गाजीपुर/ बलिया। उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार छात्रों के भविष्य के साथ किस प्रकार खिलवाड़ कर रही है, इसका उदाहरण गाजीपुर और बलिया में देखने को मिला है, मामला जाति प्रमाण-पत्र से जुड़ा हुआ है। पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए युवाओं से जाति प्रमाण-पत्र माँगा जा रहा है, जो उनके पास नहीं है। इस कारण छात्र निराश और हताश हैं। उन्हें अपना भविष्य अधर में जाता नज़र आ रहा है।
दोनों जिलों में गोंड जाति के छात्र पिछले एक महीने से जाति प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार और जिला प्रशासन की ओर से इस दिशा में अभी तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है। दूसरी तरफ, छात्रों को इस बात की चिंता सता रही है कि हाथ में आया हुआ एक सुनहरा मौका कहीं चला न जाए। चूंकि इस समय उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल की भर्ती निकली हुई है जिसके लिए जाति प्रमाण पत्र की जरूरत है। युवाओं के सामने सबसे बड़ी बाधा जाति प्रमाण पत्र का न होना है।
जाति प्रमाण-पत्र के लिए आठ जनवरी को भी जारी धरने के दौरान बच्चों के बीच पहुंचे सुभासपा के अनुसूचित जनजाति के प्रदेश अध्यक्ष राकेश गोंड ने कहा कि जाति प्रमाण-पत्र के अभाव में इन युवाओं का भविष्य खराब हो रहा है। इनके हाथ से आया सुनहरा मौका निकल रहा है, इसलिए इस पर शासन और प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। युवाओं की इस गम्भीर समस्या को लेकर राकेश गोंड ने कासिमाबाद तहसीलदार जया सिंह से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान गोंड ने बच्चों की समस्याओं से जया सिंह को अवगत कराया।
दूसरी ओर, बलिया जिले के गोंड जाति के छात्र भी प्रमाण-पत्र बनवाने को लेकर तहसील के पास धरना देने के अलावा अधिकारियों के ऑफिस का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का भी निराकरण अभी तक नहीं हुआ है।
जया सिंह ने बातचीत में बताया कि शासन द्वारा तय साक्ष्य को जो पूरा करेगा, उसका प्रमाण पत्र बना दिया जाएगा और जो आधी-अधूरी जानकारी देगा, उसका प्रमाण पत्र नहीं जारी होगा।
दूसरी तरफ, छात्रों को जाति प्रमाण-पत्र न जारी करने की शिकायत पर बलिया के जिलाधिकारी ने सदर SDM निखिल शुक्ला का ट्रांसफर कर दिया।
बलिया के भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष मुंजी गोंड ने बताया कि जिलाधिकारी के समक्ष इस मामले को रखा गया था। उनके द्वारा जिले के सभी तहसीलों को प्रमाण-पत्र जारी करने का निर्देश दिया गया है। ज्यादातर मामलों में तहसीलदार ही प्रमाण-पत्र जारी करने में आनाकानी करते हैं। वर्कलोड का बहाना बना दिया जाता है।
मुंजी गोंड के अनुसार, प्रमाण-पत्र के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया से गुज़रने के बाद समाज के लोगों को लेखपाल से भी मिलना पड़ता है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि जाति प्रमाण-पत्र के कारण छात्रों को छात्रवृत्ति भी नहीं मिल पाती है।
जाति प्रमाण पत्र जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा जारी न होने से निराश तैयारी कर रहे और एडमिशन लेने वाले छात्र छात्राओं घोर निराशा ब्यापत है,इस समस्या के तरफ निराकरण हेतु जिलाधिकारी गाजीपुर का अवगत कराना चाहूगा।