नई पोखरी की दलित और मुस्लिम बस्ती तक नहीं पहुँचा ‘विकास’
वाराणसी। विश्व की धार्मिक राजधानी घोषित हो चुकी काशी नगरी में शीतला माता मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों को कूड़े के दुर्गंध के बीच पूजा-अर्चना करनी पड़ रही है। यह मंदिर वॉर्ड नम्बर 64 के नई पोखरी मोहल्ले में है। कूड़े और दुर्गंध की स्थिति सिर्फ मंदिर तक ही नहीं सीमित है, पूरे मोहल्ले के बाशिंदे इसमें गुज़र-बसर कर रहे हैं। यहाँ की सामाजिक एकता ऐसी है कि शिकायतों के बाद भी जब सम्बंधित लोगों ने एक सीवर का ढक्कन नहीं लगवाया तो गली के लोगों ने ही अपने घर से पटिया लाकर उसे बंद कर दिया, ताकि मुस्लिम समुदाय के लोग मोहर्रम का जुलूस सुगमता से निकाल सकें और हुआ भी ऐसा ही।
सिगरा स्थिति नगर निगम कार्यालय से मात्र 16 सौ मीटर दूर बादशाह बाग कॉलोनी से होते हुए नई पोखरी मोहल्ले में पहुँचा जा सकता है। इस मोहल्ले का नाम ‘नई पोखरी’ ज़रूर है लेकिन यहाँ की बुनियादी समस्याएँ उतनी ही ‘पुरानी’ और जटिल। मलदहिया से नई पोखरी जाने वाले रास्ते की शुरुआत पर ‘नगर निगम वाराणसी मार्ग’ का एक बोर्ड भी लगा हुआ है। लेकिन मोहल्ले के अंदरुनी इलाकों में घुसते ही नगर निगम के कार्यों की पोल खुल जाती है। इस मोहल्ले की गलियों में ऐसा कोई स्थान नहीं बचा था, जहाँ कूड़ा-कचरा न पड़ा हो। बीते रविवार को हुई बारिश में यह कचरा और भी बजबजा रहा था। इसी गंदगी के बीच सीवर सफाई के बाद मलबा भी रखा हुआ था। स्थानीय गीता बताती हैं कि यह मलबा पैसा देने पर ही हटाया जाता है। तबतक हम इसकी दुर्गंध के बीच ज़िंदगी काट रहे हैं। वह बताती हैं कि मलबा मेरे दरवाजे पर लगा हुआ है इसलिए इसे हटवाने के लिए मुझे ही सफाईकर्मियों को बीस या तीस रुपये देने पड़ेंगे। हाथ नचाते हुए वह कहती हैं कि घर का कूड़ा उठाने के लिए तो पैसे देते ही हैं, अब बाहर का यह मलबा साफ करवाने के लिए भी खर्चा करना पड़ेगा।
बादशाह बाग कॉलोनी में मेन रोड के एक तरफ नई पोखरी के लोग रहते हैं, दूसरी तरफ कामायनी नगर कॉलोनी है। नई पोखरी शहर उत्तरी का क्षेत्र है और कामायनी नगर शहर दक्षिणी। यहाँ के विधायक क्रमश: रविंद्र जायसवाल और नीलकंठ तिवारी हैं, दोनों एक ही पार्टी के नेता हैं- भाजपा। दोनों मोहल्लों में विकास कार्यों की बात की जाए तो शहर उत्तरी का क्षेत्र काफी दुर्दशाग्रस्त है। ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान अपनी इस उपेक्षा को लेकर मोहल्ले के लोगों ने मुझसे तरह-तरह की शिकायतें की। बात यहाँ तक भी निकल गई कि इस गली में पिछड़े और दलित जाति के लोग ज़्यादा रहते हैं इसलिए इस इसकी उपेक्षा हो रही है। कामायनी नगर कॉलोनी के ठीक सामने वाली गली में इसकी बानगी भी दिख गई। आठ फुट की गली में आधे से ज़्यादा हिस्से पर कूड़ा बिखरा हुआ था। बरसों से यह स्थिति होने के कारण वह रास्ता बीच-बीच में बैठ गया है। इस कचरे के ठीक सामने राजेश का मकान है। इस दुर्दशा की शिकायत आपने किसी से की? इस सवाल पर वह साफ कह देते हैं कि कुछ हो तो शिकायत करें।
