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प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र में रेलवे कर्मचारियों ने एनपीएस व निजीकरण के विरोध में निकाला मशाल जुलूस

उड़ीसा के बालासोर में हुए रेल दुर्घटना का मुख्य कारण रेलवे का अंधाधुंध तरीके से हो रहा निजीकरण और रेलवे में कुशल और प्रशिक्षित रेलवे कर्मचारियों की कमी है। वर्तमान केंद्र सरकार अमीरों का लाभ और गरीबों का विनाश करते हुए पैंसेंजर ट्रेन का किराया एक्सप्रेस के बराबर कर दी है, वही वंदे भारत समेत सभी ट्रेनों के एसी चेयर कार और एग्जीक्यूटिव श्रेणी के किराए में 25% तक कटौती कर रही है।

जनता के सहयोग व समर्थन से रेलवे का निजीकरण रोकने की पहल, वाराणसी से हजारों रेलवे कर्मचारी 1 अक्टूबर को जाएंगे नई दिल्ली,  फिर से उठी पुरानी पेंशन बहाली की मांग 

वाराणसी। प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में पूर्वोत्तर रेलवे, वाराणसी डीआरएम ऑफिस, लहरतारा से वाराणसी कैन्ट रेलवे स्टेशन तक लोकतांत्रिक तरीके से हजारों रेलवे कर्मचारियों ने एनपीएस व निजीकरण के खिलाफ मशाल जुलूस निकाला। जुलूस के दौरान पुरानी पेंशन बहाल करो, जो पुरानी पेंशन बहाल करेगा, वही देश मे राज करेगा, जैसे नारे लगाए गए।

जुलूस के दौरान आयोजित सभा को सम्बोधित करते फ्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे/एनएमओपीएस -राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र पाल ने कहा कि, एनपीएस व निजीकरण/निगमीकरण के खिलाफ जारी हमारा संघर्ष, पुरानी पेंशन बहाली तथा जनता की सवारी भारतीय रेलवे के निजीकरण/निगमीकरण के पूरी तरह से समाप्ति तक जारी रहेगा। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय आह्वान पर 1 अक्टूबर 2023 को रामलीला मैंदान, नई दिल्ली में होने वाली पेंशन शंखनाद रैली में वाराणसी से पूर्वोत्तर रेलवे, उत्तर रेलवे और बनारस रेल कारखाने से हजारों रेलवे कर्मचारी भागीदारी करेंगे।

नेशनल मूवमेंट टू सेव रेलवे के राष्ट्रीय प्रचार सचिव व एनपीएस निजीकरण भारत छोड़ो यात्रा के सहयात्री डॉ कमल उसरी ने बताया कि, ‘एनपीएस व निजीकरण भारत छोड़ो यात्रा जो 1 जून 2023 गाँधी आश्रम, भितरहवा, चम्पारण बिहार से शुरू होकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, नई दिल्ली, राजघाट पर 18 हजार किलोमीटर की यात्रा तय करते हुए 28 जून 2023 को पहला चरण पूरा कर चुकी है। एनपीएस निजीकरण भारत छोड़ो यात्रा को देश भर में मिले अपार जनसमर्थन ने ओपीएस को खत्म कराने के गुनहगार, एनपीएस के ट्रस्टी रेलवे में मान्यता प्राप्त यूनियनों को पूरी तरह से बेकनाब कर दिया है। आज पेंशन विहीन सरकारी कर्मचारी, यूनियनों/ संगठनो के दबाव से मुक्त होकर स्वयं के विवेक से क्रांतिकारी पहलकदमी लेते हुए फ्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे/एनएमओपीएस द्वारा जारी पुरानी पेंशन बहाली के संघर्ष में हजारों- लाखों की संख्या में जगह-जगह भागीदारी कर रहा है।

डॉ. कमल उसरी ने कहा कि, ‘उड़ीसा के बालासोर में हुए रेल दुर्घटना का मुख्य कारण रेलवे का अंधाधुंध तरीके से हो रहा निजीकरण और रेलवे में कुशल और प्रशिक्षित रेलवे कर्मचारियों की कमी है। वर्तमान केंद्र सरकार अमीरों का लाभ और गरीबों का विनाश करते हुए पैंसेंजर ट्रेन का किराया एक्सप्रेस के बराबर कर दी है, वही वंदे भारत समेत सभी ट्रेनों के एसी चेयर कार और एग्जीक्यूटिव श्रेणी के किराए में 25% तक कटौती कर रही है। आम आवाम की भागीदारी व सहयोग से रेलवे के निजीकरण और रेलवे यात्रियों की सुविधाओ में हो रही कटौती के रोका जायेगा।

एनई रेलवे मेंस कांग्रेस- ज़ोनल अध्यक्ष अखिलेश पाण्डेय ने कहा कि, ‘आज सरकारी कर्मचारियों का सबसे बड़ा मुद्दा पुरानी पेंशन बहाली है। 2024 लोक सभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन बहाली कराना हमारा लक्ष्य है।’ अटेवा प्रदेश उपाध्यक्ष सतेंद्र राय ने कहा कि, ‘सभी राजनीतिक दल के चुने हुए माननीय संसदों के आवास की 1 अगस्त से 9 अगस्त तक घँटी बजाकर पुरानी पेंशन बहाली के लिए ज्ञापन सौंपा जाएगा।’

मशाल जुलूस का संयोजन मुख्य रूप से “फ्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे”- पूर्वोत्तर रेलवे- ज़ोनल सयोजक- राकेश कुमार एवं वाराणसी मंडल- संयोजक- संतोष सिंह और नार्दन रेलवे, वाराणसी कैंट से शशि शंकर द्विवेदी एवं बुल्लू पाल ने किया।

मशाल जुलूस में मुख्य रूप से मनोज कुमार, दुर्गेश कुमार पांडेय, एलरसा मंडल अध्यक्ष लाल जी यादव, कमलेश भारतीय, निरंजन कुमार, सुदीप कुमार, वीरेंद्र कुमार, कलामुद्दीन, बंट्टी कुमार, गोपाल जी, मनोज कुमार, अरुण कुमार, पप्पू सिंह, प्रदीप यादव, संजय कुशवाहा, सर्वेश मौर्या, राजीव सिंह, पुत्तू लाल, विवेकानंद पाण्डेय एवं अन्य सैकड़ों लोगों ने भागीदारी की।

मशाल जुलूस के वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के बाहर पहुँचने पर जुलूस निकाल रहे रेलवे कर्मचारियों ने जब नारे बुलंद किए कि जनता की सवारी भारतीय रेल बेचना बंद करो- देश बेचना बंद करो तो वहाँ उपस्थित यात्रियों ने भी उनका साथ दिया और रेलवे कर्मचारियों के साथ नारे लगाते हुए जुलूस में शामिल होकर वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन का चक्कर लगाया

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