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आदिवासी समाज में पुरुषवर्चस्व की शिनाख्त

आदिवासी समाजों की अपनी विशिष्टता और स्वायत्तता होती है लेकिन अब उस पर न केवल भूमंडलीकरण और बाज़ारवाद का असर बढ़ रहा है बल्कि संघ और दूसरे हिन्दू संगठनों का भी प्रभाव बढ़ रहा है और सभी का निशाना आदिवासियत और उसकी आज़ादी है। इन बाहरी हमलों के अलावा अंदरूनी तौर पर आदिवासी समाज में […]

आदिवासी समाजों की अपनी विशिष्टता और स्वायत्तता होती है लेकिन अब उस पर न केवल भूमंडलीकरण और बाज़ारवाद का असर बढ़ रहा है बल्कि संघ और दूसरे हिन्दू संगठनों का भी प्रभाव बढ़ रहा है और सभी का निशाना आदिवासियत और उसकी आज़ादी है। इन बाहरी हमलों के अलावा अंदरूनी तौर पर आदिवासी समाज में पुरुष वर्चस्व के बीच सिर उठाते स्त्री-अस्मिता के सवाल खलबली मचा रहे हैं। हाल ही में सोहराय पर्व में लड़कों के अश्लील व्यवहार पर आपत्ति दर्ज़ कराने वाली प्रोफेसर रजनी मुर्मू के ऊपर लगातार हमले हुये हैं कि वे व्यक्तिगत चर्चा के लिए आदिवासी परंपरा पर सवाल उठा रही हैं। देखिये इस लाइव में आदिवासी समाज में परंपरा , बाजारीकरण का प्रभाव , पुरुष वर्चस्व सहित अन्य ज्वलंत मुद्दों पर प्रोफेसर रजनी मुर्मू और डॉ जनार्दन से अपर्णा की बातचीत —

 

गाँव के लोग
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