गली के लोगों का एक धार्मिक पक्ष भी है। यहाँ शीतला माता का प्राचीन मंदिर है। यहाँ हर दो-चार दिन पर कूड़ा इकट्ठा हो जाता है। मना करने के बावजूद लोग नहीं मानते। यश कुमार सोनकर ‘पिंटू’ इस समस्या पर काफी नाराज हैं। वह बताते हैं कि यह मंदिर पचासों बरस पुराना है। यहाँ प्रतिदिन अगर झाड़ू लगाई जाती तो काफी हद तक सफाई व्यवस्था दुरुस्त हो जाती। योगी की सरकार रहते हुए मंदिर के आसपास गंदगी काफी निराशाजनक है।
गली में जगह-जगह कूड़े के अम्बार पर माधुर सोनकर बताते हैं कि सफाईकर्मियों से कई बार इसकी शिकायत कर चुका हूँ, लेकिन वह सुनता ही नहीं। प्रिंस राय जब से नए सभासद बने हैं, तब से एक बार भी गली में झांकने तक नहीं आए। हाँ, चुनाव के पूर्व वोट माँगने जरूर आए थे। माधुर बताते हैं कि गली में सीवर की भी काफी समस्या है। जगह-जगह सीवर बैठ गया है। दस साल से ऊपर हो गए सीवर बिछे हुए। जबतक नई लाइन नहीं बिछाई जाएगी, तबतक समस्याएँ इसी तरह बनी रहेंगे।
गली में मार्ग से एक फुट ऊँचा चबूतरा बनाकर वीरेंद्र गुप्ता ने अपना मकान सुरक्षित करवा लिया है, क्योंकि बारिश का पानी अंदर घुस जाता था। उनके मकान के ठीक बाहर नाले का एक छोटा-सा ढक्कन है, उस ओर इशारा करते हुए वीरेंद्र बताते हैं कि बारिश के बाद यहाँ घुटने तक पानी लग जाता है। शिकायत के बावजूद आजतक समस्या का समाधान नहीं हुआ। सभासद ने सीवर साफ करवा दिया होता तो समस्या काफी हद तक सुलझ जाती।
स्थानीय मिथिलेश श्रीवास्तव बताते हैं कि पानी की समस्या को देखते हुए यहाँ अधिकतर लोगों ने अपने मकान में बोरिंग करवा लिया है। सामने एक हैंडपम्प है तो उसे खराब हुए दो बरस हो गए। जनप्रतिनिधियों को सप्ताह में एक बार ही सही अपने इलाके का दौरा करना चाहिए। जनता कितनी मर्तबा एक ही शिकायत बार-बार करे। बजरिए मिथिलेश, सीवर जाम की समस्या ऐसी है कि कई लोगों ने अपने मकान का चबूतरा ऊँचा करवा लिया है। इन सब कामों में भी पैसा खर्चा होता है। हमारे जनप्रतिनिधि इस समस्या को नहीं समझ सकते।
गुड़िया के घर के ठीक सामने सीवर का ढक्कन है, जो काफी जर्जर अवस्था में है। उसके आसपास नाली का शिल्ट जमा हुआ है, काई भी। पटिया भी कई जगह उखड़ी हुई है। इस समस्या को लेकर वह बताती हैं कि जब भी बारिश होती है, तब सीवर जाम हो जाता है, उसका गंदा पानी घर में घुस जाता है। हर बार की इस समस्या को देखते हुए हम लोगों ने दरवाजे के चौखट को एक रद्दा ईंट रखवाकर बंद करवा दिया। हमारे कमरे में तो पानी नहीं जाता है लेकिन सीवर की दुर्गंध से हम काफी परेशान रहते हैं।
