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डा. अम्बेडकर की मूर्ति के सामने शिवलिंग की स्थापना संविधान निर्माता का अपमान है

दिल्ली। 17 सितंबर, 2023 को डॉ. अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक, 26 अलीपुर रोड, दिल्ली तथा 18 फरवरी, 2023 को शिवरात्रि दिवस पर हिंदू कट्टरपंथियों द्वारा डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, 15 जनपथ, नई दिल्ली के अंदर खुले हॉल में बाबा साहेब डॉ. बीआर अंबेडकर की मूर्ति के सामने पूजा अर्चना की गई। इस प्रकार हिंदू कट्टरपंथियों ने […]

दिल्ली। 17 सितंबर, 2023 को डॉ. अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक, 26 अलीपुर रोड, दिल्ली तथा 18 फरवरी, 2023 को शिवरात्रि दिवस पर हिंदू कट्टरपंथियों द्वारा डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, 15 जनपथ, नई दिल्ली के अंदर खुले हॉल में बाबा साहेब डॉ. बीआर अंबेडकर की मूर्ति के सामने पूजा अर्चना की गई। इस प्रकार हिंदू कट्टरपंथियों ने संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. बीआर अम्बेडकर के लाखों अनुयायियों की संवेदनशीलता को ठेस पहुंचाने का काम क़िया। माना जा रहा है कि ये दोनों ही घटनाएं आरएसएस और भाजपा सरकार की छत्रछाया में आयोजित की गई थीं। यह बाबा साहेब की शिक्षाओं और मिशन के ख़िलाफ़ खासकार इसलिए भी क्योंकि तथाकथित हिंदू कट्टरपंथियों ने बाबा साहेब की मूर्ति के ठीक सामने शिवलिंग स्थापित करके बाबा साहेब के विचारों और शिक्षाओं का सीधा-सीधा अपमान किया है।

इन दोनों ही मामलों में यह सवाल उठता है कि 26 अलीपुर रोड (दिल्ली) और 15 जनपथ (नई दिल्ली) के प्रभारियों ने हिंदू कट्टरपंथियों को शासन की लिखित अनुमति के बिना, इस दोनों ही परिसरों/भवनों में अवैध प्रवेश की अनुमति क्यों, कैसे दी? यह परिसर प्रभारियों की ओर से एक गंभीर चूक का मामला है। हो सकता है, हिंदू कट्टरपंथियों की इस साजिश में परिसर प्रभारियों की भी मिली-भगत हो। यदि ऐसा न होता तो उन्होंने हिंदू कट्टरपंथियों को इस प्रकार के अनुष्ठान करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं न दी गयी  होती। ये दोनों घटनाएं परिसर प्रभारियों द्वारा अपने कर्तव्य का पालन नहीं करने और देश भर में अनगिनत अंबेडकरवादियों और बौद्धों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए नियमों के उल्लंघन का भी मामला बनता है। इस संबंध में अम्बेडकर विचार मंच के महासचिव माननीय आरएल केन ने संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर यह मांग की है कि उन्हें यह बताया जाय कि क्या ये भयानक कृत्य अधिकारियों की जानकारी में थे/हैं अथवा नहीं। यदि हां, तो दोनों घटनाओं पर अलग-अलग अधिकारियों द्वारा क्या कार्रवाई की गई है। आर. एल. जी ने अपने पत्र में यह भी जानने का अनुरोध किया कि क्या 17 सितंबर, 2023 को 26 अलीपुर रोड, दिल्ली में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए किसी बीर सिंह और अन्य सार्वजनिक लोगों द्वारा पीसीआर वैन को बुलाया गया था। यदि हां, तो परिसर प्रभारी और अन्य सुरक्षा गार्डों के खिलाफ पुलिस द्वारा क्या कार्रवाई की गई? उनकी अनुवर्ती कार्रवाई के चलते एक एफआईआर संख्या 0412 दिनांक 18-9-2023 दर्ज की गई है। आरएल केन का आरोप है कि इन घटनाओं की वीडियों क्लिप सोशल मीडिया पर क्लिपिंग उपलब्ध हैं, बावजूद इसके शासन-प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। चर्चा है कि पहली घटना की मोनिका सिंह नाम की किसी महिला ने SHO, PS, पार्लियामेंट स्ट्रीट, न्यू में 18 फरवरी, 2023 को एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन आज तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। ये दोनों ही घटनाएं हिंदू कट्टरपंथियों द्वारा डॉ. बाबा भीमराव अंबेडकर साहेब के ब्राह्मणीकरण की साजिश के सिवा  कुछ और नहीं है। भविष्य में कहीं ऐसा न हो कि हिंदू कट्टरपंथियों द्वारा बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम पर बनी इन दोनों भवनों पर कव्जा ही कर लिया जाए, ऐसी शंका को दरकिनार नहीं किया जा सकता।

