मैं बिहार को देखता हूं तो मुझे आज भी यह एक शिशु के जैसा लगता है। एक ऐसा शिशु जिसे खिलौने देकर चुप कराया जा सकता है। मतलब यह कि बिहार आज भी बहुत पिछड़ा हुआ है। अब एक झुनझुना है विकास दर का। यह मैं वर्ष 2006 से देख रहा हूं। यानी तबसे जबसे कि बिहार में नीतीश कुमार का राज है। हर साल यह आंकड़ा सामने लाया जाता है कि प्रांतीय विकास दर दो अंकों में है। दों अंकों में होने का मतलब यह नहीं कि 99 फीसदी। कभी 11 फीसदी तो कभी 12 और कभी 14 फीसदी।
मैं वर्ष 2006 से देख रहा हूं। यानी तबसे जबसे कि बिहार में नीतीश कुमार का राज है। हर साल यह आंकड़ा सामने लाया जाता है कि प्रांतीय विकास दर दो अंकों में है। दों अंकों में होने का मतलब यह नहीं कि 99 फीसदी। कभी 11 फीसदी तो कभी 12 और कभी 14 फीसदी। मुझे याद आ रहा है कि वर्ष 2009 में संभवत: बिहार का विकास दर 17 फीसदी बताया गया था।
नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं ।
[…] राजनीतिक झुनझुना और बिहार डायरी (24 जनव… […]
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