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वाराणसी : कठपुतली के माध्यम से छात्रों ने समझा संवैधानिक मूल्य

रोचक तरीके से संवैधानिक मूल्यों से बच्चों को परिचित कराने के लिए कठपुतली की प्रस्तुति के माध्यम से बच्चों को संविधान के बारे में बताया गया।

देश संविधान लागू हुए 74 वर्ष हो गए हैं, भारतीय संविधान की हीरक जयंती के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत हो चुकी है। इस क्रम में सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट ने वाराणसी के कठपुलती कलाकारों की टीम ‘क्रिएटिव पपेट आर्ट्स ग्रुप’ के संयुक्त तत्वावधान में एक अभिनव प्रयास प्रारंभ किया है। छात्रों को संवैधानिक मूल्य, मौलिक अधिकार,  कर्तव्य और संविधान की उद्देशिका का अर्थ समझाने के लिए कठपुतलियों को माध्यम बनाया गया है।

‘संविधान की बात कठपुतली के साथ’  कार्यक्रम का आगाज केन्द्रीय विद्यालय भंदहा कला (जो वर्तमान में आयर में स्थित है) में प्रथम प्रस्तुति से हुआ। इसके बाद जूनियर हाई स्कूल मुर्दहा बाजार में भी नाटक की प्रस्तुति की गयी। साथ में पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गयी।

क्रिएटिव पपेट आर्ट्स ग्रुप के निदेशक मिथिलेश दुबे ने बताया कि लगभग आधे घंटे की प्रस्तुति में हम रोचक तरीके से संवैधानिक मूल्यों से बच्चों को परिचित कराने की कोशिश कर रहे हैं। जिससे बच्चे जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में अग्रसर हों। उन्होंने कहा कि अगले एक साल में हम लगभग 100 विद्यालयों ऐसी प्रस्तुतियाँ करेंगे।

आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कार्यक्रम के बारे में बताया कि बच्चों को अधिकारों के साथ कर्तव्यों के प्रति सचेत करने के लिए कठपुतली को माध्यम बनाया गया जिससे विलुप्त हो रही  कठपुतली विधा का भी संरक्षण हो सके।

केन्द्रीय विद्यालय आयर की प्रधानाचार्या संगीता पाठक ने इस प्रयास की प्रशंसा करते हुए कहा कि कठपुतली नाटक द्वारा समता, एकता, बंधुत्व जैसे सन्देश बच्चों के लिए बहुत ही रोचक तरीके से प्रस्तुत किये गये।

सरकार देश के संविधान को लगातार छेड़छाड़ की कोशिश में लगी हुई है। आठवीं, नवमी, दसवीं के इतिहास और नागरिक शास्त्र की किताबों से कुछ अध्याय हटा दिये गए हैं, वहीं गैर जरूरी अध्यायों को जोड़ दिया गया है। एनसीईआरटी की कक्षा तीन और कक्षा छ: की किताबों से संविधान की प्रस्तावना को निकाल दिया गया है। ऐसे समय में कठपुतली के माध्यम से संविधान के बारे में जाकारी देना महत्त्वपूर्ण है।

प्रस्तुति में कठपुतली कलाकार मिथिलेश दुबे, सुजीत कुमार राजभर सहित शशि बाला, उषा यादव, अजय श्रीवास्तव,  पीयूष कुमार मिश्र, आर आर सिन्हा आदि शिक्षकों का भी उल्लेखनीय सहयोग रहा।(प्रेस विज्ञप्ति)

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