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 भारत में जो भी महान लोग पैदा होते हैं, ब्राह्मण उन्हें अपनी संतान कहने का कोई न कोई कारण ढूंढ ही लेते हैं – इस जन्म की बात घोषित करें या पूर्वजन्म की। यह जमात हिन्दू को मुसलमान और मुसलमान को हिन्दू बनाने में तनिक भी देर नहीं करती। ‘साईं’ मुसलमान थे, उन्हें अपना ईष्ट बना लिया और हो गई पौबारह। वर्ष भर में इतना दान किसी और देवता के नाम पर नहीं आता, जितना साईं बाबा के मन्दिर पर आता है।

कुछ वर्ष पूर्व की घटना है कि उत्तरप्रदेश के पीलीभीत में ब्राहमण चेतना मंच के कार्यक्रम में भाजपा के राज्यसभा सांसद शिव प्रताप शुक्ल ने अपने संबोधन में कहा, ‘बाबा साहेब आंबेडकर दलित नहीं थे, वे धनाढ्य ब्राह्मण थे। वे पंडित दीनदयाल उपाध्याय से प्रेरित थे, उन्होंने लोगों को उपर उठाने का काम किया, इसलिए उन्होंने संविधान लिखा। उनका नाम आंबेडकर नहीं था, उनका नाम था भीमराव, लेकिन अब उन्हें बाबा साहब आंबेडकर कहा जाता है।’ बीजेपी के राज्यसभा सांसद शिव प्रताप शुक्ल का यह बयान यूँ ही नहीं आया होगा, अपितु इस बयान के पीछे बाबा साहेब के ब्राह्मणीकरण की बू आती है।

सांसद शिव प्रताप शुक्ल के इस बयान से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि उनको बाबा साहेब के जीवन के बारे में कुछ भी पता नहीं है। जब उन्हें इतना ही पता नहीं है कि बाबा साहेब की प्राथमिक और उच्च शिक्षा दिलाने के पीछे कौन-कौन लोग रहे तो उन्हें और क्या पता होगा। उनका यह बयान हवा में पत्थर उछालने जैसा ही है। बिना सिरपैर की बयानबाजी करना ही ब्राह्मणवादियों की सबसे बड़ी खूबी है, जिसकी जाल में अज्ञानी लोग आराम से फंस जाते हैं।

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आरएसएस और अब उसके द्वारा पोषित भाजपा का यह कोई पहला अवसर नहीं है कि जब उसने किसी न किसी के जरिए बाबा साहेब को अपने पाले में करने और अनुसूचित जातियों में फूट डालने का प्रयास किया है, ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ परिवार पहले भी ऐसे कार्य कर चुका है। संघ के सुरुचि प्रकाशन, झन्डेवालान द्वारा प्रकाशित डॉ. कृष्ण गोपाल और श्रीप्रकाश द्वारा संपादित पुस्तक राष्ट्र पुरूष: बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर में अनेक ऐसे झूठे प्रसंग हैं। इन प्रसंगों के जरिए बाबा साहब को पूरा-का-पूरा सनातनी नेता, गीता का संरक्षक, यज्ञोपवीत कर्त्ता, महारों को जनेऊ धारण कराने वाले के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो बाबा साहब के प्रारंम्भिक जीवन काल के हैं। दुःख तो यह है कि संदर्भित पुस्तक के रचियता ने 1929 और 1949 के बीच के वर्षों पर कोई चर्चा नहीं की है जबकि बाबा साहब का मुख्य कार्यकारी दौर वही था। पुस्तक के लेखक ने सबसे ज्यादा जोर बाबा साहब को मुस्लिम विरोधी सिद्ध करने पर लगाया है, जो दुरग्रह पूर्ण कार्य है। इतना ही नहीं, डॉ. कृष्ण गोपाल के मन का मैल पेज 5 पर उल्लिखित इन शब्दों में स्पष्ट झलकता है– ‘एक अपृश्य परिवार में जन्मा बालक सम्पूर्ण भारतीय समाज का विधि-विधाता बन गया। धरती की धूल उड़कर आकाश और मस्तक तक जा पहुँची’। इस पंक्ति का लिखना-भर ही सीधे-सीधे बाबा साहेब का अपमान करना है, और कुछ नहीं।

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