केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ प्रधानमंत्री के गोद लिए गांव जयापुर में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। सरकार की ओर से देश के 81 करोड़ लोगों को इस योजना का लाभ देने का दावा किया जा रहा है। जब हमने ग्राउंड पर जाकर इन दावों का सच जानने की कोशिश की तब पता चला कि प्रधानमंत्री द्वारा 2014 में गोद लिए गए गांव जयापुर में राशन के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है, लाभार्थियों को पूरा राशन नहीं दिया जा रहा है।
गांव के 60 वर्षीय बुजुर्ग लालधर भारती बताते हैं, ‘मेरा राशन कार्ड तीन यूनिट का है। मैं, पत्नी और मेरा एक बेटा। नियम के अनुसार एक यूनिट पर 5 किलो राशन मिलता है। तीन यूनिट पर 15 किलो मिलना चाहिए, जब हम राशन को घर में तौलते हैं तो 1 किलो राशन कम रहता है। यह एक प्रकार की लूट है और हमारे साथ लगातार यह अन्याय हो रहा है। जब हमें निएम के अनुसार 5 किलो राशन मिलना चाहिए तो यह कोटेदार कौन होते हैं उसमें से कटौती करने वाले? हर जगह भ्रष्टाचार है। कहां-कहां और किस-किस से व्यक्ति अपने अधिकारों के लिए लड़ता रहेगा, इसलिए हम चुप रहते हैं?’
जयापुर गांव के ही दलित समुदाय के युवक राहुल गांव के कोटेदार दयाशंकर पर घटतौली का आरोप लगाते हैं। वे कहते हैं, ‘मेरा 6 यूनिट का राशन कार्ड है। कोटेदार सूत की बोरी में अनाज तौल कर देते हैं। सूत की बोरी काफी वजनी होती है। गेहूं और चावल अलग-अलग मिलता है। इसलिए दो बार में अनाज तौल कर देते हैं। घर आकर जब हम लोग अनाज तौलते हैं तो डेढ़ से 2 किलो अनाज कम रहता है। हर महीने ही ऐसा होता है।’
अनाज कम होने की शिकायत क्या आप कोटेदार से नहीं करते? सवाल पूछे जाने पर जवाब में राहुल कहते हैं, ‘कोटेदार से जब कोई अनाज कम होने की शिकायत करता है तो वे कहते हैं अनाज देने के लिए जो दो आदमी लगे हैं, उनका खर्च भी तो निकलना चाहिए। उनका पैसा कहां से आएगा? इसलिए हम लोग चुप ही रहते हैं। वह जितना अनाज देते हैं हम लेकर चले आते हैं।’
जयापुर गांव के राजेश भारती कम राशन मिलने की शिकायत करते हुए कहते हैं, ‘मेरा दो यूनिट का राशन कार्ड है और दो यूनिट के राशन कार्ड पर 10 किलो राशन मिलता है, मैं देखता हूं कि 10 किलो राशन की जगह 9 किलो ही राशन होता है। चूंकि यह बड़े लोग हैं इसलिए हम लोग डर के मारे राशन कम होने की शिकायत उनसे नहीं करते। इसके पहले मेरा तीन यूनिट का राशन कार्ड था लेकिन इस कोटेदार ने मेरा एक यूनिट काट दिया और पूछने पर कहने लगे, मैंने आपका नाम नहीं काटा है, ब्लॉक से आपका एक यूनिट काट दिया गया।’
कोटेदार पर धमकी देने का आरोप
गांव के जगदीश केशरी भी कोटेदार की घटतौली से परेशान नजर आए। वे कहते हैं, ‘इस गांव का कोटेदार गरीबों का राशन मार रहा है। अनाज कम होने की शिकायत जब लोग उससे करते हैं तो वह लोगों से गाली-गलौज पर उतारू हो जाता है और कभी-कभी अनाज न देने की धमकी भी देता है। अगर वह यह जान जाएगा कि हम लोग उसकी शिकायत आप लोगों (गांव के लोग की टीम) से कर रहे हैं तो वह अनाज देना भी बंद कर देगा।’
जयापुर गांव की सीता देवी कहती हैं ‘हर बार हम लोगों को कम अनाज मिलता है। कोटेदार मोटे वाले सूती बोरे में तौलकर अनाज देते हैं। मोटा सूती बोरा काफी वजनी होता है। हम लोगों को अनाज ही कितना मिलता है ? दस से पन्द्रह किलो उसमें भी इस प्रकार की चोरी होती है। क्या ही कहा जाए, अब तो बिना घूस के कोई काम ही नहीं होता। जब कोटेदार से राशन कम होने की शिकायत करते हैं तो वो गुस्से में बोरा उठाकर फेक देते हैं और कहते हैं आज के बाद तुम्हें अनाज मिलेगा भी नहीं। चल भाग जा यहां से।’
सीता देवी से अभी बातचीत चल ही रही थी कि बगल के रास्ते से जा रहे मिर्जापुर जिले के सुरेन्द्र राजभर आ गए। कोटेदारों द्वारा घटतौली किए जाने की बात पर वे बोले, ‘यह कोटेदार हर जगह आधा किलो, एक किलो राशन कम देते हैं। यह सिर्फ जयापुर गांव की बात नहीं है। यह भ्रष्टाचार हर जगह चल रहा है। यूपी के साथ ही अन्य राज्यों में भी यह भ्रष्टाचार चल रहा है और इसके बारे में सबको पता है।’
कोटेदार ने ग्रामीणों के आरोपों को नकारा
इस मामले में हमने कोटेदार जयशंकर सिंह से भी बात की। ग्रामीणों के आरोपों को नकारते हुए वे कहते हैं- ‘लोगों का काम तो शिकायत करना ही है। आप कितना भी अच्छा कर लीजिए लेकिन आप सबको खुश नहीं रख सकते। हमारे यहां जो भी राशन लेने आता है उसी के थैले या बोरी में नापा जाता है। गांव के लोग जो आरोप लगा रहे हैं, वह पूरी तरह से गलत है।’
सरकार को ऐसे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना चाहिए वरना गरीबों के मुंह का निवाला ऐसे ही छीना जाता रहेगा और सरकारी योजनाओं में पलीता लगता रहेगा। शासन-प्रशासन जब प्रधानमंत्री के गोद लिए आदर्श गांव जयापुर में इस प्रकार के भ्रष्टाचार को रोक पाने में नाकाम साबित हो रहा है तो प्रदेश के अन्य जिलों में होने वाले भ्रष्टाचार पर कैसे अंकुश लगेगा? गरीबों की हकमारी कब रुकेगी ? जैसे प्रश्न आज भी अनुत्तरित हैं।