सक्रियता एवं वकील के रूप में मानवाधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को याद किया।

एन. डी. पंचोली ने उन्हें याद करते हुए कहा कि उनकी याद में एक स्मृति-सभा का आयोजन उनके शहर इलाहाबाद में हुआ था। जब 1974 में सिटिजन फॉर डेमोक्रेसी बनी तब उन्होंने उत्तर प्रदेश में उसकी शाखा बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1980 में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज का संविधान बनाने में अपनी भूमिका का निर्वहन किया तथा साथ ही साथ समय-समय पर मानवाधिकारों के उल्लंघन पर पीयूसीएल बुलेटिन में आलेख भी लिखते रहे। जब जनसंघ एवं बीजेपी की मिलीभगत से लालकृष्ण आडवानी ने सांप्रदायिक रथयात्रा निकाली, जिसके परिणामस्वरूप धार्मिक उन्माद के रूप में बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ, उस समय वे समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के सलाहकार थे और उसका सामना करने का सुझाव भी दिया था। पीयूसीएल के बारे में उनका मानना था कि इसको सिर्फ मानवाधिकार के उल्लंघन पर ही नहीं बोलना चाहिए बल्कि हर तरह के शोषण, अन्याय और अत्याचार पर कार्य करना चाहिए।

विजय प्रताप ने उन्हें याद करते हुए कहा कि जब वी. पी. सिंह इलाहाबाद से चुनाव लड़ रहे थे तब रविकिरण जैन का घर ही उनका मुख्यालय बना था। अन्ना आंदोलन के शिविर में भी उनकी मुख्य भागीदारी थी। वे राजनीति में नीति के आधार पर राज चलाने के पक्षधर थे। वे युवाओं की बेरोजगारी और पर्यावरण को लेकर बड़े सचेत रहते थे।

अजित कुमार झा ने कहा कि उनका जन-आन्दोलनों से गहरा रिश्ता था। वे बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय मुलायम सिंह यादव के एडवाइजर थे लेकिन बाद में उनके कटु आलोचक भी हुए। कार्यक्रम के बीच में रविकिरण जैन को समर्पित प्रेम सिंह की पुस्तक पंडित होई सो हाट न चढ़ा :समाजवादी नेताओं के प्रति मेरी श्रद्धांजलियां (हिंदीऔरअंग्रेजी) का लोकार्पण प्रोफेसर अनिल मिश्रा ने किया। प्रेम सिंह ने अपनी यह पुस्तक रविकिरण जैन को समर्पित की है।

इसके बाद रमेश ने रविकिरण जैन को याद करते हुए कहा कि आपातकाल के दौर (1975-77) से ही रविकिरनजी राज्य की तानाशाही और टाडा, पोटा जैसे क्रूर कानूनों और वर्तमान सरकार द्वारा अपनाए जाने वाले हथियार यूएपीए और यूपी में यूपीकोका कानूनों के आजीवन विरोधी रहे हैं। उन्होंने माओवादी होने के नाम पर राज्य पुलिस द्वारा भवानीपुर में 9 ग्रामीणों की हत्या के मामले की पैरवी की। उन्होंने प्रवीण तोगड़िया के दौरे के बाद प्रतापगढ़ में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आरोपियों के न्याय के लिए लड़ाई लड़ी। वे उन दलित लेखकों के बचाव में खड़े हुए जिन पर झूठे मुकदमे चल रहे थे। उन्होंने सीमा आज़ाद का बचाव किया जिन्हें यूएपीए के तहत गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया था और उन्हें बरी करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

हरीश खन्ना ने कहा कि आज की स्थिति आपातकाल से भी बुरी है। उनमें न्याय के लिए प्रयास करने और प्रतिरोध के परिणामों से कभी विचलित न होने की उत्साही भावना ही थी, इसी वजह से उन्होंने 8 दिसंबर, 2024 को विश्व हिन्दू परिषद् के एक कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव के विवादास्पद बयान का समर्थन करने के लिए योगी आदित्यनाथ को यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में बर्खास्त करने की मांग की थी। जस्टिस शेखर यादव के भाषण की व्यापक रूप से निंदा की गई थी, क्योंकि वह सांप्रदायिक और घृणास्पद भाषण था। पीयूसीएल जनहित याचिका में कहा गया है कि जस्टिस शेखर यादव का बचाव करके और बोलकर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीएम पद की शपथ का घोर उल्लंघन कर रहे हैं,  जिसके तहत उन्हें धर्मनिरपेक्षता और सभी धर्मों के आपसी सम्मान के संवैधानिक मूल्य की रक्षा और अनुपालन में कार्य करना होता है। मुख्यमंत्री का यह बयान भाईचारे की भावना का भी उल्लंघन करेगा जो भारतीय संविधान के मूल तत्वों और संरचना में से एक है। वे 2016 से 2022 तक PUCL के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन की दमनकारी नीतियों की कटु आलोचना करते रहे।

तेजेन्द्र सिंह आहूजा ने कहा कि पीयूसीएल के शुरूआती दिनों से ही मेरा रविकिरणजी से जुडाव रहा, जो पीयूसीएल बुलेटिन में प्रकाशित उनके आलेखों को पढ़कर वैचारिक रूप से और अधिक मजबूत होता गया। उमाशंकर सिंह ने कहा कि आज धर्म की आड़ में तानाशाही बर्ताव किया जा रहा है। हमें समय रहते इस बहुसंख्यकवाद के खतरे को पहचानना और उसका निदान खोजना होगा। इसके बाद रविकिरण जैन को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुएचरण सिंह राजपूत, प्रोफेसर उमाशंकर सिंह, डॉ. राजेश चौहान, अनिल ठाकुर, डॉ. ज्ञान प्रकाश यादव, अंजुम ने आज के परिप्रेक्ष्य में अपने विचार रखे। इस अवसर पर मैत्री स्टडी सर्किल के दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. विष्णु, आकाशदीप, नीरज, पवन कुमार, अजय, विकास सिंह, अमित, दीपा, रिषभ, विशाल, समीक्षा एवं जामिया विश्वविद्यालय के युवा साथियों में डॉ. आजम शेख एवं सुमन आदि ने भी अपने-अपने विचार रखे।

ज्ञानप्रकाश यादव
ज्ञानप्रकाश यादव
लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे हैं और सम-सामयिक, साहित्यिक एवं राजनीतिक विषयों पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन करते हैं।

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