दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती का नवीन विज्ञापन 22 जनवरी को प्रकाशित किया है, वहीँ दूसरी तरफ उसी तिथि में वर्ष 2021 में विज्ञापित असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती की अनियमितता की शिकायत का हल शिकायतकर्ता राजभवन को पत्र भेज, करने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन इसका कोई समाधान आज तक नहीं हुआ है।
वर्ष 2021 में कुलपति प्रोफेसर राजेश कुमार सिंह के कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने असिस्टेंट प्रोफेसर पद की रिक्तियों का विज्ञापन जारी किया था। पहले चरण में कुछ विषयों के असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर चयन सकुशल संपन्न होने के बाद से ही असिस्टेंट प्रोफेसर के मानविकी विषयों की परीक्षा में केवल अंग्रेजी माध्यम में प्रश्नपत्र पूछना विवाद का विषय बना। जिस पर अभ्यर्थियों के भारी विरोध पर विश्वविद्यालय को परीक्षा निरस्त कर पुनः परीक्षा करानी पड़ी। किसी तरह की भर्ती में अवरोध न हो, इस वजह से साक्षात्कार होने के बाद ही उसी दिन कार्य परिषद में नतीजे का लिफाफा खोल विश्वविद्यालय ने चयनित अभ्यर्थियों को रातों रात ज्वाइन करा दिया।
सनद रहे कि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती की अनियमितता के संबंध में कई अभ्यर्थियों ने विश्वविद्यालय से लगाए राजभवन तक शिकायत दर्ज कराई। एक अभ्यर्थी आदित्य नारायण क्षितिजेश ने असिस्टेंट प्रोफेसर की पूरी चयन प्रक्रिया मेंनियम-परिनियम के उल्लंघन का सवाल खड़ा करते हुए राजभवन से हस्तक्षेप की मांग की थी।
क्षितिजेश ने 29.03.2023 को कुलाधिपति को पत्र भेजकर आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय ने परिनियम में आवश्यक संशोधन किये बगैर चयन प्रक्रिया सम्पन्न कर रहा है। शिकायतकर्ता ने उन पदों के चयन/नियुक्ति प्रक्रिया रद्द करने तथा विश्वविद्यालय परिनियम में नियमानुसार आवश्यक संशोधन करके नवीन विज्ञापन जारी करने की मांग की थी। जिस पर राज्यपाल सचिवालय ने क्षितिजेश को दिनांक 11.04.2023 को पत्र भेजकर शपथ-पत्र पर साक्ष्य सहित प्रत्यावेदन मांगा था। यह मामला क्षितिजेश के दिनांक 03.05.2023 के भेजे शपथ पत्र पर साक्ष्य सहित प्रत्यावेदन से जुड़ा है।
इसी सिलसिले में राजभवन ने 22 जनवरी,2025 को शिकायतकर्ता आदित्य नारायण क्षितिजेश को पत्र भेजकर राज्यपाल सचिवालय को भेजी विश्वविद्यालय के कुलपति की बिंदुवार आख्या से अवगत कराया है।
विश्वविद्यालय, राजभवन को बिन्दुवार भेजी आख्या में स्वीकारा है कि विज्ञापन संख्या 315/T-3/Gen. Admin/2021, दिनांक 06.05.2021 को निर्गत किया था। जिसके पश्चात राज्यपाल सचिवालय की अधिसूचना संख्या ई-3019/32-जी.एस./2020 दिनांक 18.05.2021 के द्वारा सहायक आचार्य पद के चयन हेतु जारी दिशा-निर्देश को विश्वविद्यालय ने अपने शुद्धि पत्र 06/आरएसी/2021 दिनांक 04.06.2021 को जारी करते हुए राज्यपाल सचिवालय की अधिसूचना को विश्वविद्यालय में लागू करने की सूचना प्रसारित की थी। उसे कुलपति के आदेश के क्रम में अधिसूचित किया गया था।
आख्या के अंतिम बिंदु में विश्वविद्यालय स्वयं स्वीकार करता है कि कुलाधिपति द्वारा निर्देशित प्रक्रियाएं विश्वविद्यालय परिनियमों के अंतर्गत ही हैं इसलिए विश्वविद्यालय परिनियम में संशोधन की आवश्यकता नहीं हुई। आख्या में विश्वविद्यालय ने परिनियम में संशोधन नहीं होने की स्वयं पुष्टि की है। वहीं राजभवन की अधिसूचना को कुलपति के आदेशानुसार अधिसूचित कर विश्वविद्यालयी व्यवस्था में विश्वविद्यालय ने अंगीकार करने की बात कही है। विश्वविद्यालय ने राजभवन को अवगत कराया कि इससे विश्वविद्यालय परिनियम के किसी भी बिंदु का अतिक्रमण नहीं होता है इसलिए इस प्रकरण को निस्तारित कर दिया जाए।
इस आख्या की विशेष बात यह रही कि जिन आरोपों को शिकायतकर्ता ने लगाया उसकी पुष्टि स्वयं विश्वविद्यालय कर रहा है, जो एक विधिक प्रश्न है। जिसका निस्तारण राजभवन स्तर से किया जाना चाहिए था जो एक विधिक प्रश्न है लेकिन इसका निस्तारण राजभवन स्तर से किया जाना चाहिए था जो नहीं किया गयाl