सुबह के सात बजे हैं। यह समय भगत जी के पूजा करने का है। सो वो कर रहे हैं। हनुमान चालीसा का सस्वर पाठ।
ठीक उसी प्रकार आज यदि वास्तविकता में देश की जनता को निजी हित निजी स्वार्थ पूरे करने और राष्ट्रीय सुरक्षा में से किसी एक का विकल्प चयन करने का कहें तो वो निजी स्वार्थ ही चयन करेंगे। क्योंकि वो नहीं समझ पा रहे हैं कि राष्ट्र सुरक्षित नहीं रहा तो फिर निजी हितों की गठरी बाँध के कहाँ ले जाओगे?
”जो कामचोर हैं, उन्हीं को नौकरी नहीं मिलती…’ अचानक पानवाले ने कहा।

अनूप मणि त्रिपाठी युवा व्यंग्यकार हैं और लखनऊ में रहते हैं।
[…] भगत जी की किरान्ती […]