दीपक गुप्ता बताते हैं कि बारिश के मौसम में जब सीवर जाम हो जाता है तब हमारे घर के शौचालय भी जाम हो जाते हैं। उसे साफ करवाने के लिए मेहतर बुलवाना पड़ता है। पहले के सभासद जब सीवर सफाई करवा देते थे तब थोड़ी राहत मिल जाती थी। नए सभासद तो जीतने के बाद गली में आए ही नहीं, आते तो इसकी शिकायत की जाती।
बुज़ुर्ग सुशीला उबड़-खाबड़ रास्ते पर चलने में परेशानी की बात कर रही थीं। वह बताती हैं कि मुझे अपना पैर सही से रखने के लिए ठीक-ठाक पत्थर तलाशने पड़ते हैं। शरीर भारी है, एक कदम इधर-उधर हुआ तो मैं बिस्तर पर पड़ जाऊँगी। इतना बोलते ही वह एक चबूतरे पर बैठ जाती हैं। वह बताती हैं कि सुबह शीतला मंदिर पर पूजा करने, उसके बाद पोते को स्कूल छोड़ने और उसे ले आने के लिए ही घर से निकलती हूँ। गली की स्थिति ऐसी नहीं है कि यहाँ टहल सकूँ, अच्छी हवा में साँस ले सकूँ।
बिन्दु चौरसिया बताती हैं कि गली में सीवर और सफाई की व्यवस्था ऐसी है कि मैं सब्जी व अन्य सामान लाने के लिए अपनी स्कूटी से ही जाती हूँ। पैदल जाने का मतलब चप्पल-जूते में गंदगी ही गंदगी। वह बताती हैं कि सीवर जाम हो जाने पर घर के नीचे वाले हिस्से में पानी घुस ही जाता है। इस समस्या का जड़ है सीवर का सफाई न होना।
मोहल्ल के लोगों से बातचीत के दौरान धीरज सोनकर मंदिर पर जल चढ़ाकर हाथ में लोटा लिए हमारे बीच आ गए। उनको देखकर आजू-बाजू के लोग हँसने लगे, इसलिए कि उनके हाथ में लोटा था। लोगों की हँसी समझकर ही वह बोल पड़े कि मंदिर से आवत हई यार…! (मंदिर से आ रहा हूँ)। धीरज बताते हैं कि गली की गंदगी में चलने के बाद नहाया और पूजा-पाठ व्यर्थ हो जाता है। गली की और समस्याएँ बताने के लिए वह मुझे अपने साथ चलने के लिए कहते हैं।
मोहर्रम जुलूस निकाल रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए हिन्दुओं ने अपने घर से पटिया लाकर ढक दिया सीवर का गड्ढा
एक-दो घर के गलियारों से होते हुए हम गली के उस स्थान पर पहुँचते हैं, जहाँ सीवर के ढक्कन के किनारे बड़ा से छेदा हो गया था। कुछ दिन पहले ही इसमें गिरकर एक व्यक्ति का पैर फ्रैक्चर हो गया था। यह बात धीरज ने ही बताई। उन्होंने बताया कि इस हादसे को देखते हुए कुछ दिन पहले ही इस छेद को बंद करवाया गया। इस गली से प्रत्येक वर्ष मोहर्रम का जुलूस निकलता है, दोबारा कोई हादसा न हो इसलिए एक पत्थर लगाकर छेद को बंद किया गया।
गोकूल सोनकर बताते हैं कि गली में सफाई की समस्याएँ काफी हैं। सीवर जाम के कारण ही कभी-कभार पीने का पानी भी दूषित हो जाता है। उस समय हमारे पड़ोसी पानी की मदद कर देते हैं, क्योंकि उनके यहाँ बोरिंग है। इन समस्याओं को लेकर पहले कई बार शिकायतें हो चुकी हैं। अब यह हमारी आदत बन चुकी है। शिकायत पर कहाँ समाधान हो रहा है?
नई पोखरी मोहल्ले के अधिकतर स्थान पर बारिश के कारण कूड़े बजबजा रहे थे और उससे उठ रहे दुर्गंध के बीच लोग रहने को विवश हैं। यह राजेश की गम्भीर शिकायत है। वह बताते हैं कि सड़क के उस पर कामायनी नगर कॉलोनी है, वहाँ प्रतिदिन सफाई होती है। इस गली में झाड़ू लगाने वाले हफ्तो-महीनों पर आते हैं। पब्लिक भी जहाँ जगह मिलती है, वहीं कूड़ा डाल देती है। प्रतिदिन सफाई हो तो गली की ऐसी नारकीय स्थिति नहीं होती।
सचिन सोनकर को मोहल्ले की समस्याओं पर इतना रोष था कि सभासद की तरफदारी करने वाले एक शख्स से ही वह भिड़ पड़े। मामला जब शांत हुआ तो मेरी डायरी पर लोगों का नाम देखकर सचिन मुझसे ही पूछ पड़ते हैं कि ‘आप इतने लोगों से बात करके आए हैं, क्या समझ में आया?’
‘समस्याएँ काफी मिलीं।’
यह जवाब सुनकर सचिन कहते हैं, ‘सभासद कोई भी बने, उन्हें एक बार गली में राउंड लगाना चाहिए। वोट लेने के बाद सब ‘महल’ में बैठ जाते हैं। गली में पानी, सीवर, चौका की समस्या हो जाए तो समझ ही नहीं आता कि किससे कहें? सभासद अगर नगर निगम तक हमारी शिकायतें पहुँचाते तो इनका निस्तारण कब का हो गया होता।’
गली में कुछ महिलाएँ भी बात करने की इच्छुक थीं, लेकिन यहाँ की समस्याओं को लेकर वह नाराज़ भी थीं।
‘अरे, भइया मोदी-जोगी क ज़माना हौ…।’
‘यहाँ कउनो ना अउतन सफाइ करे…।’
‘ओनहने के खाली सड़किए साफ करे क पइसा मिलेला…।’
ऐसी बातें करके वह अपनी भड़ास निकाल रहीं थीं।
उसी में से एक सितारा देवी बताती हैं कि गली में ऑटो और टोटो वाले अंदर नहीं आते हैं। इसकी दुर्दशा देखकर वह बाहर से ही सवारी उतारकर चला जाता है। अगर किसी के घर में कोई गम्भीर रूप से बीमार पड़ जाए तो उसे दो-पहिया से या पैदल चलकर सड़क तक जाना पड़ता है। दो-पहिया वाले भी ठीक से न चलाए तो गाड़ी फिसल जाती है। यहाँ दसियों बरस पहले पत्थर बिछाया गया था, उस पर चलने में अब फिसलहट होने लगती है।
इन समस्याओं के बावत क्षेत्र के पार्षद और कांग्रेस नेता प्रिंस राय ने कहा कि नई पोखरी इस बार मेरे क्षेत्र में जोड़ी गई है। इसके पहले यह मोहल्ला भाजपा पार्षद के अधिकार क्षेत्र में था। वाराणसी के महापौर और शहर उत्तरी के विधायक भाजपा के ही हैं और उन्हीं की पार्टी के नेता यहाँ के सभासद रहे, तो उन्होंने क्या काम किया? प्रिंस बताते हैं कि नई पोखरी शहर उत्तरी का ही हिस्सा है। भाजपा विधायक ने इस मोहल्ले का एक बार भी दौरा नहीं किया, तो काम कहाँ से होगा? मैं तो हाल ही में यहाँ का पार्षद चुना गया हूँ। चूँकि इस मोहल्ले की समस्या काफी गम्भीर है। नगर निगम की बैठक में मैंने यहाँ की समस्याओं की शिकायत और अन्य कार्यों की सूची बनाकर दी है। नई पोखरी में चाहत पीसीओ से कल्लू चाय वाले तक गली मरम्मत का काम होना है। जल्द ही समस्या का समाधान करवा दिया जाएगा।
वहीं, भाजपा नेता और क्षेत्र के पूर्व पार्षद बृजराज श्रीवास्तव बताते हैं कि मेरे कार्यकाल के दौरान यानी 2019 या 2020 में सीवर लाइन का कार्य हुआ था। नई पोखरी के मकान नम्बर 20/21, 20/26 और 20/27 यानी कल्लू चाय वाले से लेकर प्रकाश सोनकर के मकान तक लगभग सौ मीटर की सीवर लाइन बिछवाई गई थी। अब अगर सीवर जाम हो रहा है तो उसकी नियमित सफाई करवानी चाहिए।
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